बोनस पर सिर्फ सासू मां का हक ( भाग 2) – निशा जैन   : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi :

मां क्या  आप  जानती हैं कि मैं शादी से पहले नौकरी करती जरूर थी पर सिर्फ अपने टाइम पास और जेब खर्च के लिए पर अब मैं नौकरी करती हूं अपनी पहचान बनाने के लिए और उसके लिए हिम्मत मुझे आपसे मिली है। जब आपने मुझे ये कहकर समझाया कि …हाथ में आया मौका जाने मत दो , घर बाहर की चिंता तुम मत करो सब मैनेज हो जायेगा और फिर “बहु तुम मेरी बेटी की तरह हो”  तुम्हारी जगह अनुजा( शिवि की ननद) होती तो मैं उसके लिए भी ऐसे ही खड़ी रहती जैसे तुम्हारे लिए खड़ी हूं

आपने जब इतनी हिम्मत और ताकत बढ़ाई तभी तो मैं ये मुकाम हासिल कर पाई… शिवि अपने मां जी का हाथ अपने हाथ में लेते हुए बोली

(शिवि को जब शादी के बाद नौकरी का प्रस्ताव मिला तब वो गर्भवती थी इसलिए उसने मना कर दिया पर जब बेटा 4 साल का हो गया और स्कूल जाने लगा  तो उसको दुबारा प्रस्ताव मिला तब भी वो ज्यादा इच्छुक नही थी क्योंकि बेटा छोटा था और घर के  काम के साथ साथ बेटे की जिम्मेदारी भी उसकी सास पर आ जाती और वो नहीं चाहती थी कि उसके कारण उसकी सासू मां  परेशान हों। वो घुटने के दर्द से वैसे ही बहुत परेशान रहती थी । वैसे तो घर पर झाड़ू, पोंछा बर्तन के लिए मेड लगी हुई थी पर फिर भी छोटे बड़े बहुत से काम होते हैं जो मेड के भरोसे नही छोड़े जा सकते इसलिए उसने पहले तो लगभग मना कर दिया पर जब  सुलोचना जी ने   उसको समझाया कि …

बेटा  तू बिलकुल चिंता मत कर मैं हूं ना इन सब कामों के लिए । मैं नहीं चाहती कि तेरी इतनी पढ़ाई लिखाई ऐसे ही व्यर्थ हो। मैं तो इतनी पढ़ी नही थी कि अपने पति के कंधे से कन्धा मिलाकर चल पाई पर तुम तो उस काबिल हो और फिर तुम कमाकर लाओगी तो घर की आर्थिक सहायता भी तो होगी। आजकल महंगाई के दौर में दोनो कमाए तो ही अच्छा है और ये घर के काम तो नौकरी के साथ भी हो जायेंगे।

पर मां अवि की जिम्मेदारी भी तो है और ऑफिस में तो कभी ओवरटाइम भी करना पड़ सकता है। आप कैसे कर पाएंगी ये सब….

अरे तेरे पापा ( ससुर जी) के जाने के बाद वैसे भी मैं बिल्कुल अकेली पड़ गई हूं । अवि के बहाने मेरा मन लगा रहेगा । तू बिलकुल चिंता मत कर । तू भी तो मेरी बेटी है .. क्या मां एक बेटी के लिए इतना भी नही कर सकती)

तब शिवि को सासू मां के ऐसे बोलने से थोड़ी हिम्मत मिली और उसने नौकरी पर ये सोचकर  जाना शुरू कर दिया कि एक दो महीने देखती है, सब कुछ ठीक रहा तो नौकरी जारी रखूंगी नहीं तो छोड़ दूंगी)

पर सासू मां के सहयोग से सब कुछ अच्छे से चल रहा था

उसकी नौकरी और घर भी।

और  जब एक दिन उसकी दोस्त ने पूछा कि तुम इतने अच्छे से नौकरी कैसे कर पा रही हो ? मुझे तो घर पहुंचकर भी बहुत काम रहता है। तब उसने बताया कि ये सब  सासू मां की बदौलत हो पा रहा है । और तब ही उसे  एहसास हुआ कि उसे अपनी सास को  धन्यवाद बोलना चाहिए , और  आभार प्रकट करना चाहिए बस तब ही उसने सोच लिया कि इस बार के बोनस पर सासू मां का ही हक होगा किसी और का नही ।

मां आप साथ नहीं देती तो शायद मैं भी अपने दूसरे सहकर्मियों की तरह भीड़ का हिस्सा बन जाती और अपनी अलग पहचान बनाने में कभी कामयाब नही होती। आप ये रुपए मेरी तरफ से एक छोटा सा उपहार समझ कर रख लीजिए वैसे भी ये काम मुझे बहुत पहले करना चाहिए था जो मैं आज कर रही हूं। जब सब लोग मेरे काम  की तारीफ करते तो मैं ये सोचकर खुश होती कि मैं कितनी इंटेलिजेंट हूं और आपके बारे में एक बार नही सोचा कि आपने मुझे  घर की जिम्मेदारी से बिलकुल मुक्त नही किया होता तो क्या मैं ये सब कुछ कर पाती।

अरे पागल इतना क्या सोच रही है । ये सब तेरी मेहनत का ही नतीजा है मैने बस तेरा सहयोग किया है और कुछ नही सुलोचना जी बोली तभी पीछे से आते हुए शिवि का पति अनुज बोला … अच्छा तो ये है राज़ की बात जो तुमने मुझसे छिपाई। मतलब ….इसलिए तुम्हे कैश चाहिए था क्युकी तुम ये रुपए तोहफे के रूप में मां को दे सको। अरे मुझे बोलती तो मैं और तुम मिलकर एक अच्छा सा तोहफा मां के लिए खरीद लाते।

नही मैं चाहती थी मां जी इन रुपयों को अपने तरीके से खर्च करें।

और मेरे सहयोग का क्या जो मैं डेली तुम्हे ऑफिस छोड़कर और लेकर आता हूं

अरे हां जनाब आप तो सबसे पहले हैं , और मेरा सब कुछ आपका ही तो है… मेरे महीने की सैलरी , मेरा तन मन धन सब आपके लिए अर्पन  है …… शिवि ने अनुज को छेड़ते हुए कहा।

मैं धन्य हो गया ऐसी बीबी पाकर….. लोग कहते हैं सास बहू में बनती नही और यहां देखो … सास बहू ने एक टीम बना ली और मुझे अलग कर दिया… अनुज रोने का नाटक करते हुए बोला

अरे मेरे नटखट… तू तो मेरे जिगर का टुकड़ा है । तुम दोनो पति पत्नी की आपसी समझदारी का नतीजा है ये कि घर और बाहर सब अच्छे से मैनेज हो रहा है। पर एक बात है कि बहु तुझ से ज्यादा ध्यान रखती है मेरा…..

हां तो मैं इसका ध्यान रखता हूं तभी तो ये तुम्हारा ध्यान रखती है मां… अनुज अपनी तारीफ करते हुए बोला

हां भाई बहस में तो तुझ से कोई नही जीत सकता… सुलोचना जी बोली

तभी तो तुम्हारा बेटा एक अच्छा वकील है मां ….. अनुज फिर  अपने मुंह मियां मिट्ठू बना

शिवि और सुलोचना जी अनुज के आगे हाथ जोड़कर खड़ी हो गई…. और अनुज तथास्तु का आशीर्वाद देकर हंसने लगा

अरे शिवि आज इन रूपयों से सभी के लिए उपहार खरीदने चलेंगे और खाना भी बाहर ही खायेंगे सुलोचना जी बोली। और मेरी सत्संग की सखियों को भी बहु की कामयाबी के लड्डू खिलाऊंगी अरे बहु नही मेरी बेटी… जो बस सोचती है कि बहु और सास की आपस में कभी बन ही  नही सकती। बहु , बहु ही रहेगी बेटी नही बन सकती।

हां दादी…..और मुझे आईसक्रीम भी खानी है…  अवि की आवाज आई

और सभी खुश होकर शाम की प्लानिंग करने लगे।

दोस्तों  अक्सर देखने में आता है कि सास  बहू की या बहु सास की बुराई करती है  पर यदि सास और बहु में इतनी अच्छी अंडरस्टैंडिंग हो तो कहने ही क्या। बहु को मां की कमी और सास को अपनी बेटी की कमी कभी नहीं खलेगी

क्या आप मेरे विचारों से सहमत हैं?

आपको मेरी रचना कैसी लगी , कमेंट करके जरूर बताएं। आपके  सुझाव और प्रतिक्रिया से मुझे प्रोत्साहन मिलता है

धन्यवाद

स्वरचित और मौलिक

निशा जैन

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