*”दामिनी का दम”* (भाग-14) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

राजेश की कार तुफानी गति से पीएनबी बैंक की शाखा जवाहर नगर की तरफ भागी जा रही थी ।

दामिनी ने कहा बैंक से दूर किसी अंधेरी जगह पर गाड़ी खड़ी कर के तुम अपनी कार में बैठे रहना ।मेरे इशारे पर गाड़ी स्टार्ट कर तैयार रहना ।सावधान रहना कोई भी खतरा होने पर अपनी रिवाल्वर से मुकाबला करना ।हिम्मत रखना ।

राजेश अंदर से काफी डरा हुआ था ।लेकिन ऊपर से कहा _ जी मैडम  मैं बिलकुल तैयार रहूंगा ।

दामिनी ने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर पूछा पीएनबी बैंक की जवाहर नगर शखावीजिस पुलिस थाना के अंदर आती है उस थाना के ऑफिस इंचार्ज को फोन कर तुरंत अपने पुलिस दल के साथ बैंक के पास पहुंचने बोलो ।बैंक में आज रात डकैती होने वाली है।

राजेश बैंक के करीब पहुंच  कर उससे थोड़ी दूर एक अंधेरी जगह में अपनी कार रोक दिया ।किसी अनहोनी घटना के भय से उसके दिल की धड़कने  बहुत जोर जोर से धड़क रही थी ।इस तरह के हालात में वो पहली बार फंसा हुआ महसूस कर रहा था।

दामिनी और राजेश थोड़ी देर कार में ही बैठे रहे ।दामिनी बड़ी सावधानी से बैंक की तरफ और आसपास निगाह रखी हुई थी।उसने अपने हाथ में उसका सर्विस रिवाल्वर बड़ी मजबूती से पकड़ रखा था।

करीब आधा घंटा के बाद दामिनी ने देखा तीन मोटर साइकिल बैंक से थोड़ी दूर पर रूकी। उसमे दो दो लोग बैठे हुए थे यानी कुल छः लोग थे।लेकिन चेहरा पूरी तरह ढका हुआ था।

वे लोग बाइक पर बैठे हुए अगल बगल मुयायना कर रहे थे की कही कोई खतरा तो नही है ।उसमे से एक नकाबपोश ने किसी को फोन किया ।

थोड़ी देर में एक मारुति कार उन लोगो के पास आकर रूकी ।

उस कार से दो लोग उतरे ।उनके हाथो मे कटर मशीन थी ।पीठ पर बड़े बड़े बैग थे ।उनमें से एक एक आदमी बाइक और कार में ही बैठा रहा बाकी चार लोग चौकन्ना होकर बैंक की तरफ बढ़ने लगे ।

दामिनी ने अपनी घड़ी में देखा रात के दो बज रहे हैं।पुलिस कंट्रोल रूम में फोन किए हुए तीस मिनट बीत चुके थे लेकिन लोकल पुलिस थाना की टीम अभी तक नही पहुंची थी ।

दामिनी ने देखा वे लोग बैंक के गेट पर पहुंच कर उसके मोटे मोटे ताले और अलग से लगे हुए लोहे की छड़ों को अपनी कटर मशीन से काटने लगे।

शायद वो गैस से चलने वाली मशीन होगी क्योंकि एक आदमी के बैग में कोई सिलेंडर जैसा समान नजर आ रहा था।

कुछ ही पलों में ताला और लोहे की छड़े कट गई।दो लोगो ने बैंक का सटर ऊपर उठा दिया और आराम से बिना डरे सब लोग अंदर चले गए ।

दामिनी ने कहा _ राजेश तुम सावधान रहना मैं बैंक के अंदर जा रही हूं।

जैसे ही चारो अंदर गए थोड़ी देर में एक आदमी फिर बाहर आ गया और गेट का सटर गिरा दिया  और वही खड़ा रहा ।

शायद वो निगरानी कर रहा था ।अंदर अब तीन लोग थे।

दामिनी अंधेरे का फायदा उठाते हुए दबे पांव बैंक की तरफ बढ़ने लगी।

उसका इरादा बिना आवाज किए उस आदमी को काबू में करना था ।

बैंक के करीब पहुंचकर दामिनी ने बिना आवाज किए चिता की तरफ उछलकर एक छलांग मारी और सीधा उसकी छाती पर अपने पैर से प्रहार किया.प्रहार अचानक और इतना तेज था की वो आदमी बिना कोई चीख मारे पीठ के बल जमीन पर गिर पड़ा।

को अभी संभल पाता इससे पहले दामिनी ने लपकर उसकी गर्दन पर  अपनी हथेली से फिर प्रहार किया ।वो आदमी बेहोश होकर शांत पड़ गया।

दामिनी ने फुर्ती से गेट का सटर उठाया और अंदर जाकर फिर उसे नीचे गिरा दिया।

उसने अंदर नजर डाला बैंक का हॉल खाली था जहां दिन में ग्राहकों की भीड़ भाड़ रहती थी।

उसे अंदर केस रूम में कुछ काटने की आवाज आ रही थी ।

वो फुर्ती से उस तरफ बढ़ी ।उसने केस रूम के अंदर झांक कर देखा  दो लोग बक्सों के ताले काट रहे थे और एक आदमी अपने साथ लाए बैग में रूपयो की गड्डियों को भर रहा था।

तभी दामिनी ने अपनी रिवाल्वर उनपर तान कर बोली _ तुम लोग मेरे निसाने पर हो जरा भी हिले डुले तो तुम तीनो की खोपड़ी उड़ा दूंगी । अपने अपने हाथ ऊपर करो और बिना कोई चालाकी किए बाहर चलो।तुम लोग चारो तरफ से पुलिस द्वारा घिर चुके हो ।

तीनो को इसकी उम्मीद  ही नही थी की कोई लड़की उनको इस तरह बेबस कर देगी ।लेकिन वे लोग छंटे  हुए लुटेरे थे ।इतनी जल्दी हार मानने वाले नही थी।अचानक तीनो ने एक दूसरे की आंखो में इशारा किया और वहा रखी अलमारियों के पीछे दौड़कर छिप गए लेकिन तब तक दामिनी की गोली चल चुकी थी और एक आदमी के पैर में जाकर धंस गई एक दर्द से चीख पड़ा।

उसके पैर से खून बहने लगा था।फिर भी वो लगड़ाते हुए अलमारी के पीछे छिप गया।तभी दूसरे डकैत ने अपनी जेब से रिवाल्वर निकाल कर दामिनी पर फायर कर दिया।

दामिनी ने खुद को बचाते हुए एक अलमारी की आड़ ले ली।

उसने कहा_ देखो तुम दोनो चाहे जितनी कोशिश कर मुझसे बच नही पाओगे।इसलिए चुपचाप मेरे हवाले कर दो खुद को।

दामिनी ने देखा अलमारी के ओट से एक हाथ निकला जिसने रिवाल्वर चमक रहा था।वो गोली चलाता इससे पहले दामिनी ने निशाना लगाकर गोली चला गया।गोली ठीक निशाने पर लगी उसका हाथ लहूलुहान हो गया वो दर्द से चीख पड़ा।

थोड़ी देर बाद दोनो जख्मी डकैत अपना दोनो हाथ उठाए अलमारी से बाहर आ गए।

दामिनी ने उन्हें  अपने निशाने पर लिए हुए बैंक से बाहर आ गई।पहले वाला आदमी अभी भी बेहोश पड़ा हुआ था।

एक डकैत ने अपना हाथ उठाए हुए पूछा _ यदि आप पुलिस ऑफिसर हो तो आपने हमे बैंक लूटने से क्यों रोका इसमें तो पुलिस का भी हिस्सा था।

ओह अच्छा तो इसमें पुलिस का भी हिस्सा था।

क्या तुम इस बात की गवाही दोगे।

दामिनी ने आश्चर्य से पूछा।

बिलकुल देंगे जो सच है तो है ।हम हमेशा देते हैं।

सुनकर दामिनी को अपनी पुलिस  पर बहुत गुस्सा आया।लेकिन अब को हिस्सेदारी होगी ।अब सीधे जेल की हवाखोरी होगी।

दामिनी ने गुस्से से कहा।

तभी दोनो तेजी से अंधेरे की तरफ भागने लगे।दामिनी ने दनादन दो फायर झोंक दिए।दोनो होली दोनो डकैतों के पैरो मे लगी।दोनो लड़खड़ा कर गिर पड़े।

दामिनी ने दौड़कर दोनो को दबोच लिया।

गोली चलने की  आवाज सुनकर सारे डकैत सावधान हो गए।तीनो बाइक सवार ने अपनी अपनी बाइक स्टार्ट किया और भागने लगे।राजेश ने उनको भागते देखा तो आव न देखा ताव उसने दनादन रिवाल्वर से तीन गोलियां चला दिया.।दो गोलियां बेकार चली गई।लेकिन तीसरी गोली एक बाइक की पिछली टायर में धंस गई।बाइक कुछ दूर जाकर सड़क पर लहराने लगा और सामने डिवाइडर से टकरा गई।वो बाइक सवार बुरी तरह घायल होकर कराहने लगा।

बाकी दो डकैत भागने में सफल रहे।

मारुति कार में बैठा सवार भी हरकत में आया और गाड़ी स्टार्ट कर बंदूक की गोली की तरह भाग खड़ा हुआ।

राजेश ने कार स्टार्ट किया और दामिनी के पास पहुंच गया।

दामिनी ने पूछा तुम्हारे पास रस्सी होगी क्या।

जी मैडम सामान बांधने के लिए रखता हूं।राजेश ने कहा।

ठीक है निकालो जल्दी से।राजेश ने तुरंत कार की डिक्की खोलकर  रस्सी ले आया।

दामिनी ने कहा इन दोनो के हाथ पीठ के पीछे कर बांध दो।राजेश ने तुरंत सबको बारी बारी से बांध दिया।

दामिनी ने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर तुरंत एक पुलिस की जिप और एक एंबुलेंस भेजने को कहा।

राजेश ने कहा_ मैडम वो मारुति वाला तो भाग गया।

भाग कर जायेगा कहा ।उनके साथी पकड़े गए हैं वे भी पकड़ा जायेंगे।

इतनी देर हो गई लेकिन अभी तक लोकल पुलिस नही आई मैडम।

कैसे आयेंगे वे लोग भी इनसे मिले हुए थे।सारे के सारे पुलिस थाने एक जैसे ही है ।लेकिन सबको सुधार दूंगी तुम देखते जाओ।

थोड़ी देर में एक पुलिस की जिप और एक एंबुलेंस आ गई।

दामिनी ने कहा इन सबको बैंक डकैती करते हुए पकड़ा गया है।सबसे पहले इनको अस्पताल ले जाकर भर्ती करवाओ और इनपर डकैती का केस दर्ज करवाओ।एक डकैत बेहोश पड़ा हुआ है और बाकी लोग भागने में सफल रहे हैं।दामिनी ने कहा ।

पुलिस ने पूछा लेकिन आप कौन हैं।

दामिनी ने कहा _ कल पता चल जायेगा अब जल्दी जाओ इनका पहले इलाज करवाओ। उधर एक बाइक सवार भी घायल पड़ा है राजेश ने कहा ।लेकिन वो कैसे घायल हुआ दामिनी ने आश्चर्य से पूछा।

आप ही ने तो कहा था की खतरा देख गोली चला देना ।तीनो भाग रहे थे ।मैने तीनो पर  गोली चलाया लेकिन निशाना एक ही पर लगा।

राजेश ने कहा।

उसकी बात सुनकर दामिनी ठहाका मारकर हंसने लगी और बोली वाह राजेश तुमने तो कमाल कर दिया ।मुझे तो विश्वाश ही नहीं हो रहा है।

सबके जाने के बाद दामिनी ने कहा,_ अब सीधे मेरी कोठी पर चलो थोड़ी देर में चार बजने वाले है ।तुम चाहो तो वही सो जाना।

अचानक दामिनी को कुछ याद आया उसने पुनः पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर कहा _ जल्दी पुलिस को फोन कर पीएनबी बैंक जवाहर नगर थाना में ताला लगवा दो ।उसका ताला टूटा हुआ है।

फिर उसने राजेश से कहा _ अभी थोड़ी देर और रुकना पड़ेगा ।बैंक को खुला छोड़कर नही जा सकते हैं। बैक का ताला और  केस रूम सब खुला हुआ है।लेकिन एक आदमी कहा गया ।बैंक में तीन आदमी घुसे थे ।मिले दो ही ।चलो चलकर देखते हैं।दोनो जब स्ट्रॉन्ग रूम में गए वहा एक आदमी बेहोश पड़ा हुआ था।

दामिनी ने कहा इसे उठाकर ले चलो बाहर इसे भी अस्पताल भेजना पड़ेगा।

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*”दामिनी का दम”* (भाग-15) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

लेखक_ श्याम कुंवर भारती

बोकारो झारखंड

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