दादी ने अपनी लाडली पोती से कहा — देखो मानसी अब तुम्हारा सम्बन्ध पक्का होगया । रोका हो गया । एक बात गांठ बांध लो बेटा ससुराल की बड़ी बहू बन कर जा रही हो । सम्बन्धों को एक जगह बांध कर रखना तुम्हारी परीक्षा है।
मानसी– दादी आपने मुझे जो संस्कार दिये हैं आपको शिकायत नहीं मिलेगी ।
यह वार्तालाप दादी पोती के साथ चल रहा था । मानसी चाचा ,बुआ ,दादा दादी सबकी बहुत लाड़ली थी । इस पीढ़ी की सबसे बड़ी बेटी । तीनों चाचा ,चाची,बुआ संयुक्त परिवार । सबके पास लड़के यानि 8 लड़को ( भाईयों ) के बीच अकेली बहन । मानसी की मम्मी लता भी तो इस घर में आई वह तो मां बाप की अकेली बेटी थी परिवार के नाम पर लता,मां और पापा पर मानसी की दादी ने लता का रिश्ता ही स्वीकार किया । सबने कहा कि तुम गलत बहू चुन रही हो इतने ननद देवरों से कैसे ताल मेल बिठायेगी । मानसी की दादी ने कहा- यह तो समय बताएगा ।
आज लता की शादी को 25 साल हो गये । सब देवर ननद की शादी हो गयी । अब तो उसकी बेटी का भी रोका होगया । लता जिसदिन विदा होकर आई मानसी की दादी ने कहा बेटा यह अब तुम्हारा घर है परिवार को तोड़ना या जोड़ना तुम्हारे ऊपर है। छोटी छोटी बातों को धूल की तरह झाड़ दोगी तो सम्बन्ध निखर जायेगे और् यदि उन बातों को तूल दोगी तो बिखर जायेगे । यह वाक्य अपने आप में बहुत गम्भीर थे । उसने देवर ,देवरानी ननद सबको छोटे भाई बहन समझ कर प्यार दिया । सासुजी और अपनी बेटी का वार्तलाप वह अन्दर सुन रही थी और सोच रही थी क्या यह मेरी तरह बन पायेगी क्योंकि जब घर में देवरानियों के स्वर वगावत के हुये उसने सासुजी को बहुत प्यार से समझाया मां इतना बड़ा घर है सब अपनी अपनी पसंद से खाना पीना रहना चाहते हैं क्यों ना सबकी रसोई अलग कर दें इतना बड़ा घर है रहेगें फिर भी साथ । सासु मां को यह बात पसंद आई क्योंकि सासुजी के अनुभव पर लता आज तक खरी उतरी थी और आज भी लता का परिवार एक छत्त के नीचे संयुक्त रूप से सुख दुख में साथी थे । अचानक बाहर आकर देखा मानसी दोनों चाचियों के साथ मस्ती कर रही थी और दादी चिल्ला रही थी कि इसे बिगाड़ो मत चाचियां भावुक होकर बोल रही थी अम्मा चिड़िया है उड़ जायेगी अपने परिवार को संभालने के लिये ।
स्वरचित
डा. मधु आंधीवाल
अलीगढ़