एक साल के बाद अपने पुराने शहर जबलपुर जा रही थी। वहां का दो कमरों का घर यूं ही खाली पड़ा था।सोंचा थोड़ा पेंट- वेंट करवा कर किराए पर चढ़ा दूं। घर की साफ सफाई भी होती रहेगी और कुछ पैसे भी मिलते रहेंगे।
जबलपुर से बहुत सी पुरानी गुदगुदाती यादें जुड़ी थीं। आखिर शादी के बाद वो हमारा सपनों का पहला घर जो था जिसे मैंने बहुत प्यार से सजाया था। वहां पहुंचकर देखा तो नजर बाजू वाले घर पर पड़ी। उसे देखकर मुझे राशि और जतिन की याद आ गई। दोनों ने घर से भागकर लव मैरिज की थी फिर इस घर में किराए पर रहने आए थे। अड़ोस-पड़ोस के लोग उनके बारे में बहुत बातें बनाते थे लेकिन इन सब से बेखबर वो अपनी दुनिया में मस्त थे। मेरे साथ राशि की बनती थी क्योंकि मुझे उनके भाग कर शादी करने से कोई आपत्ती नहीं थी । आखिर उनकी जिंदगी है हम कौन होते हैं
किसी को जज करने वाले। अपने घर में घुसते घुसते नजर उनके घर के खुले दरवाजे पर लगी थी। लेकिन हर वक्त चहकने वाली राशि का घर आज बिलकुल सुनसान सा लग रहा था। ताला खोलकर अपने घर में प्रवेश किया तो देखा घर काफी गंदा हो गया था।रात को आराम भी करना था तो सोंचा पहले थोड़ी साफ सफाई कर लूं। झाड़ू कहीं नजर नहीं आ रही थी तो सोंचा राशि से मांग लाती हूं। कुछ तो उसे देखने की भी जल्दी थी ताकि उसे अपने आने का समाचार दे सकूं। अंदर जाकर देखा तो लगा जैसे किसी और के घर में हीं घुस गई थी।
वापस मुड़ हीं रही थी कि आवाज आई, “कौन??,,
” मैं सरोज , राशि को देखने आई थी।,,
” दीदी…. ,,
एक कमजोर सी आवाज से मेरे पैर ठिठक गए। वो राशि ही थी। बिलकुल बदली हुई।बिखरी बिखरी और पहले से काफी कमजोर।उसकी हालत देखकर मुझसे रहा नहीं गया तो पूछ बैठी।
” तुम तो पहचान में ही नहीं आ रही हो इतनी कमजोर कैसे हो गई।,,
वो शायद मेरे पूछने का ही इंतजार कर रही थी कि फफक कर रो पड़ी। “दीदी… दीदी मेरे साथ धोखा हुआ है। जतिन धोखेबाज निकला मुझसे मन भर गया तो वो और किसी के साथ रहने लग गया। ,,
“लेकिन क्यों?? तुम तो एक दूसरे से प्यार करते थे ना।,,
” हां.. तभी तो पिछले छः महीने से उसका इंतजार कर रही हूं। उसके बिना मैं मर जाऊंगी।,,
राशि की इस बात ने मुझे झकझोर दिया। मैंने उसे बैठाते हुए कहा ,” ऐसा नहीं बोलते।हमारी जिंदगी इतनी सस्ती नहीं होती कि एक झटका लगने पर हम खत्म कर लें।,,
” लेकिन दीदी मैं और क्या करूं?? जीने की कोई वजह भी तो नहीं है। इस घर का किराया भी चार महीने से बाकी है। कहां जाऊं कुछ समझ में नहीं आ रहा। ,,
” किसी ऐसे इंसान के लिए मरने से क्या होगा जिसे तुम्हारी कोई परवाह हीं नहीं है।दुख तो तुम्हारे माता-पिता को होगा जिन्होंने अपने जीवन के बाइस साल तुम्हारी परवरिश और पढ़ाई लिखाई पर खर्च किए हैं। क्या उन्होंने तुम्हे इसिलिए पढ़ाया था कि तुम एक लड़के के लिए अपना जीवन समाप्त कर लो?,,
“लेकिन दीदी घर से भागकर शादी करने के बाद क्या मुंह लेकर मैं उनके सामने जाऊं??,,
” राशि वो तुम्हारे माता-पिता हैं। थोड़ा नाराज जरूर होंगे जो उनका हक है। लेकिन फिर भी माता पिता का दिल बहुत बड़ा होता है। यदि तुम आत्महत्या कर लोगी तो उनकी मेहनत व्यर्थ होगी। और जतिन तो खुश होगा कि उसके रास्ते का कांटा निकल गया।…. राशि जिंदगी तुम्हारी है तो इसे किसी के भरोसे नहीं अपने बल पर जीओ।,,
” दीदी , आप ठीक बोल रही हैं मैं जतिन को इतनी आसानी से माफ नहीं करूंगी।,,
” सुनो, तुम मेरे घर में रह सकती हो। वैसे भी इतने दिनों से खाली पड़ा है। जब तुम कमाने लगो तो किराया भी लूंगी।,, मैंने झूठ मूठ डांटते हुए कहा।
राशि के चेहरे पर अब एक शांति और कुछ करने का जूनून नजर आ रहा था।
आज छह महीने बाद मकान के किराए के रूप में चार हजार रुपए का मनीआर्डर पाकर मुझे तसल्ली हुई की राशि ने अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर ली है।