कहानी के पिछले भाग के अंत में आपने पढ़ा, के अंगद दादी से सुरैया को अपनाने की बात कर रहा था… पर सुरैया इस बात से अनजान, अस्पताल में पड़ी और अभी-अभी अपना बच्चा खोया था…
अब आगे…
खैर कुछ घंटे बाद, सुरैया को होश आ जाता है और दादी उससे खुशी में कहती है.. अरी सुरैया..! तोहार तो भाग्य खुल गवा.. बबुआ अभई भी तोके अपनावे का तैयार है.. तोहार दुख तो अब खत्म हुई गवा… पहले ई बच्चा से जान छुटो, अब तोहर जिंदगी मां कोनो झमेलो नाही…
सुरैया खामोशी से अंगद की ओर देख रही थी… पता नहीं उसे अंगद के इस फैसले के पीछे बेबसी क्यों दिख रही थी..? पर वह इस बारे में दादी से कुछ नहीं कहती, पर अंगद से कहती हैं… सर जी..! आपको मेरा बयान लेना है ना..? अब मैं बिल्कुल ठीक हूं…
अंगद: नहीं इतनी भी जल्दी नहीं है.. पहले तुम पूरी तरीके से ठीक हो जाओ… फिर ले लूंगा तुम्हारा बयान…
फिर कुछ दिनों बाद सुरैया ठीक होकर घर आ जाती है… पर वह अंगद के साथ नहीं, दादी के साथ ही रहेगी, यह कहकर दादी के घर ही आ जाती है..
अंगद उससे मिलने सुरैया के दादी के यहां जाता है और थोड़ी देर हाल-चाल पूछने के बाद… सुरैया उस रात की घटना बताना शुरू करती है…
उस रात मैं गहरी नींद में सोई थी… पता नहीं, बाबा ने अचानक से मुझे उठाया और बिना किसी शोर-शराबे के मुझे अपने साथ चलने को कहा.. मैंने उनसे कई दफा पूछा भी कि, मुझे वह कहां ले जा रहे हैं..? पर उन्होंने बिना किसी आवाज के चलते रहने को कहा…
फिर हम दोनों चलने लगे सुनसान सड़क, ऊपर से रात का वक्त… बाबा को पता नहीं, डर लग रहा था या नहीं..? पर मुझे तो बहुत ही ज्यादा डर लग रहा था… फिर मैंने बाबा से वही रुक कर पूछा… बताइए ना बाबा..! हम कहां जा रहे हैं..? दादी उठ जाएगी और मुझे अपने पास ना पाकर परेशान हो जाएगी… कम से कम उन्हें तो बता कर आते…
बाबा: सुन बेटा..! किसी को भी बता कर आने का वक्त नहीं था हमारे पास… उन लोगों को मेरी योजना का पता चल गया है और अब वह हम लोगों को जिंदा नहीं छोड़ेंगे… मेरी तो बस जान ही ले सकते हैं… पर मुझे तेरी चिंता है.. वैसे भी उस आनंद की गंदी नजर तुझ पर पहले से ही है… इसलिए सबसे पहले मुझे तुझे एक सुरक्षित जगह पर ले जाना होगा… ताकि आनंद तुझ पर हाथ ना डाल सके…
मैं: पर बाबा.. आप मुझे दूर भेजकर उनसे तो बचा लेंगे… पर आप और दादी..? आप दोनों को भी तो खतरा है..? और ऐसी कौन सी योजना है, जो उनको पता चल गई..?
बाबा: बेटा..! मैं इस कस्बे के बारे में सोचता हूं… यह पूरा कस्बा ही मेरा परिवार है और इन भेड़ियों ने इस कस्बे को अपनी अय्याशी का ठिकाना बना रखा है…. मेरे जीते जी यह कभी मैं होने नहीं दूंगा… पर एक धोखेबाज में मेरी पीठ पर छुरा भोंक दिया… वह कहते हैं ना रावण को हराना नामुमकिन होता, अगर जो विभीषण ने राम का साथ ना दिया होता… बस मैं भी इस कस्बे के विभीषण को समझ नहीं सका और उसे अपना हर राज बताता गया…
सुरैया फिर अंगद से कहती है… उस दिन तो मैंने बाबा से पूछा नहीं, पर अब समझ आ गया कि, वह विभूति काका के बारे में ही बात कर रहे थे… मैं इतना डरी हुई थी कि, बाबा को बड़े ही बेमन से सुन रही थी… हर वक्त ऐसा लग रहा था, मानो कोई अचानक सामने आ धमकेगा…
अंगद: पर तुम्हारे बाबा को जब पता ही था कि, तुम लोगों पर मुसीबत आने वाली है, तो फिर इतनी रात को तुम्हें लेकर उन्हें नहीं निकलना चाहिए था…
सुरैया: बात तो आपकी सही है.. पर अगर घर ही सुरक्षित ना हो तो फिर सुनसान सड़क का क्या कहना..?
अंगद: फिर आगे क्या होता है.?
सुरैया: आगे हम काफी देर से चले जा रहे थे, कि तभी एक बस आती दिखाई देती है… बाबा वह बस देखकर ना जाने क्यों घबरा गए..? क्योंकि इतनी रात को बस, वह भी सुनसान सड़क पर.? बाबा ने मुझे अपने पीछे कर दिया और वही सड़क किनारे रुक गए और बस के गुजरने का इंतजार करने लगे…
बस आकर हमारे सामने ही रुक गई और उसका ड्राइवर बाबा से कहता है… चलो भाई साहब..! कहीं छोड़ दूं क्या..?
बाबा: नहीं.. नहीं… हमारा घर पास में ही है.. बस पहुंचने ही वाले हैं.. वैसे इतनी रात को इस सड़क पर बस..? कहां से आ रहे हो भाई और कहां को जा रहे हो..?
ड्राइवर: अरे भाई साहब. ! तीर्थ यात्री हैं सभी.. बस अब सारे अपने घर को लौट रहे हैं..
बाबा और मैंने बस में झांका तो देखा कि, उस बस में बूढ़े.बच्चे औरत सभी बैठे हैं… तो बाबा को उस ड्राइवर की बात पर यकीन आ गया… हम अपने कस्बे से काफी दूर भी आ गए थे, इसलिए हमें आनंद और उसके आदमियों का डर नहीं था…
बाबा ने फिर उस ड्राइवर से कहा… भाई..! हमें क्या सबसे नजदीकी बस अड्डे तक छोड़ दोगे…?
ड्राइवर: पर तुमने तो कहा कि यही नजदीक ही तुम्हारा घर है… फिर अब बस अड्डा..?
बाबा: हां… वह अचानक इतनी रात को सुनसान सड़क पर बस देखकर डर गया.. इसलिए झूठ कह दिया… फिर हम दोनों बस पर चढ़ जाते हैं… और वही हमारी सबसे बड़ी भूल साबित होती है… क्या होती है वह भूल…?
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दर्द की दास्तान ( भाग-18 ) – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi