Moral Stories in Hindi :
उमा , मिठाईयाँ और केक आ गए या नहीं ?? मेहमान आने में सिर्फ चार घंटे बचे है , मेहमानों को किसी भी चीज की कमी नहीं रहनी चाहिए शंकरलाल जी अपनी पत्नी उमा जी से बोले !!
उमा जी बोली हाँ – हाँ सारी मिठाईयाँ, केक , चॉकलेट्स सब कुछ आ गया हैं और आप भी बस खड़े मत रहिए , जरा फोन लगाइए कुमुद को अब तक आई क्यूं नहीं अब कुमुद भी आ जाए तो थोड़ी मदद मिल जाए !!
कुमुद घर में प्रवेश करती हुई बोली मां मैं भी आ चुकी हूं आप चिंता मत करिए , बताईए क्या – क्या करना है??
उमा जी ने कुमुद को देखकर राहत की साँस लीं और बोलीं अच्छा हुआ कुमुद तुम आ गई वर्ना मैं अकेले इतनी सारी तैयारियाँ कैसे संभालती ??
शंकरलाल जी बोले लो भाई , कुमुद भी आ गई , अब तुम सास – बहू मिलकर सारी तैयारियां संभालो !!
रोहित का आज दसवां जन्मदिन हें , रोहित कुमुद के देवर सुरेश और देवरानी शोना का एकलौता बेटा हैं !! बहुत सालों तक यह संयुक्त परिवार साथ में ही रहा , अभी कुछ ही महिनों पहले जेठानी कुमुद उसके पति मुकेश और उसकी बेटी आयशा इस घर से अलग रहने गए थे !!
उमा जी बोली कुमुद मैंने जलेबी का घोल तैयार कर रखा हैं जब मेहमान आ जाएंगे तब तुम इस घोल से गर्मागर्म जलेबियां बना लेना और मैं दूसरी तरफ गर्म – गर्म पूरियां तल दूंगी , बाकी छोले और पुलाव तैयार हो गया हैं , सलाद और चटनी भी मैंने कामवाली रमा से ही बनवा ली , रमा के बेटे को अचानक तेज बुखार चढ़ गया इसलिए उसे अचानक घर जाना पड़ा वर्ना रमा होती तो मुझे तुम्हारी जरूरत भी नहीं पड़ती ,
तुम्हारे देवर सुरेश को अचानक मीटिंग में जाना पड़ा और तुम्हारी देवरानी शोना रोहित के लिए नए कपडे खरीदने गई हैं , दरहसल पहले शोना ने रोहित के लिए ऑनलाईन कपड़े मंगवाए थे मगर वह कपडे आज ही सुबह आए और शोना को वह कपड़े बिलकुल पसंद नहीं आए इसलिए अचानक दूसरे कपड़े लेने जाना पडा और वह कह कर गई हैं
उसके बाद पार्लर से सीधा रेड़ी होकर ही बर्थडे में पहुंचेगी !! देखोना आज रोहित के जन्मदिन पर ही सुरेश को भी मीटिंग पर जाना था वर्ना वह होता तो मुझे और तुम्हारे बाबूजी को इतनी परेशानी ना होती मगर सुरेश कह रहा था मां आप लोग सारी तैयारियां कर देना !! मैं रोहन के केक – कंटीग के समय तक आ जाऊंगा, आखिर घर का लाडला बेटा जो हैं रोहित , हमारे घर का इकलौता वंश !!
सासू मां की मदद करते – करते फिर से एक बार कुमुद के हाथ रुक से गए , आखिरकार फिर से सासू मां ने वही बात दोहरा दी थी जिसके कारण उन्हे इस घर से हमेशा के लिए अलग रहने जाना पड़ा था !! वह अतीत के गलियारे में खो गई यकायक उसे वह दिन याद आ गए जब उसकी बेटी आयशा का भी दसवा जन्मदिन था मगर सासू मां उमा जी जो एक जगह सोफे पर जमकर बैठी थी बैठी ही रही बीच में एक बार भी नहीं उठी और सारी तैयारियां कुमुद को अकेले ही करनी पड़ी थी और आज इस अधेड उम्र में भी सासू मां फुदक – फुदक कर काम कर रही थी क्यूंकि उनके चहेते पोते का जन्मदिन जो हैं !!
उमा जी ने शुरू से ही दोनों बहुएं कुमुद और शोना में भेदभाव किया !!
कुमुद की शादी के दो साल बाद ही शोना की शादी हुई थी , दोनों बहुएं सुंदर और समझदार थी मगर शोना का रंग कुमुद से काफी गोरा था और उसका मायका भी बहुत अमीर था !!
कुमुद जी अपनी गोरी बहू शोना पर हमेशा इतराती , यहां तक कि कभी – कभी कुमुद के रंग पर फब्तियां भी कस देती और कहती काश !! तुम्हारा रंग भी शोना जैसा गोरा होता तो मेरा सर फर्क से ओर ऊंचा हो जाता , बिरादरी में मेरे भी चर्चे होते और सब कहते उमा जी चुनके लाखों में एक बहुएं लाई हैं !! शोना के लिए तो मेरी पसंद की आज भी सब दाद देते हैं , उसका मायका भी तो संपन्न हैं !!
मेरे छोटे बेटे की किस्मत बड़े बेटे से ज्यादा बुलंद निकली !!
कुमुद जब मां बनने वाली थी , उमा जी ने पोता होने की मन्नत ले रखी थी मगर कुमुद को बेटी हुई वहीं दो साल बाद शोना ने एक बेटे को जन्म दिया !! रोहित के जन्म के बाद उमा जी बहुत खुश हुई थी और बोली थी मेरी दूसरी बहू ने घर को वारिस दे दिया यही सब कारण थे जिस वजह से उमा जी की पहली पसंद हमेशा शोना रही और सासू मां ने हमेशा से देवरजी से भी बहुत प्यार किया था क्योंकि देवर सुरेश की आमदनी बड़े भाई मुकेश से ज्यादा थी और उसमें कोई शक नही जो बेटा मां को प्यारा होता हैं उसके बच्चे भी उन्हें प्यारे होते हैं !!
कुमुद ने भी सारी बातों को नजर
अंदाज कर इसे अपनी किस्मत मान लिया था !!
जब कुमुद और उसका परिवार यहां साथ में रहते थे , उमा जी जेठानी – देवरानी में तो भेदभाव करती ही थी अब उनके बच्चों में भी भेदभाव करने लगी थी !!
रोहित के लिए बड़ी चोकलेट और कुमुद की बेटी आयशा के लिए छोटी चॉकलेट , घर के हर तीज – त्योहार पर रोहित को ज्यादा पैसे देना और आयशा को कम !! यह सब अब आयशा को भी नजर आने लगा था क्योंकि वक्त के साथ दोनों बच्चे भी तो बड़े हो रहे थे !!
एक दिन रक्षाबंधन के मौके पर जब दोनों जेठानी – देवरानी अपने- अपने मायके जाने निकल रही थी , उमा जी ने बहुत सारे गिफ्टस रोहित को देते हुए कहा यह लो नानी के घर खाली हाथ नहीं जाते !!
जब आयशा बोली रोहित को इतने सारे गिफ्ट्स और मुझे कुछ नहीं दिया दादी आपने तब उमा जी बोली – अरे , तू ठहरी लड़की जात , तू क्या करेगी उपहारो का ?? रोहित इस घर का इकलौता वंश हैं , इसी की वजह से तो कल के दिन हमारे खानदान का नाम रहेगा और जा तु अपनी नानी से उपहार मांगना , वैसे भी आज रक्षाबंधन हैं तो तुझे नानी के घर से उपहार मिलेंगे !!
कुमुद को उमा जी की यह सारी बातें बहुत बुरी लगती , वह अपनी सास को कभी पलटकर जवाब नहीं देती थी मगर अब सारी बातें उसे बरदाश्त नहीं होती थी !!
अपने और शोना में किए गए भेद – भाव को तो कुमुद ने बर्दाश्त कर लिया था मगर आयशा और रोहित में भेद – भाव उससे बर्दाश्त ना हो पाता था !!
रोहित ने तुरंत इतने सारे उपहारों में से एक उपहार निकाला और आयशा को देते हुए बोला – दीदी , यह लो मेरी तरफ से आपको यह गिफ्ट , आपने मुझे आज राखी बांधी थी ना !!
रोहित आयशा से दो साल छोटा था मगर फिर भी उमा जी से ज्यादा समझदार था !!
आयशा उस एक उपहार से खुश तो हो गई थी मगर दादी के लिए उसके दिल में नफरत बढने लगी थी क्योंकि आयशा ने अपनी दादी को रोहित को चुपके से उपहार देते हुए भी देखा था और कहते हुए भी सुना था कि आयशा को मत दिखाना वर्ना उसे भी कुछ देना पड़ेगा मगर हर बार की तरह रोहित अपनी सारी चीजें आयशा को बराबर बाँटता क्योकि वह अपनी बहन से बहुत प्यार करता था !!
अब घर में यह नाटक हर तीज – त्योहार पर होने लगा था !! जन्माष्टमी के दिन जब रोहित ने उमा जी के पाँव छुए तो उमा जी ने तुरंत दो हजार का नोट रोहित को पकड़ा दिया था और कहने लगी बेटा , तू ना होता तो यह जन्माष्टमी का त्योहार तेरे बिना अधूरा रह जाता , उतने में पीछे से आयशा आई उसने भी उमा जी के पांव छुए तो उमा जी बोली अरे लड़कियां पांव नहीं छूती कभी !!
आयशा बोली – रोहित ने आपके पांव छुए तो आपने उसे दो हजार का नोट दिया दादी और मुझे आपके पांव भी नहीं छूने दे रही हो !!
उमा जी अपने पर्स में से सौ रुपए का नोट देकर आयशा से बोली – यह लो पैसे बस , अब जाओ यहां से !!
आयशा वह सौ का नोट लेकर कुमुद के पास आई और उसने रोकर सारी बात कुमुद को बताई !!
रात को जब मुकेश घर आया , कुमुद बोली मुकेश मां का व्यवहार कभी आयशा और मेरे लिए अच्छा नही था , यह बात मैं जानती थी मगर अब पानी सर के उपर निकल गया हैं !!
संयुक्त परिवार में रहकर मेरी बेटी को हर पल नीचा दिखाया जाए , यह मैं बर्दाश्त नहीं करूंगी , इससे पहले कि बहुत देर हो जाए हमें यहां से अलग हो जाना चाहिए !!
अब तक जो भी हुआ मैंने उसे अपनी किस्मत मान लिया था मगर अब मेरी बेटी को मैं नहीं झुकने दुंगी !!
मुकेश बोला यह तुम कैसी बात कर रही हो कुमुद ?? हां मैं भी जानता हूं कि मां का व्यवहार हम तीनों के साथ अच्छा नहीं हैं मगर इसका मतलब यह तो नहीं कि यहां से अलग हो जाए !!
कुमुद बोली मुकेश मैं हर बार मां का अपनी बेटी के प्रति यह रूखा व्यवहार नहीं देख पाऊंगी , लड़की हैं तो क्या उसका कोई मान – सम्मान नही हैं !! तुम्हारी मां ने हमेशा अपने बेटे – बहूओं में तो फर्क किया ही हैं मगर अब इन मासूम बच्चों में भी फर्क करने लगी वह भी सिर्फ इसलिए कि आयशा एक लड़की हैं और रोहित एक लड़का हैं जो उनके कुल का नाम ऊंचा रखेगा !!
मुकेश को भी कुमुद की बात सही लगी और उसने संयुक्त परिवार से अलग होने का निर्णय लिया !!
कुमुद और उसके पति मुकेश ने अब तक घर की सारी ज़िम्मेदारियां बखूबी निभाई थीं मगर जब बटवारा हुआ तो सासू मां ने देवरजी के साथ रहने की मांग की , वह चाहती तो थोड़ा- थोड़ा समय दोनो बेटो के पास रहती मगर उन्होंने छोटे बेटे को चुना और अपनी सारी संपत्ति भी उसी के नाम की !!
कुमुद को दुःख संपत्ति उसके नाम करने का नहीं था बल्कि दुःख इस बात का था कि उन्होंने कभी मुकेश और कुमुद को वह प्यार नहीं दिया जिसके वे भी हकदार थे , सासू मां की जबान पर हमेशा देवर जी और उनकी पत्नी शोना का नाम ही रहता बस काम पड़ने पर उन्हें बड़े बेटे और बहु की याद आती !!
आज भी कुमुद इस बात का जवाब नहीं जान पाई थी कैसे मां – बाप अपने ही दो बेटो में इतना भेद- भाव कर लेते हैं ??
उमा जी की आवाज से कुमुद की तंद्रा टूटी
अरे शोना , बेटा तू अब तक तैयार नही हुई ?? तू तो तैयार होकर आनेवाली थी ना उमा जी ने देवरानी शोना से कहा !!
हां मां बस तैयार ही होने जा रही हूं , दरहसल पार्लर वाली ने कहा था मैं घर पर ही आ जाऊंगी आपको तैयार करने और वह अब तक आई नही हैं तो उसका ही इंतजार कर रही हुं!!
उमा जी बोली उसे फोन करके जल्दी बुला आखिर हमारी लाड़ले का दसवा जन्मदिन हैं तुम्हें ही सबसे सुंदर दिखना हैं , आखिर बेटे की माँ जो ठहरी !!
उतने में वहां रोहित नए कपड़े पहनकर आ गया हाय मेरा पोता कितना प्यारा लग रहा हैं ?? किसी की नजर ना लगे इसे कहते हुए उमा जी ने रोहित की अपने हाथों से बलाईयाँ ले ली और छोटे बेटे सुरेश को फोन किया बेटा मेहमानों के आने में सिर्फ एक घंटा बचा है वहां से सुरेश बोला मां मैं बस पहुँच ही रहा हूं !!
अरे कुमुद , तुम भी जब से आई हो काम में लगी हो थोड़ा शरबत पी लो थकान उतर जाएगी तुम्हारी ,कहते हुए उमा जी खुद भी तैयार होने चली गईं !!
कुमुद को अपनी हालत किसी कामवाली बाई जैसी लगी, मुकेश ने तो मना भी किया था कि क्या जरुरत है जल्दी जाकर काम करने की मगर सासू मां के आग्रह को कुमुद मना नहीं कर पाई थी और फिर एक बार आज अपने आप को अपमानित महसूस कर रही थी !!
रोहित आज के दिन भी बहुत गुमसुम दिखाई दे रहा था , वह बोला – ताईजी , आयशा दीदी क्यूं नहीं आई आपके साथ ??
कुमुद बहाना बनाते हुए बोली बेटा , आयशा की कल परिक्षा हैं इसलिए वह आज नहीं आ पाई , उसने तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंद का बर्थडे गिफ्ट भेजा हैं !!
थोड़ी देर बाद सभी लोग तैयार होकर आ गए , सारे मेहमान भी आ गए और सुरेश भी आ चुका था !!
सुरेश आते ही रोहित को ढूंढने लगा मगर रोहित कहीं नजर नहीं आया !!
धीरे – धीरे सभी मिलकर रोहित को ढूंढने लगे मगर रोहित कहीं दिखाई नहीं दे रहा था !!
कुमुद बोली अभी थोड़ी देर पहले तो यहां मुझसे बात कर रहा था रोहित , पता नहीं कहां चला गया ??
उमा जी ,शोना और कुमुद सभी चिंतिंत हो उठे कि रोहित कहां चला गया ??
थोड़ी देर में सबने देखा कि रोहित आयशा का हाथ पकड़कर चला आ रहा है !!
उमा जी बोली रोहित , तुम पागल हो गए हो क्या ?? ऐसे बिना बताए कोई घर से जाता है क्या ? यहां सब कितने चिंतिंत हो गए थे !!
शोना बोली मां प्लीस मत डांटिए रोहित को , वह उसे लेने गया था जिसके बिना यह बर्थडे अधूरा हैं शायद आपने तो कभी महसूस ही नहीं किया जब से आयशा इस घर से गई हैं रोहित कितना बुझा – बुझा रहने लगा हैं !!
रोहित धीरे से बोला – अगर दादी ने आयशा दीदी के साथ बुरा व्यवहार नहीं किया होता तो आयशा दीदी और मैं हमेशा साथ रहते मगर दादी ने इनको प्यार और सम्मान नहीं दिया इसलिए मेरी दीदी मुझे हमेशा के लिए छोड़कर चली गई !!
कुमुद भी बच्चे की मनोदशा देखकर विचलित हो गई !!
शोना आयशा को गले से लगाते हुए बोली मां बेटियां तो घर की लक्ष्मी होती हैं और आपने हमेशा घर की लक्ष्मी के साथ बुरा व्यवहार किया !!
उमा जी जिन्होने आज तक दोनों बेटो , दोनों बहुओं और यहां तक कि दोनों पोते – पोतियों में भी फर्क किया था , आज उन्हें अपनी गलतियां साफ – साफ नजर आ रही थी !!
उमा जी के पति बोले उमा , तुमने तो बच्चों के मानस पटल पर अपनी छवि ही खराब कर दी !! दोनों भाई – बहनों के मन में तुम एक – दूसरे के खिलाफ दूरियां लाना चाहती थी मगर इन दोनों के प्यार ने यह साबित कर दिया कि जो भेदभाव करता हैं वह इंसान गलत हैं !!
सभी की बातें सुनकर उमा जी शर्म के कारण सिर भी नहीं उठा पा रही थी !!
उमा जी ने अपनी पोती आयशा को गले से लगा दिया और कुमुद और आयशा दोनों से माफी मांगी !!
अपने बेटे मुकेश को उन्होंने तुरंत फोन लगाया और बोली मुकेश तू घर का बड़ा बेटा है और तेरे बिना रोहित का बर्थडे अधूरा है !!
आज पहली बार उमा जी के मुंह से मीठे शब्द सुनकर मुकेश भी तुरंत दौड़ा चला आया !!
मुकेश और सुरेश दोनों भाई गले लग गए !!
रोहित ने केक काटा और सबसे पहले आयशा को खिलाया !!
यह संयुक्त परिवार जो बिखर गया था आज वापस एक हो गया !!
दोस्तों बहुत बार मां – बाप का यही भेदभाव रिश्तों में खटास पैदा कर देता हैं !!
जरूरी नहीं कि हर जगह रिश्ते वापस संवर जाए मगर हमारी पहल तो यही होनी चाहिए कि कभी भी दो बेटे दो बहुएं और उनके बच्चों में भेदभाव ना करें !!
दोस्तों , यह कहानी बहुत लोगों को अपनी सी लगे क्यूंकि ऐसा बहुत घरों में होता हैं !!
दो बेटे और उनके बच्चों में भी अंतर होता है !!
आपकी क्या राय है ??
आपको मेरी कहानी कैसी लगी कृपया जरूर बताइएगा तथा मेरी अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करिएगा !!
आपकी सखी
स्वाती जैन
#किस्मत