दायित्व संस्कारों का – अंजना ठाकुर : Moral stories in hindi

ये तुमने क्या किया गंवार जाहिल औरत इतने महंगे डिनर सेट की प्लेट तोड़ दी अब पूरा सेट खराब हो गया मेरा _अनु गुस्से मै अपनी मेड से बोली  काकी सुनीता की आंख मैं आंसू आ गए बोली बहुरानी  गलती से टूट गई हम तो कब से काम कर रहे है इस घर मैं आज तक ऐसा नहीं हुआ

अब गलती करके जबान भी चलाएगी मुझसे अनु और जोर से चिल्लाई आवाज सुन सास नीरजा  ,और अनु का पति अमर और ननद मीता किचन मैं आ गए अनु को चिल्लाता देख अमर बोला ये क्या तरीका है बात करने का काकी तुमसे उम्र मैं कितनी बड़ी है तमीज नहीं है बड़ों से बात करने की सुनकर अनु बोली आप मेड के लिए मुझे डांट रहे है ।

नीरजा ने बात को सम्हालते हुए अनु से कहा तुम कमरे मै जाओ मैं देखती हूं अनु बड़बड़ाती हुई चली गई सबने बहुत सर पर चढ़ा रखा है मेड को

मालकिन समझने लगी है

अमर ने काकी को कुर्सी पर बैठाया और पानी दे कर कहा काकी बुरा मत मानना

मीता प्लेट के टुकड़े साफ करने लगी नीरजा बोली सुनीता बहु अभी नई है तुम दिल पर मत लगाना उसे सिखाना पड़ेगा शायद उसे किसी ने रोका टोका नही हो संस्कारो का दायित्व तो बड़ों के उपर ही होता है तभी बच्चे सीखते है

सुनीता बोली सही कहा भाभी आपके बच्चों ने कभी महसूस नही होने दिया की मैं काम वाली बाई हूं इसलिए मैं भी अभी तक आ रही हूं काम करने ।

समझा बुझा कर नीरजा अपने कमरे मै गई सोचने लगी बहु को संस्कार सिखाने ही पड़ेंगे अनु की शादी को पांच महीने हो गए थे जब से आई थी अपनी अमीरी का घमंड दिखा रही थी किसी से कुछ भी बोल देना छोटे लोगों की बेइज्जती कर देना उसकी आदत थी पैसों की कमी नीरजा के घर मैं भी नही थी पर नीरजा ने शुरू से ही पैसों से ज्यादा सम्मान करना सिखाया है उसने अपना दायित्व पूरी जिम्मेदारी से निभाया उसे याद है जब एक बार छोटे मैं अमर ने ड्राइवर को दरवाजा नही खोलने पर बहुत चिल्लाया था तभी नीरजा ने समझाया की इंसान के काम की कद्र करनी चाहिए उन्हें छोटा दिखाने की कोशिश मैं हम खुद को छोटा बना लेते है

यही कारण है की घर मैं सभी काम करने वाले नीरजा को बहुत मान देते सुनीता काकी भी काफी सालों से आ रही थी और नीरजा को भी उनकी आदत हो गई थी इसलिए वो भी अभी तक लगी हुई थी

अनु को कैसे समझाया जाए कहीं खुद के रिश्ते खराब नहीं हो जाए यदि सुनीता के सामने उसे कुछ कहा था तो यही सोचते हुए नीरजा को उपाय सूझा

उसने काकी को कुछ समझाया और जाने के लिए कहा दूसरे दिन काकी को ना आया देख अनु बोली ये काकी क्यों नही आई अभी तक मुझे चाय  पीनी  है नीरजा बोली उन्होंने कहा है वो काम पर नहीं आएंगी

अनु बोली इतना घमंड है ना आए मैं दूसरी बाई देख लूंगी

हां यही करना पड़ेगा तुम जल्दी से ढूंढो पहले चाय बना लो और अमर के लिए भी बना लेना

काम की आदत तो थी नही अनु को उसे दो कप चाय बनाना भारी पड़ रहा था जल्दबाजी मैं महंगा कप भी हाथ से छूट गया और टूट गया

सास को सामने देख नीरजा बोली वो गलती से गिर गया

नीरजा बोली कोई बात नहीं जानबूझ कर कौन गिराता है अब अनु को लगा की उसने खामखां काकी पर चिल्लाया पर अपनी गलती माननी नही थी

चाय पी कर आसपास की मेड से बात करी पर कोई राजी नहीं थी कहने लगी हमें भी अपना सम्मान प्यारा है

अब अनु परेशान हो गई तीनों मिलकर काम करने लगी अनु बोली मांजी आप ही बुलाओ काकी को ।

नीरजा ने तो खुद ही मना किया था सुनीता को आने को और बाकी से काम करने की भी मना करवा दी थी ।उसने कहा अब वो नहीं आएगी तुम बात करके देखो और हां एक बात याद रखो की गलती सब से होती है पर किसी की काम और हसियत देख कर इज्जत करना सही नहीं है हमारे संस्कार ऐसे होने चाहिए की हम किसी को गलती पर रोक लेकिन जलील नही करें क्योंकि हमें सबकी जरूरत पड़ती है

अनु को समझ आ गया वो नीरजा के साथ काकी के घर गई और अपनी गलती मान कर उन्हे मना लिया ।

अब अनु के व्यवहार मैं बदलाव आ रहा था नीरजा खुश थी की दोनों रिश्ते को बचा कर अपना दायित्व पूरा कर लिया ।।

स्वरचित

अंजना ठाकुर

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