बात काफी पुरानी है। जब अमिता और नमिता एक मांटेसरी प्राइवेट स्कूल में पढ़ा करती थी उनका स्कूल फर्स्ट फ्लोर पर लगता था सारे बच्चे घर से टिफिन लेकर आया करते थे लेकिन उसमें अधिकतर टिफिन के साथ पानी वाली बोतल नहीं लाते थे छात्र छात्राओं की पानी पीने की व्यवस्था स्कूल के नीचे लगे एक हैंड पाइप पर हुआ करती थी सारे बच्चे लंच कर लेने के बाद उसी हैंड पाइप पर पानी पीने जाते थे
उस समय बच्चों को स्कूल जाते टाइम एक ₹2 जरूर दिए जाते थे कुछ ना कुछ बच्चे लेकर खाते थे तो स्कूल के बाहर चूरन खट्टा मीठा ,पानी पतासा ,टिक्की फल अन्य प्रकार की वस्तुएं बिकती थी जिन को खरीदने की स्कूल में मनाई बिल्कुल नहीं थी,,,,
छोटी सी उम्र में खाने पीने की वस्तुएं खरीदने से बच्चों का हिसाब किताब और पक्का होता चला जा रहा था यह उस स्कूल की रोज रोज की दिनचर्या थी,,,,, अमिता और नमिता कहने के लिए सहेलियां थी शक्ल और नाम से वह सगी बहनों से कम नहीं लगती सभी उन्हें सगी बहनें ही समझती थे एक दिन की बात है नमिता और अमिता अपना लंच करने के बाद पानी पीने के लिए नीचे हैंड पाइप पर गई हैंड पाइप के आसपास कच्ची जगह थी जहां पर कुछ पेड़ पौधे अपने आप उग आए थे वहीं पर एक फूलों वाले पौधे को देखा उसमें पीले रंग के बहुत सारे फूल लगे हुए थे
बाल मन था उन फूलों को तोड़ने का हो गया और दोनों सहेलियों ने उन फूलों को तोड़ लिया फूलों को जैसे ही तोड़ा था पास में ही एक गुप्ताइन होटल था यहां पर स्कूल के प्रिंसिपल चौहान साहब बैठकर चाय पीते थे अमिता और नमिता का फूल तोड़ना हुआ कि उधर से वह गुप्ताइन आंटी आ गई अमिता और नमिता को देखकर जोर से चिल्लाने लगी
तुम्हारे सर जी से कहिए तुम्हारी स्कूल की बिटियां आय के बहुत नुकसान करती है। आज देखो इन दोनों बिटियां ने मेरी भिंडी के पेड़ के सारे फूल तोड़ लिए इसमें भिंडी लगती तो आलू डालकर मैं इनको बना लेती,, शायद उनके ही होटल से भिंडी की सब्जी का बीज अपने आप इकलौता पौधा उगाया होगा,,, नमिता और अमिता बिल्कुल चुपचाप खड़ी हुई उनकी डांट सुन रही थी
क्योंकि उन्होंने गुलाब गेंदे और दो चार प्रकार के फूलों को तो देखा था भिंडी के फूलों को तो कभी नहीं देखा था और उन्हें यह नहीं पता था कि यह भिंडी का पौधा या पेड़ है। अब दोनों सहेलियां बहुत डरी हुई थी क्योंकि उनके प्रिंसिपल साहब बहुत ही खतरनाक थे अब उन आंटी से कहती आंटी आप ना मेरे सर से शिकायत मत करना हम आपको अपने घर से लाकर भिंडी दे देंगे
आप बना लेना लेकिन वह आंटी सुनने को तैयार नहीं थी अब सिर झुकाए फूलों को हाथ में लिए दोनों सहेलियां ऊपर अपने क्लास में आ गई उन्हें बड़ा डर था कि अगर शिकायत होगी तो पता नहीं कितनी मार लगेगी अमिता और नमिता को अब बड़ी चिंता थी कि अब हमारा क्या होगा घर गई और रात भर नींद नहीं आई कि कैसे इस भिंडी के पेड़ को हम नहीं
पहचान पाए और हमने इतनी बड़ी गलती कर दी वह आंटी भी भिंडी लेने के लिए तैयार नहीं है क्या किया जाए प्रिंसिपल सर का उनके पास रोज का बैठना उठना था तो उन्होंने एक दिन कह दिया सर भी इतना तो समझते ही थे कि इन बच्चों को ज्ञान नहीं है हमें डांट कर छोड़ दिया लेकिन इस घटना के बाद अमिता और नमिता भिंडी के पौधे को सदा के लिए पहचान गई कि कैसा होता है नमिता और अमिता की जब भी फोन पर बात होती है तो वह कहती है अरे यार भिंडी का पौधा उसके पीले फूल होते हैं हमेशा याद रखेंगे और दोनों भिंडी के फूल हाय राम कहकर दोनों हंस पड़ती है।,,,,
मंजू तिवारी गुड़गांव