संजय सिर पर पैर रख कर भागा।दामिनी उसकी हालत देखकर मुस्कुराने लगी।तुम्हारी ही नहीं मैं सबकी शरीर की चर्बी आधा किलो कम कर दूंगी ।जितना आराम फरमाया है सबने और मनमानी किया है अब सब बंद हो जाएगा।
अब शहर में कानून का राज होगा ।
उसने मन ही मन खुद से कहा।
थोड़ी देर में हांफता हुआ संजय फिर उसके बाद आया।
मैडम जैसा आपने कहा है मैने वो सारा काम कर दिया है।सभी संबंधित लोगो को काम पर लगा दिया है।थोड़ी देर में उसकी रिपोर्ट आपको मिल जाएगी ।उसने अपनी सांसों को संयत करते हुए कहा ।
ठीक है मैं इंतजार कर लेती हूं ।दामिनी ने कहा।
मुझे जिला के अंदर सभी पुलिस के मुखबिरो (गुप्तचरो)की सूची भी चाहिए ।दामिनी ने अगला आदेश दिया।
मैडम उसकी सूची ज्यादा मैं दे नही पाऊंगा।क्योंकि बहुत सारे पुलिस ऑफिसर अपने निजी मुखबिर बनाकर रखे होते है जिनके बारे में किसी को पता नही होता है लेकिन कुछ मुखबिर है जो ओफिसियली सबको पता होता है उनकी लिस्ट मैं आपको दे सकता हूं।संजय ने कहा।
ठीक है तुम्हारे पास जो है वही दो।दामिनी ने कहा।
तभी उसके पास पुलिस के जवानों और ऑफिसरों के बकाए बिल ,मेडिकल बिल,पेंशन ,वर्दी , जूतों, हाउस रेंट, टी ए/डी ए का बिल और कई तरह के बिलों की फाइल आई।सबको देखकर दामिनी ने नाराज होते हुए कहा _ यह सब क्या है संजय इतनी जरूरी बिल्स है सब ।इनका अबतक भुगतान क्यों नही हुआ.।जो पुलिस रात दिन अपनी जान की बाजी लगाकर अपनी ड्यूटी करती है ।उसके बिल इतने महीनो से क्यों रोक कर रखा है।
मैडम मैने इस फाइल को पिछले साहब को कई बार दिया था लेकिन एसपी साहब इस फाइल को हमेशा लौटा देते थे।संजय ने डरते हुए कहा।
देखो चाहे सबकी सैलरी की फाइल हो या किसी के किसी भी तरह का बिल हो उसे तुरंत मेरे पास भेजा करो।
मुझे जब भी मौका मिलेगा मैं उस पर साइन कर के भेज दूंगी ।
बाकी फर्मालिटी तुम जल्दी निपटा कर सबका पेमेंट तुरत करवाया करो।
अगर कोई रोकता है तो फौरन मुझे बताओ।सबका हक है कोई अपनी जेब से नही देता है किसी का पेमेंट ।सरकार देती तो फिर डिले क्यों करना है।
तुम चाहो तो आधी रात में भी मेरे बंगले पर आकर सबके पेमेंट की फाइल साइन करवा लिया करो ।मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा।
जी मैडम संजय ने अपने माथे का पसीना पोंछते हुए कहा।
क्योंकि वो जानता था ये सब उसी की वजह से फाइल रूकी थी ।
जो उसको पैसा नही देता था वो उसका बिल पास नहीं होने देता था।
दामिनी ने घंटी बजाकर अपने सहायक को बुलाया और ऑफिस इंचार्ज और केसियर को बुलाने के लिए कहा।
थोड़ी देर में दोनों हाजिर थे ।
दामिनी ने उन दोनो को डांटते हुए कहा_ यह सबके पेमेंट और बकाया भुगतान की फाइल है आप दोनो ने पिछले साहब से पास क्यों नही करवाया।
दोनो संजय की तरफ देखने लगे।
दामिनी ने कहा तुम दोनो इसकी तरफ क्यों देख रहे हो।में तुम दोनो से पूछ रही हूं।
ऑफिस इंचार्ज ने कहा _ मैडम मैं तो हमेशा फाइल आगे बढ़ाता था लेकिन उनको साहब तक पहुंचाना तो संजय सर का काम होता था।
केसियर ने कहा _ मेरे पास भुगतान करने का आदेश आए तब तो मैं किसी का भुगतान करूं।
दामिनी ने गुस्से से संजय की तरफ देखा और कहा _ सच सच बताओ क्यों अब तक फाइल साइन नही हुई वरना तुम्हारी खैर नहीं ।
संजय थर थर कांपने लगा और बोला जी मैडम मेरी ही गलती से फाइल साइन नही मिली क्योंकि मुझे सब मेरा कमिसन नही देते थे।
उसकी बात सुनकर दोनो आवाक रह गए।
मुझे बहुत शर्म आ रही है की एसपी ऑफिस रजब तुम्हारे जैसे भ्रष्ट लोग रहेंगे तो पूरे जिले का पुलिस प्रशासन का का क्या हाल होगा।
दामिनी ने _ कहा मैं तुम्हे एक सप्ताह के लिए सस्पेंड करती हूं।बड़े बाबू तुरंत एक लेटर तैयार कर लाए मैं साइन कर देती हूं।और मेरे लिए दूसरा कोई ईमानदार सहायक सचिव तुरंत नियुक्त करे ।में ऐसे भ्रष्ट लोगो को अपने पास नही रख सकती ।
अब तुम जा सकते हो।
मुझे माफ कर दीजिए मैडम यहां मैं ही नही लगभग सारे लोग कमीसन खाते हैं।संजय ने हाथ जोड़कर कहा।
मैं बाकी लोगो को भी देख लूंगी अभी तुम जाओ यहां से दामिनी ने गुस्से से कहा।
बड़े बाबू आप फाइल लेकर जाए मैं साइन कर देती हूं।
संजय के जाते ही दामिनी ने ऑफिस इंचार्ज से कहा _ मेरे ऑफिस में आज के बाद कोई लापरवाही और कोई भ्रस्याचार बर्दास्त नही किया जाएगा।इसका ख्याल रखे।
जी मैडम ऑफिस इंचार्ज ने कहा।
दामिनी ने केसिया से कहा _ बड़े बाबू पूरी फाइल चेक कर तुम्हारे पास भेज देंगे तुम कल से ही सबका बकाया भुगतान करना शुरू कर दो।
जी मैडम ।अब तुम दोनो जा सकते हो।
वे दोनो फाइल लेकर चले गए।
दामिनी बाकी फाइलों को देखने लगी।
राजेश एसपी कोठी को देखकर हैरान रह गया।
बहुत बड़ी कोठी थी ।जिसमे कई कमरे और सारी सुविधाएं थी। वहा दरबान,रसोइया,ड्राइवर,गाड़ियां सभी थे।बड़ा सा बगान था जिसमे तरह तरह के फूल लगे हुए थे।कुछए सब्जियां भी लगी हुई थी । वहा भी एक बड़ा सा ऑफिस थे जिसने काफी लोग काम कर रहे थे।
कई जवान सुरक्षा में खड़े थे उनके पास बंदूके थी।
राजेश ने एक सिपाही से पूछा मैडम का कमरा कौन सा है मुझे उनका समान रखना है।
आओ मेरे साथ उस सिपाही ने कहा।राजेश उसके पीछे पीछे चल दिया।
सिपाही एक बड़े से कमरे के पास ले गया।चाबी से कमरे का ताला खोला ।
कमरा खुलते ही राजेश हैरत से कमरे की सजावट देखने लगा।
बड़ा सा पलंग था,बगल में सोफासेट, कई लकड़ी की भी कुर्सियां और टेबल थे।बड़ा सा टीवी था । बड़ी बड़ी खिड़कियों पर बड़े सुंदर पर्दे लगे हुए थे।दरवाजे पर भी पर्दा टांगा हुआ था।
नीचे कालीन बिछा हुआ था। कमरे में एसी लगा हुआ था।
पंखा और कुकर भी था।जब जिसको चाहो खोलकर आराम किया जा सकता था।
राजेश ने उस सिपाही से कहा चलो मेरे साथ मैडम का सामान मेरी कार की डिक्की में है।
राजेश के साथ जो सिपाही आया था वो वही कार के पास खड़ा उसके आने का इंतजार कर रहा था।
राजेश ने कार की डिक्की से दामिनी के तीनो बैग निकाल दिया।वो एक बैग उठाने लगा लेकिन दोनो सिपाहियो ने कहा आप रहने दो हम दोनो ले जाएंगे।आप ऑफिस चले जाए।
राजेश अपनी कार लेकर वापस लौट गया।
उसने मन में सोचा इतनी बड़ी कोठी मैडम को मिली हुई और तब मैडम रातभर मेरे साथ रात भर इधर उधर क्यों भटक रही थी ।सुबह मेरे यहां आराम किया फिर खाना भी खाया।
बड़े ताज्जुब की बात है ।वो चाहती तो बड़े आराम से अपनी कोठी में आकर सो सकती थी ।लेकिन नही उनको तो सारे पुलिस से पंगा लेना था।
जैसे ही वो एसपी ऑफिस पहुंचा एक सिपाही ने आकार उससे कहा _ तुम अभी आ रहे हो मैडम कबसे तुम्हे बुला रही है ।वो तुरंत दौड़ता हुआ सीढ़ियों से होता हुआ दामिनी के चेंबर के पास पहुंच गया।
एक सिपाही ने कहा रुको मैडम अभी एक साहब से बात कर रही है उनके बाहर आते ही तुम जाना ।
राजेश दरवाजे पर रुक गया।
थोड़ी देर में एक पुलिस ऑफिसर बाहर निकला।उस सिपाही ने उसे अंदर भेज दिया।
राजेश को देखते ही दामिनी ने कहा _ तुम कहा रह गए थे मैं कबसे तुम्हे खोज रही हूं।
जी मैडम मैं तो आपकी कोठी में आपका सामान देकर आपके दरवाजे पर खड़ा था लेकिन वो सिपाही अंदर नही आने दे रहा था।
दामिनी ने घंटी बजाया वो सिपाही तुरंत हाजिर हुआ ।
दामिनी ने कहा_ देखो अब जब भी राजेश आए इसे तुरंत मेरे पास भेज देना ।
जी मैडम इतना कहकर वो सिपाही बाहर चला गया।
दामिनी ने कहा _ तुम अपनी मां को फोनकर बोल दो मेरा भी रात का खाना बना देंगी ।आज रात का खाना भी तुम्हारे घर पर ही करूंगी ।लेकिन चिंता मत करो मैं वहा रुकूंगी नही क्योंकि अब तक बहुत लोगो को मेरे बारे में पता चल चुका होगा ।तो मैं तुम सबको खतरा में डालना नही चाहती ।
अब मैं अपनी कोठी पर चलूंगी तुम्हारी कार में। वहा से फिर तुम्हारे घर चलूंगी ।
दामिनी उठ कर खड़ी हो गई ।तुरंत एक सिपाही ने दरवाजा खोला ।एक सिपाही ने ढेर सारी फाइल उठा लिया ।
दामिनी ने कहा _ तुम इसे लेकर मेरी सरकारी गाड़ी में बैठ जाना।मैं राजेश की कार में बैठूंगी ।
जी ठीक है मैडम ।
दामिनी ने नीचे उतरते ही सभी पुलिस के जवान और ऑफिसर उसे सैल्यूट करने लगे ।
राजेश आगे पहुंचकर अपनी कार स्टार्ट कर चुका था।एक सिपाही ने उसकी कार का पिछला गेट खोल दिया ।दामिनी उसमे बैठ गई । कार आगे बढ़ चुकी थी ।उसके पीछे अभी भी पुलिस की दो गाड़िया सुरक्षा में लगी हुई थी ।
दामिनी के कार में बैठते ही राजेश ने उससे पूछा मैडम एक बात पूछूं।
हा पूछो दामिनी ने कहा।
आपको जब इतना शानदार बंगला या कोठी मिली हुई थी तब आप मेरे साथ रात भर क्यों भटकती रही थी।खुद भी जागती रही सबसे लड़ती झगड़ती रही थी और मुझे भी जगाया।
दामिनी हसने लगी ।
अब तो तुम जान ही चुके हो मैं कौन हूं ।मैं यहां आराम करने नही आई हूं।बहुत सारे काम करने है ।इस शहर में कानून का राज स्थापित करना है ।बोलो भला मैं कैसे आराम कर सकती हूं।
उसका जवाब सुनकर राजेश गंभीर हो गया।वो मन ही मन उसकी तारीफ करने लगा।
वाह मैडम आपसे मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं।माफ करे मैने आपसे कैसा सवाल कर दिया था।
एक बात सुनो अगर तुम चाहो तो आज की रात भी तुम मेरे साथ शहर के दौरे पर चल सकते हो तुम्हारी मर्जी है।वैसे तुम आराम भी कर सकते हो ।भाड़ा तुम्हारा मिल जाएगा।
राजेश ने पूछा मैडम जब आपके पास कई पुलिस की गाड़िया है,पुलिस के पूरी फोर्स है फिर मुझे क्यों ले जाना चाहती हैं।मुझे तो मेरा भाड़ा मिल जायेगा।
अभी मैं को किसी को बिना बताए दौरा करना चाहती हूं ।हो सकता है पुलिस के लोग भी अपराधियों से मिले हुए हो ।मैं सबको रंगे हाथों पकड़ना चाहती हूं।
कल रात तुम अपने कार मालिक से बोलकर अपनी कार बदल लेना ।हमलोग दूसरी कार से चलेंगे।ताकि कोई पहचान न सके ।तुम भी अपना ड्रेस बदल लेना ।
कल रात इसलिए मैने तुम्हारी गाड़ी भाड़ा में ली थी ।लेकिन मुझे क्या मालूम था तुम इतने सीधे साधे और डरपोक होगे।दामिनी ने हंसते हुए कहा।
राजेश ने कुछ नही कहा एसपी कोठी आ चुकी थी।एसपी कोठी के सभी ऑफिसर और पुलिस के जवान दामिनी का इंतजार करते हुए खड़े थे।
अगला भाग
*”दामिनी का दम”* (भाग-13) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi
लेखक_ श्याम कुंवर भारती
बोकारो झारखंड