आत्मग्लानि – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “आपका बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर साहब मेरी पत्नी की सफलतापूर्वक डिलीवरी कराकर मेरी बेटी और पत्नी का जीवन बचाने  के लिए मैं तो उसके जीने से गिरने की खबर सुनकर बेहद घबरा गया था” रघुनाथ ने डॉक्टर महेश से कहा तो महेश मुस्कुराते हुए बोला”

धन्यवाद मेरा नहीं अपने छोटे भाई सचिन का कीजिए यदि यह सही समय पर आपकी पत्नी को अस्पताल नहीं लेकर आते तो ज्यादा खून बहने की वजह से आपकी  पत्नी और बेटी की मौत भी हो सकती थी”

डॉक्टर की बात सुनकर रघुनाथ ने जब सचिन की तरफ देखा तो उसे देखकर रघुनाथ का सर आत्मग्लानि के कारण नीचे हो गया था सचिन उसके चाचा का इकलौता बेटा था सचिन जब 10 वर्ष का ही था कि तभी दिल का दौरा पड़ने के कारण उसके पापा की मौत हो गई थी

घर में उस वक्त कमाने वाले उसके पापा ही थे मम्मी घर पर रहकर घर का काम संभालती थी एक छोटी बहन भी थी उसका नाम शारदा था जिसकी उम्र उस वक्त मात्र 3 साल की थी उनके पास काफी सारी जमीन थी जिस पर खेती करके उसके पापा अपने परिवार का पालन पोषण करते थे ।

      पापा के जाने के बाद स्कूल से आने के बाद खेती करने में सचिन अपनी मां सुनीता का पूरा सहयोग करता था जिसके कारण उनके पास काफी पैसा जमा हो गया था उसे पैसे से सचिन ने अपने गांव में एक परचून की दुकान खोली थी जिसमें से उसे काफी अच्छी आमदनी हो जाती थी जिससे आसानी से घर का खर्चा चल जाता था और उसकी और शारदा की पढ़ाई भी आसानी से हो जाती थी

शिक्षा पूरी करने के कुछ वर्ष बाद जब सचिन युवा हुआ तो उसकी मम्मी ने एक खूबसूरत लड़की सरिता के साथ उसका विवाह करा दिया था विवाह के कुछ साल बाद ही जब सचिन एक बेटे अंश और बेटी कृष्णा का पिता बना तो उसकी खुशहाली देखकर उसके ताऊ के लड़के रघुनाथ को जलन सी होने लगी थी  वह मन ही मन सचिन को अपने रास्ते से हटाकर उसकी सारी जमीन का मालिक बनना चाहता था

इस कहानी को भी पढ़ें:

त्याग का रिश्ता… – विनोद सिन्हा “सुदामा”

अपनी ख्वाहिश  को सफल बनाने के लिए उसने सचिन को अपने मार्ग से हटाने की एक योजना बनाई एक दिन सचिन जब घर का कुछ सामान लेने के लिए बाजार की तरफ जा रहा था तब उसे वापस लौटते वक्त  काफी देर हो गई थी दिन  छिप गया था और रात हो गई थी तब अंधेरे का लाभ उठाते हुए रघुनाथ ने उसे अपनी मोटरसाइकिल से पीछे से टक्कर मार दी थी और उसे सड़क पर मरा हुआ समझकर अपने घर की तरफ रवाना हो गया था

टक्कर लगने से सचिन बेहोश हो गया था कुछ समय बाद जब उसे होश आया तब वह एक राहगीर की मदद से अपने घर आ गया था घर आने के बाद जब उसने अपने साथ हुई घटना अपनी मम्मी सुनीता को बताई तो उन्होंने उसे  पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करने की सलाह दी तब सचिन मुस्कुराते हुए अपनी मम्मी से बोला”मम्मी जी मैं भगवान राम का परम भक्त हूं

मुझे अपने भगवान पर पूरा भरोसा है जिसने भी मेरे साथ ऐसा बुरा व्यवहार किया है देखना एक दिन भगवान उसके इस कर्म की सजा जरूर देंगे क्योंकि ईश्वर के दरबार में देर है अंधेर नहीं”सचिन की बात सुनकर उसकी मम्मी खामोश हो गई थी।

         इस घटना के कुछ समय बाद एक दिन जब सचिन अपने खेत में कुछ काम कर रहा था तभी उसे सूचना मिली रघुनाथ की घरवाली मोनिका जो नौ माह की गर्भवती थी छत पर कपड़े सुखाने जा रही थी जब वह कपड़े सुखाकर जीने के रास्ते नीचे की तरफ आ रही थी तब अचानक पैर फिसलने के कारण वह जीने से लुढ़कती हुई नीचे आ गई थी

रघुनाथ की तरह मोनिका भी गुस्सैल स्वभाव की थी जो बेवजह अपने जेठ जिठानी से लड़ती झगड़ती रहती थी उसके  उसी स्वभाव को याद करके किसी ने मोनिका की मदद नहीं की जब सुनीता को  मोनिका के गिरने का पता लगा तो उसने उसी वक्त सचिन को बुलाकर मोनिका को अस्पताल में भर्ती करने को कहा तब कहीं मोनिका और उसके बच्चे की जान को कोई नुकसान ना हो यह सोचकर सचिन अपना सारा काम छोड़कर तुरंत  मोनिका को लेकर अस्पताल में पहुंचा जीने से गिरने की वजह से मोनिका के शरीर से रक्त बहना शुरू हो गया था

उस वक्त भी उसके शरीर से बहुत ज्यादा खून बह रहा था  डॉक्टर ने उसकी हालत देखकर तुरंत कार्रवाई करते हुए उसका इलाज करना शुरू कर दिया था सही समय पर सही इलाज मिलने के कारण जब मोनिका ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया तो उसे देखकर सचिन ने राहत की   सांस ली थी।

 उस वक्त रघुनाथ किसी काम से घर से बाहर गया हुआ था जब वह काम समाप्त करके घर आया तो मोनिका के गिरने का समाचार सुनकर वह तुरंत अस्पताल की तरफ पहुंचकर जब उसने अपनी पत्नी और बेटी को स्वस्थ देखा तो दोनों की सलामती के लिए वह डॉक्टर को धन्यवाद देने लगा जब डॉक्टर ने उसे बताया कि सचिन सही समय पर उसकी पत्नी को अस्पताल लेकर आया और उसी की वजह से उसकी पत्नी और बच्चे की जान बची तो उसे सचिन के प्रति अपने व्यवहार को याद करके खुद पर बेहद ग्लानि महसूस हो रही थी पश्चाताप के कारण जब वह माफी मांगने के लिए सचिन के पैरों की तरफ झुका तो सचिन ने उसके हाथ पकड़ कर अपने सिर पर रख लिए थे

इस कहानी को भी पढ़ें:

रिश्ता गुलाब सा – सीमा वर्मा

सचिन का अपने प्रति इतना अच्छा व्यवहार देखकर रघुनाथ ने छोटे भैया कहकर उसे गले से लगा लिया था। उस वक्त सुनीता भी बहु सरिता को साथ लेकर मोनिका और उसकी बेटी को देखने के लिए अस्पताल आ गई थी जब उसने रघुनाथ को सचिन से माफी मांगते हुए देखा तो उसे सचिन कि कहीं बात याद आ गई थी कि भगवान के घर में देर है अंधेर नहीं दोनों भाइयों को वापस में गले मिलते देख कर सास बहू के चेहरे पर मुस्कान तैर गई थी।

        यह एक सच्ची घटना है अबकी बार मिला शीर्षक देखकर मुझे तुरंत अपने बचपन की घटना याद आ गई और अपने पापा जो कि अब इस संसार में नहीं है उनके प्रति मेरा सिर गर्व और श्रद्धा के कारण खुद ब  खुद नतमस्तक हो गया जो प्रभु राम के परम भक्त थे और राम मंदिर के निर्माण के लिए बेहद उत्साहित थे अडवानी जी ने जब राम मंदिर के लिए आंदोलन किया तब मेरे पापा  भी उनके साथ थे आज राम मंदिर का निर्माण देखकर उनकी आत्मा भी बेहद प्रसन्न हो रही होगी।

बीना शर्मा

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!