कहानी के पिछले भाग के अंत में आपने पढ़ा, के अंगद, माखनलाल ने इस कस्बे की खबर बाहर तक कैसे पहुंचाया.? और कैसे पुलिस वालों को इस कस्बे में चल रहे अपराध के बारे में बताया.? यह बताने वाला होता है…
अब आगे…
अंगद: माखनलाल, इस मास्टर की सारी करतूत एक मोबाइल में छुप छुप का रिकॉर्ड करता था… वह वीडियो आज भी है, हमारे पास…
दादी: मोबेल..? इ का होवत है..?
अंगद: दादी..! 1 मिनट.. यह कहकर वह एक अपने साथी पुलिस से, एक मोबाइल लाकर दादी को वह वीडियो दिखाने लगता है…
दादी: ई यंत्र तो बड़ा महंगो लागे है..? इतना महंगो यंत्र माखन के पास..? इतने पैसों तो ना रहो उका पास..?
अंगद: अब माखनलाल ने इसे कैसे खरीदा या फिर कहां से लाया..? यह तो मुझे नहीं पता… पर एक बात की तो दाद देनी पड़ेगी… एक छोटे से कस्बे में रहकर भी, वह खुद को आधुनिक बनाकर रखता था और शायद उसे गवार समझने वाले, यह सोचते थे कि उसे कुछ भी नहीं पता… शायद इसीलिए उसने अपनी बाजी मार ली…
दादी: अब हम का याद आए रहे हो, के काहे उ जमीन बेचने का लिए इतनो उतावला हो रहो थे, माखन…. शायद ए ही यंत्र खरीदने का चलते… पर ई काम उ हम सबका बताएं कि भी तो कर सकतो थे..
सुरैया: दादी..! आप तो उन्हें हर काम के लिए रोकती थी… ऐसे में वह अगर आपको बता देंते कि, वह एक मोबाइल खरीदना चाहते हैं, ताकि वह इससे आनंद मास्टर की करतूत रिकॉर्ड कर सके… तो क्या आप उन्हें खरीदने देती..?
दादी: फिर तो उ रात का घटना भी, इ यंत्र मां कैद होई..?
अंगद: नहीं… उस रात की कोई रिकॉर्डिंग नहीं है… इसलिए तो उनकी हत्या का राज हम नहीं जान पाए और वही जानने के लिए मुझे यहां भेजा गया… अब सुरैया ही बता सकती है… उस रात क्या घटा था…?
दादी: फिर बबुआ… हमरी सुरैया से ब्याह करना भी तुमरे काम का ही अंश होई… और हम पगली समझ रही थी कि, अब सुरैया की चिंता से हम मुक्त हुई गवा…
सुरैया: दादी..! अगर यह इनका काम का हिस्सा ना भी होता, तो भी मैं इस शादी को आगे नहीं बढ़ाती… क्योंकि मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती… और ना ही मैं तरस की वजह से किसी पर अपना भार देने वालों में से हूं…. मास्टर जी…! ओ नहीं.. नहीं… सर जी..! आपको मुझसे जो जानना है, मैं सब बताऊंगी… आपका बहुत-बहुत शुक्रिया… जो आपने मेरे बाबा की मेहनत और कुर्बानी को नजरअंदाज नहीं किया… और दादी की बातों का बुरा मत मानिएगा… वह तो बस मेरी चिंता की वजह से उन्होंने ऐसा पूछ लिया…
इससे पहले अंगद उसे कुछ कहता, या बता पाता… सुरैया के पेट में तेज दर्द होने लगा… वह जमीन पर बैठकर दर्द से छटपटाने लगती है…
दादी और अंगद उसे तुरंत उस कस्बे के बाहर, एक अस्पताल में ले जाते हैं… डॉक्टरी जांच से पता चलता है… उसका बच्चा 2 दिनों पहले ही मर गया था और उसे जो तुरंत निकाल ना गया तो, सुरैया का भी बच पाना मुश्किल है… खैर सुरैया का ऑपरेशन किया गया.. पर उसकी हालत थोड़ी नाजुक थी…
दादी बाहर बैठी परेशानी उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी… अंगद उनके बगल में जाकर बैठता है और कहता है… दादी..! परेशान मत होइए… सुरैया बहुत ही बहादुर लड़की है… देखिएगा, वह इस पल से भी बाहर आ जाएगी…
दादी: हम ए लिए परेशान नाही है कि ,उका तबीयत ठीक नाहीं… हम तो ए लिए परेशान है कि, उ ठीक हुई के भी अब का करी..? का बचो है ओ का जीवन मां..? बाप रहो नाही… बलात्कार, ऊपर से एक बच्चा रहो… जो तोसे थोड़ू आस रहो के, चलो… ओकार ब्याह हो गयो… ऊ भी अब नाही रहो… का होई ऐसन जीवन का..? एसे अच्छा तो इ मर जात…
अंगद: ऐसे मत बोलिए दादी..! सुरैया से मैंने शादी भले ही मैंने, अपने काम के लिए कि… पर अब मैं उसे सच में अपनी पत्नी मानता हूं… हां… अगर सुरैया इसे एहसान समझ कर, इस शादी को ना माने तो, मैं उस पर जोर भी नहीं डालूंगा…
दादी: का सच में तू अभई भी ओ का अपनी पत्नी मानत हो..?
अंगद: हां दादी…!
दादी: फिर सुरैया का दिमाग खराब हो गयो है कि उ इ ब्याह से इंकार करी…? ओकर तो ई सौभाग्य ह, जो तोहार जैसन पति ओके मिललै…
दादी के इस बात पर अंगद मुस्कुरा देता है… पर क्या वह सच में सुरैया के साथ अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहता था..? या फिर वह दादी की परेशानी खत्म करने के लिए, ऐसी बातें कर रहा था..? और सुरैया..? जब उसे होश आएगा, उसका क्या फैसला होगा इस बारे में…?
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दर्द की दास्तान ( भाग-17 ) – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi