जानकी देवी गांव से अपने पोते की शादी के लिए शहर अपने बेटे रामनाथ के घर आई हुई है,लेकिन जबसे घर आई हैं तबसेघर में अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है।
जब दो दिन हो गए उनको तब उन्होंने अपनी बहू से कहा कि उसे होने बाली बहू का फोटो तो दिखाओ कम से कम।कैसी लड़की पसंद की है तुम लोगों ने ।तभी उनके पोते समरने आकर कहा दादी आपकी होने
बाली बहू तो आपकी खूब देखी हुई है।आपको अपनी नीरा की सहेली याद है न,जबआप पिछली बार गांवसे आईं थीं तो आपसे कितनी बातें करती थी बैठ कर औरआप उसकी बातें सुन कर कितनी खुश हो जाती थी।उसके जाने के बाद आपने मां से कहा था कि कितनी चुलबुली प्यारी छोरी है।अपने समर के लिए भी ऐसी ही हंसने बोलने बाली छोरीघर में बहू बनकर आजाय तो कितनी रौनक हो जायगी।
हां तो वह छोरी तो अपनी नीरा की सहेली थी, इस का मतलव ये थोड़े ही है कि उसको अपने घर की बहू बना लो। शादी व्याह में जात पात देखना जरूरी होता है,साथ ही उसका खानदान भी अपनी बराबरी का होना चाहिए,तभी तालमेल सही बैठता है।
दादी आजकल जमाना बदल गया है जात-पात में क्या रक्खा है। इन्सान की नेचर अच्छी होनी चाहिए
दादी का बड़बड़ाना चालू होगया कि तुम लोग तो पता नही क्यों बेवजह#अनरथकरने पर तुले हो।
चार अक्षर पढ़ाई लिखाई क्या करली किसी बात को मानने समझने को ही तैयार नहीं होते
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दादी ने अपने बेटे रामनाथ को आबाज दी। रामनाथ ये में क्या सुन रही हूं।तुमने अपने समर का रिश्ता ऐसे कैसे इस लड़की से पक्का कर दिया जिसका बाप एक परचून की दुकान चलाता है।न तो हमारी हैसियत व उसकी आर्थिक हैसियत एक बराबर है और न बह लड़की हमारी जाति की है ।
माना बच्चे तो आज-कल अपनी मनमानी करते हैं, परंतु तेरी अकल क्या घास चरने गई थी जो तुमने इस लड़की को अपने घर की बहू बनानें की सोची।
अम्मा पहली बात तो ये लड़की हम सबकी देखी भाली है। दूसरे अपना समर इसको पसंद करता है ।समर ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि शादी करेगा तो सिर्फ मीता से, नहीं तो शादी ही नहीं करेगा।
अच्छा अम्मा यह बताओ कि इस बात की क्या गारंटी है कि अपनी। जाति की लड़की अच्छे स्वभाव की हो।
अम्मा जाति से पहले स्वभाव अच्छा होना बहुत जरूरी है,ताकि घर में सुख-शांति वनी रहे।
सबसे बड़ी बात तो यह है अम्मा कि ये जाति का भेदभाव हम इन्सानों ने अपनी सुबिधानुसार ही बनाया है बरना भगवान ने तो सभी इन्सानों को एकसा ही बनाया है।
रही उसके बाप की परचून की दुकान की बात सो समय बदलते देर नहीं लगती क्या पता कुछ दिनों बाद वह किसी बड़े कारखाने का मालिक बन जाय।
बैसे आपको बताना तो नहीं चाहता था लेकिनआपके मन से इस जातिबाद के भेदभाव को दूर करना वहुत जरूरी था।
आपको याद है न पिछली बार जब आप गांव से यहां आई थी,एकदिन नहाते समय आप बाथरूम में गिर पड़ी थीं,आपके सिर में चोट लगने से ढेर सारा खून वह गया था। डॉक्टर ने तुरंत दो बोतल खून का इंतजाम करने को कहा था।उस समय हममें से किसी का खून आपके खून से मैच नहीं होरहा था।आपका ब्लड गुरप ओ था,तो इसी मीता ने आगे होकर अपना ब्लड आपको दिया था।ताकि आपकी ज़िन्दगी सही-सलामत रहे।
अब आप ही सोचो आपके तो शरीर में ही इस लड़की का खून दौड़ रहा हैं,तो ऐसे में जाति पात के भेदभाव को मन में पालना बेमानी है।
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अब अम्मा की बोलती बंद हो गई थी और वे टुकुर-टुकुर अपने बेटे की तरफ देख रही थी। ठीक है जैसी तुम लोगों की मर्जी, मैं तो तुम लोगों की खुशी में ही खुश हूं।बैसे बेटे तेरी बातों से मेरी आंखें खुल गईं हैं।
समय के अनुसार अपनी सोच को बदलना बहुत जरूरी होता है, जरूरी नहीं कि सदियों से चली आ रही घिसी पिटी बातों पर चल कर वेवजह मन में गलतफहमी को जन्म दिया जाय।
स्वरचित व मौलिक
माधुरी गुप्ता
#ये क्या अनर्थ कर दियातुमने#