बुढ़ा पिता कभी बोझ नहीं होता- स्वाति जैन : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : किशोर जी खाने की मेज पर आकर बैठे और जैसे ही खाना थाली में लिया तो देखा आज फिर सब्जी में तेल और मिर्च बहुत ज्यादा हैं , वैसे ही किशोर जी का कॉलेस्ट्रोल और डायबटीज बहुत बढ़ा हुआ था , डॉक्टर ने उन्हें ज्यादा तेल , घी और मिर्च वाले खाने से दूरी बनाए रखने कहा था लेकिन बहु निशा को कहने से भी क्या फायदा था ??

वह तो वैसे भी अपनी ही मन की करेगी , अभी कल की ही बात हैं जब किशोर जी ने निशा से कहा था कि उनके लिए कम शक्कर वाली चाय बनाया करें तब निशा गुस्से से बोली थी मुझसे फीकी चाय अलग से नहीं बनती हैं पापाजी , पीना हैं तो पीजिए वर्ना रहने दिजिए , तब किशोर जी यही सोचने लगे कि चाय में तो करना ही क्या होता हैं ??

पहले मुझे कम शक्कर वाली चाय देकर फिर उसी चाय में शक्कर डालकर सभी के लिए मीठी चाय बना सकती हैं बहु फिर भी मुझे अलग चाय नहीं बनाकर देती , फिर तो सब्जी और दाल तो मेरे लिए अलग बनाना बहु के लिए नामुमकिन हैं !! किशोर जी ने जैसे – तैसे खाना खाया , मन में तो आया कि कह दें कि बहु मेरे लिए अलग खाना बनाया करो मगर निशा के गुस्से को सहने की हिम्मत अब किशोर जी में नहीं थी इसलिए थोड़ा सा खाना खाकर उठ गए !!

थोड़ी देर में बेटा सुमित भी घर आ गया , उसके आते ही किशोर जी बोले बेटा , मेरे पेंशन के पैसे भी अब तक आ गए होंगे मुझे डॉक्टर को दिखा ला !! डॉक्टर ने हर महिने रूटिन चेक – अप के लिए बुलाया हैं !! पिछले महीने भी कॉलेस्ट्रोल बहुत बढ़ा हुआ आया था , इस बार भी ना जाने कम होगा या नहीं ??

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जैसे ही बहु निशा ने किशोर जी के मुंह से यह बात सुनी वह अपने कमरे से आकर बोली पापाजी इनके कॉलेस्ट्रोल बढ़ने का ठिकरा भी मुझ पर फोड़ना चाहते हैं सुमित , इनका तो एक ही काम हैं बैठे – बैठे सभी पर इल्जाम लगाना लेकिन मैं कह देती हुं सुमित , यदि इनका ऐसा ही रवैया रहा तो मैं मोनू को लेकर हमेशा के लिए अपने मायके चली जाऊंगी , सुमित भी निशा की बात पर मौन रहा !!

किशोर जी समझ गए थे कि वे अब बेटे – बहु पर बोझ बन चुके हैं और वे नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से निशा मायके चली जाए इसलिए अगले ही दिन उन्होंने अपने कपड़े पैक किए और वे अपनी बेटी सोनिया के वहां जाने रवाना हो गए !!

सुमित को जैसे ही पता चला कि पापा  हमेशा के लिए उसकी बहन के वहां जा रहे हैं उसके चेहरे की हवाईयां उड़ गई क्योंकि पापा के साथ उनकी हर महिने की पेंशन भी चली जाएगी !!

थोड़े ही दिन बाद निशा के मायके से बुलावा आया ,  निशा की भाभी सुधा का फोन था वह बोली दीदी हमने घर में गणेश जी की मुर्ति बैठाई हैं तो आप लोगो को दर्शन करने आना हैं और सभी को यहां खाना खाकर ही जाना होगा !!

निशा वैसे भी किशोर जी के उनकी बेटी के पास चले जाने के बाद बहुत खुश थी वह बोली हां भाभी हम लोग जरूर आएंगें !!

निशा सुमित और अपने बेटे मोनू के साथ अपने मायके पहुंची , गणपति जी के दर्शन करने के बाद जब वह रसोई में पहुंची तो देखा दो अलग पतीलों में खीर चढ़ी हुई थी और सब्जी भी दो अलग बर्तनों में थी !! वह बोली भाभी सब कुछ दो – दो अलग – अलग बर्तनों में क्यूं बना रही हो ??

सुधा बोली दीदी , आपके पापा को डायबटीज हैं इसलिए उनके लिए कम मीठा और कम मसालों वाला सब कुछ अलग बनाती हुं ताकि उनकी सेहत खराब ना हो !! 

अपनी भाभी की यह बातें सुन निशा को अपने आप पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी क्यूंकि उसने उसके ससुर जी के साथ कैसा बर्ताव किया था वह यह बात जानती थी !!

सुमित भी बाहर निशा के मां – पापा के साथ बैठा था उतने में निशा का भाई राकेश वहां आकर बोला बाबुजी यह लिजिए मेरी इस महिने की तनख्वाह और फिर दोनों बाप – बेटा दोस्तों की तरह बात करने लगे !!

सुमित यह देखकर सोचने लगा कि एक वह हैं जो अपने पापा के पेंशन तक के पैसे अपने पास रख लेता था और कभी उसने अपने पिता के पास बैठकर दोस्ताना व्यवहार ही नहीं रखा !! बिचारे पिताजी कितना अकेला महसूस करते होंगे अपने आप को !!

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खाना खाकर दोनों पति – पत्नी घर आ गए , दोनों को अपने किए का पश्च्चाताप था इसलिए दोनों दूसरे दिन किशोर जी को लाने सोनिया के घर पहुंच गए !! वहां जाकर पता चला कि किशोर जी सोनिया के पति मोहित के साथ सैर पर गए हैं !!

सोनिया ने भाई – भाभी को जूस और अंकुरित नाश्ता दिया और बोली पापा की सेहत अब काफी ठीक हैं !! रोज तुम्हारे जीजाजी और पापा सैर पर जाते हैं फिर आकर यह नाश्ता करते हैं !!

निशा और सुमित शर्म से जमीन में गड़े जा रहे थे क्योंकि उन्होने अब तक पापा के लिए ऐसा कुछ भी नहीं किया था , उतने में किशोर जी और मोहित लौट आए !!

सुमित बोला पापा हम आपको घर लेने आए हैं , यह सुनकर किशोर जी एक पल ठिठक गए क्योंकि वह फिर से अपमान सहने बेटे – बहु के साथ वापस जाना नहीं चाहते थे !!

पापाजी हम लोगों से बहुत गलतियां हुई हैं , मैं बहुत बुरी हुं पापाजी मगर  सुना हैं एक बाप तो अपने बुरे से बुरे बच्चे को माफ कर देता हैं !! क्या आप मुझे माफ नहीं करेंगे ?? हाथ जोड़कर बोली निशा !! सुमित भी हाथ जोड़कर खड़ा था किशोर जी के सामने ……

 दोनों का यूं उतरा हुआ चेहरा देखकर किशोर जी भी उनके साथ वापस घर चलने तैयार हो गए !!

दोस्तों , बुढ़ा पिता कभी बोझ नहीं होता बल्कि ऐसे बच्चे धरती पर बोझ हैं जो अपने माता – पिता को बोझ समझते हैं ??

इस कहानी को लेकर आपकी क्या राय हैं कमेंट में जरूर बताइएगा !!

स्वाति जैन

#पश्चाताप

(betiyan M)

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