दाग – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : लड़की जात हैं पुत्तु तेरी छोरी..तुझे दिखता नहीं सयानी हो गयी हैं … कहीं ऊँच नीच हो गयी ,चरित्र पर कोई दाग लग गया तो पूरी बिरादरी में नाक कट जायेगी.. फिर चांट लेना इसकी पढ़ाई … बड़ा आया इसे कलेक्टर बनाने वाला… खूब पढ़ ली ये रिशु….

इतना तो कोई छोरी ना पढ़ी हमाई तीन पुश्तों में… अब क्या बूढ़ी करेगा इसे… देखा नहीं कैसे गांव के छोरे इसे परेशान करते हैं… हर दूसरे दिन टेसू बहाती हैं…. कब तक मारेगा तू सबको… आज अम्मा कमलावती मुंह में पान दबाये बोले ही जा रही थी …

तो क्या अम्मा उनके डर से घर में छुपा लूँ रिशु को…छोरी पढ़ना चाहे हैं तो क्या उसे ना पढ़ने दूँ … मैं तो पढ़ ना पाया… बापू के साथ लगा रहा खेतों में… मैं भी पढ़ जाता तो चच्चा के छोरे मिंटू की तरह नौकरी कर रहा होता.. यहां खेतों में पसीना तो ना बहाना पड़ता… उसके बाद भी पैसों की कितनी तंगी हैं,,

देख ही रही हो अम्मा… हमाई रिशु पढ़ लिखकर अफसर बन जायेगी तो अलग ही ठाठ बाट होंगे… वो रोज अखबार में आता हैं,, रिक्शे वाली की लड़की अफसर बनी, मोची की लड़की अफसर बनी, सफाई वाले की और भी जाने किन किन की… ऐसे ही एक दिन मेरी रिशु का भी नाम आयेगा… देखना अम्मा…

तभी इतनी देर से कमरे की ओट से अम्मा , बापू की बातें सुन रही रिशु आंसू पोंछ बाहर आयी…

बापू अब ना रोऊंगी मैं उन छोरों की वजह से… मैं बड़ी हो गयी हूँ.. खुद अपनी समस्या का हल निकालूंगी … तुम मत मारना किसी को भी… बस अपना काम देखो… मैं पढूँगी भी और हिम्मत से सबका सामना करूंगी … बापू, मैने टीवी में देखा हैं.. जो अफसर बनते हैं उन्हे गाड़ी, बंगला सब मिलता हैं… रिशु की आँखों में अलग ही चमक थी …

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हाँ बिट्टी ,, गाड़ी , बंगला ही नहीं नौकर चाकर भी मिलते हैं.. सब सलाम अलग करते हैं…

अच्छा बापू… तो फिर तुमे , अम्मा और माँ को लेकर उसी बंगले में रहूँगी .. माँ के हाथों में छाले हो गए हैं… कैसी सुख गयी है काम कर करके , वो आराम करेंगी बंगले … सब काम नौकर किया करेंगे… चहकती हुई रिशु बोली…

बड़ी आयी हम सबको बंगले पर रखने वाली… तू ना जाने हैं छोरी… लड़की को ब्याह कर दूसरे घर जाना होता हैं… माँ बाप कभी ना जायें हैं छोरी के घर … कितनी कही पुत्तु से एक बार और देख ले शायद अबकी छोरा हो जायें .. अबकी तो उस बाबा ने भी कही छोरा ही होगा.. पर एक न मानी पुत्तु ने … तीन तीन छोरियों का बोझ और आ गया मेरे पुत्तु पर…

क्या अम्मा , छोरी कोई बोझ नहीं होती… मैं बापू के कांधे से कांधा मिलाकर चलूँगी … मैं ना करूँगी ब्याह … तुम्हारे सर पर ही नाचती रहूँगी अम्मा. .. रिशु अपनी अम्मा के गाल खींचते हुए हंसकर बोली…

जा जा बड़ी आयी ब्याह ना करने वाली… देख कैसे मेरे गाल लाल कर दिये इसने .. हमेशा परेशान करें हैं मुझे…

सब अम्मा की बात सुन हंसने लगे…

बापू मैं जा रही कोचिंग … आईएएस की पहली परिक्षा एक महीने बाद ही हैं… मुझे मन लगाकर पढ़ना हैं… तुमने मेरी पढ़ाई के मारे खेत भी गिरवी रख दिये हैं…

तू पैसे रूपये की मत सोच बिट्टी … वो सब मैं देख लूँगा… तू बस मन लगाकर पढ़…

रिशु आज जैसे ही सायकिल से आधे रास्ते पहुँची , सब लड़कों ने आज उसे घेर लिया…

आज तो तुझे छोड़ेंगे नहीं… कयामत ढा रही हैं… ए सुमी छोरी को पकड़ तो सही आगे से…. रिशु घबरा गयी… फिर बापू को याद कर हिम्मत जुटा उसने अपना बैग जोर से एक लड़के के सर में दे मारा … बैग में रखी पानी की भारी बोतल उसके सर में लगी… खून बहने लगा….

तांव में आ उस लड़के ने दहाड़ मारी…मुझे मारेगी ये दो कौड़ी की लड़की… पकड़ लो सब इसे चारों तरफ से…. आज इसे बताता हूँ…. वो लड़का रिशु के कपड़े फाड़ने ही वाला था की रिशु ने उसके हाथ में जोर से काट लिया… गुस्से में दूसरे लड़के ने रिशु के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया….

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रिशु तिलमिला उठी … जोर से चिल्लायी … उसकी आवाज सुन दो तीन लोगों के आने की आहट हुई… सारे लड़के पकड़े जाने के डर से भाग निकले… रिशु को बहुत जलन हो रही थी .. उन आदमियों ने उसे पास के अस्पताल में भर्ती करा दिया … रिशु के बापू ,अम्मा , माँ अस्पताल पहुँचे …

मैने पहले ही कहा था … लड़की जात हैं… घर में ही रख…. पर ये नहीं माना … ज़िन्दगी भर का दाग लगा दिया छोरी के चेहरे पर… बदनामी अलग हो गयी बिरादरी में… अब कौन ब्याहेगा इसे … जब हमसे नहीं देखी जा रही तो कोई लड़का कैसे ब्याह करेगा इससे …अम्मा बोले जा रही थी …

बस करो अम्मा,, मेरी बिट्टी बहुत दर्द में हैं…ऐसी बातें बोल उसका दर्द मत बढ़ा … माँ ने रिशु के आंसू पोंछे ….

रिशु कुछ ना बोली… बस इतना बोली… बापू मुझे घर ले चलो… 10 दिन बाद परिक्षा हैं….

घर आकर बिस्तर पर 24 घंटे रिशु बस किताबों में डूबी रहती… कोई आता कुछ कह जाता, कोई कुछ… थोड़ी देर रो लेती ,, फिर हिम्मत जुटा पढ़ने में लग जाती… परिक्षा पास आ गई… बंशी वाले का नाम ले चेहरे पर दुपट्टा बांध , माँ बापू का आशिर्वाद ले बापू के साथ परिक्षा देने गयी…. वहां सेंटर पर दुपट्टा हटाने के लिए कहा उससे .. उसका चेहरा देख आस पास के सभी लोग भयभीत हो गए….

रिशु परिक्षा के बाद बिना रिज़ल्ट का इंतजार किये मुख्य परिक्षा की तैयारी में लग गयी … कुछ दिनों में रिजल्ट आया… रिशु परिक्षा पास कर चुकी थी … पर उसने किसी को नहीं बताया… दूसरी परिक्षा भी देकर आयी… उसमें भी सफल हुई…

अब बारी थी साक्षात्कार की… उसे भी उसने पूरे आत्मविश्वास के साथ दिया… साक्षात्कार की टीम ने भी पूछा – इतना आत्मविश्वास इस परिस्थिती में कैसे हैं आपमें बेटा…. बस रिशु इतना बोली… माँ बापू का चेहरा देख आत्मविश्वास और हिम्मत अपने आप आ जाती हैं सर…

आज बापू के पास प्रधान जी अखबार लेकर आयें… ए रे पुत्तु … देख ये तेरी छोरी रिशु ही हैं ना … चेहरा पहचान नहीं आ रहा …

हां,माई बाप… मेरी बिट्टी हैं… पर इसकी फोटो क्यूँ आयी हैं… वो डर गया कहीं वो लड़कों वाली घटना तो नहीं छपी कहीं…. बापू ने अपनी आँखें मल दुबारा देखा… ये क्या बिट्टी मेरी अफसर बन गयी…

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ए अम्मा , ए रिशु की माँ, देखो तो सही अपनी बिट्टी अफसर बन गयी… आज बापू ख़ुशी से पागल सा हो गया था … बेटी रिशु ने अपने चेहरे पर लगा दाग अपनी काबिलियत से

धुंधला जो दिया था … बापू ने रिशु को कांधे पर बैठा लिया… पूरा गांव आज रिशु की वाहवाही कर रहा था … गांव से पहली लड़की अफसर जो बनी थी ….

स्वरचित

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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