बिजनेस –  स्मिता सिंह चौहान

ट्रेन स्टेशन पर रूकी तो माधव ने चाय वाले को चाय देने का,इशारा किया ।”5 रूपये हुए।”वह बोला।

“हाँ, हाँ, एक मिनट “जेब में से निकले 10के नोट को आगे बढाता हुआ, बचे पैसे रख लेने का इशारा करते हुए ।वही स्टेशन में उतर गया।सामने एक बेंच में बैठते हुए, आधी चाय वही रख दी,जैसे उसके मुँह का स्वाद ही खत्म हो गया हो।एक अजीब कश्मकश में था वो।तभी अपनी जेब से अपना मोबाइल निकाला,जो कल शाम से ही बंद कर,

दिया था।जैसे ही ऑन किया तो देखा मिस्ड काॅल का अंबार लगा हुआ था।कुछ सोच ही रहा था कि माँ का काॅल आ गया,उठाना नहीं चाह रहा था लेकिन उठाना पड़ा “हाँ माँ “

“तू कहाँ है बेटा?कल से कितना परेशान हूँ मैं । ऐसे हिम्मत नहीं हारते ।तू घर आ जा,वक्त खराब होने से जिंदगी तो खराब नहीं हो जाती।तू घर आजा, सब ठीक हो जायेगा ।”कहते हुए माँ रोने लगी ।

“क्या ठीक होगा माँ ।जब मेरी सच्चाई, अच्छाई कुछ ठीक नहीं कर सकी तो क्या ठीक हो जायेगा?मेरी गलती कहाँ पर थी?सब कुछ तो दिया था मैने सीमा (पत्नी)को ।मान ,सममान, पैसा ,ऐशो आराम, अपने अनुसार जीने की स्वतन्त्रता फिर ऐसा क्या चाहिए था उसे?जो उसने मुझे इस तरह बर्बाद किया ।

1 साल में ही हमारी गृहस्थी को उसने अपनी बददिमागी की ताक पर रख दिया ।गुस्से में खुद घर छोड़ कर घर से चली गयी ,कयोंकि मैने अपनी पहली एनिवरसरी होटल में नहीं, घर पर कि।सिर्फ इसलिए कि मेरे मायके वाले क्या सोच रहे होगें?मैं सोचता रहा कि ठीक है ,उसका बचपना है वो वक्त के साथ ठीक हो जायेगी।

लेकिन उसने तो जैसें कसम खायी थी कि या तो मेरे हिसाब से चलो या फिर …।”कहते हुए वो हताशा से भरी गहरी सांस लेते हुए रूक गया।

“अब जो होना था हो गया,चाहे हमने कैसे भी किया?तूने अपनी सेविंग खाली कि मैने अपने जेवर तक बेच दिये।लेकिन अब कोर्ट की तरफ से जो औरत होने का वो  फायदा ले सकती थी वो लेकर चली गयी ना।कोई नहीं हम यही मान लेंगे हमारी किस्मत, वक्त और कर्म सब खराब थे ।तू आजा जिंदगी रही तो सब दोबारा पा लेंगे ।”माँ ने माधव को हौंसला देते हुए कहा।


“क्या पा लेंगे?क्या  कोर्ट में जो इलजाम हम पर लगाकर हमारे मान सम्मान को अपने रोने धोने के नाटकों के बीच तार तार कर दिया वो वापस आयेगा।मैंने उससे कभी उसके गुस्से में चिल्लाने के बाद भी कभी जोर की आवाज में बात नहीं कि ,वो मुझ पर मारपीट का इल्जाम लगा के अपने को बेचारी बनाकर चली गयी ।

माँ आपने तो बेटी होने का मान दिया उसे  ,अपना प्यार, अपनी धरोहर ,अपने घर का हिसाब किताब उसके हाथ में सौंप दिया और वो कहती है कि मेरी सास ने मुझ पर अत्याचार किया दहेज मांगा ।सिर्फ हमारे घर के पैसे जेवर ही नहीं, वो हमारे विश्वास, प्यार, सबको कानूनी लडाई में घसीटकर लहुलुहान कर गयी।कयोंकि हम ससुराल वाले है ,हम तो अच्छे हो नहीं सकते।

तो ये बताओ माँ ऐसी लडकियों के  माँ बाप किसी के घर को बर्बाद करके कैसे अच्छे हो जाते हैं ?वो एक बार भी पता करने की कोशिश नहीं करते कि उनकी बेटी की बातों में कितनी सच्चाई है।या उनको भी लगता है कि एलीमनी और बेटी की कमाई पर हमारा जीवन चल जायेगा ।

बिठाकर तो कोई नहीं खिलाता अपनी बेटियों को शादी के बाद मायके में ,नौकरी करके ही तो खा रही है वहां,और हमारे घर की भरी थाली को ठोकर मारकर हमें ही जलालत भरी जिंदगी दे दी।मैं अंदर तक हिल गया हूँ माँ, पता नहीं अब मुझे लगने लगा है कि शादी नहीं होती ,अब शादी भी एक बिजनैस है।चल गयी तो ठीक वरना इल्जाम लगाकर पैसे हडप लेंगे ।मैं क्या करूँ माँ?आप बताओ मैंने क्या गुनाह किया?”माधव लगातार बोलते जा रहा था।

“गुनाह अगर हुआ है तो मुझसे हुआ है कि मैने उसे पसंद किया,तुमसे गलती ये हुईं कि तुमने मेरी  पसंद का मान रखा।इससे तो अच्छा होता  तेरी शादी ही नहीं होती, तू इस तरह नही टूटता ।”माँ माधव की बातों से आहत होकर बोली ही थी ,कि दूसरी तरफ से लोगो कि चीख पुकार की आवाज सुनायी दी”हैलो, हैलो,…माधव …माधव तुम ठीक हो ना।माधव …माधव …।”कोई जवाब नहीं आया।”माधव कभी घर नहीं आया,पथराई माँ भी 2महीने बाद गुजर गयी।

इसमें दोष किसका था?वाकई क्या हमें तसवीर का वो पहलू देखने की भी जरूरत है जहां कानून के दुरूपयोग की आग में कई घर झुलस जाते हैं, तो कई  झूठे इलजामो की आग में सिर्फ इसलिए बरबाद हो रहे है कयोकि वो सिर्फ ससुराल वाले है ,जो हमारे समाज की नजरो में कभी सही हो नहीं सकतें ?क्या वाकई माधव की बात सही थी कि यह शादी नहीं बिजनैस है।आपकी राय अवश्य दें ।

 

आपकी दोस्त

स्मिता सिंह चौहान

7 thoughts on “बिजनेस –  स्मिता सिंह चौहान”

  1. Ha yesa bahut case hua hai khud mere saath hua hai father ki sampati ko hadpne ke liya jhutha case Kiya batmiji ka 8saal baad faisla hua nirdosh ka balki ek kanoon yesa bhi hona chahiye ki ladish ne galat case Kiya hai tou usi dhara Mai saja ladish ho tou galat case karne ki himmat hi nhi hogi court par wajan bhi kam ho jayega

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  2. दहेज कानून या धारा 468A एक ऐसा हथियार जो बनाया गया था महिलाओं की सुरक्षा हेतु, पर बन गया कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष के दमन व अवैध वसूली का जरिया। सबसे बड़ा दोष इसमें पुलिस व न्यायपालिका का भी है जो आंखें बन्द करके व रिश्वत वसूली के चक्कर में इसका दुरुपयोग करते हैं, बिना सत्य की जाँच परख किये हुए।

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  3. आजकल इस तरह की घटना आम बात हो गयी है
    लड़के जो सही है वो भी इस तरह से फास लिए जा रहे
    हमारे घर मे भी ऐसी घटना हुई है
    ऐसा लगता है कि कोई भी कही सुनने वाला ही नही है

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  4. वाकई आजकल कानून का दुरूपयोग हो रहा है, ससुराल मे कितना भी मान सम्मान मिले लेकिन कुछ लड़कियां और उनके माँ बाप कुछ और ही बिजनिस् करते हैं समाज इतना विक्रत् हो रहा है कहते हुए घिन आ रही है कि कुछ तो अपनी बेटियों से ससुराल पक्ष पर ससुर, जेठ, देवर, जो भी बालिग पुरुष होते हैं उन पर रेप जैसे घिनौने आरोप लगवाकर ससुराल पक्ष की हैसियत से भी ज्यादा पैसा बसूलते हैं, बसूलने बालों में एडवोकेट जो कानून का दुरूपयोग अच्छी तरह से करना जानते हैं और उनकी बेटियां उच्च शिक्षा प्राप्त होती हैं

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  5. आज के समय में अपने ससुराल पक्ष को जालिम बता कर ढेर सारा पैसा वसूल कर स्वच्छंद जीवन की शुरुआत करने का फैशन चल निकला है। कोर्ट में आ रहे 95% केसेज यही कहानी कहते हैं। बदले में उस ससुराल पक्ष को जो जलालत झेलनी पड़ती है, वह बयां नहीं की जा सकती ।इस तरह के झूठे केसेज करने वालों को सजा मिलने की शुरुआत अब हो गई है।

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