उज्ज्वला और आशीष के विवाह को 5 वर्ष पूरे होने जा रहे थे। आशीष की मां सुनीता जी को उनके यहां अभी तक संतान न होने की चिंता सताती रहती थी। व्रत, पूजा, अनुष्ठान,दवाइयां सब कुछ करवा चुकी थी
विवाह को छठा साल भी शुरू हो चुका था।
तब ईश्वर की कृपा हुई और उज्ज्वला ने खुशखबरी सुनाई। सुनीता जी अत्यंत प्रसन्न थी और पूरा समय उन्होंने उज्ज्वला का खूब ध्यान रखा समय आने पर एक प्यारी सी कन्या का जन्म हुआ जिसका नाम उन्होंने भाविया रखा।
सुनीता जी के मन में एक आध बार आया कि काश! पहले पोता हो जाता,पर वह खुश थी।
पंडित जी की बातों पर सुनीता को बहुत यकीन था। पंडित जी ने बताया कि “बिटिया बहुत किस्मत वाली है जहां जाएगी समृद्धि और खुशियां इसके साथ होगी। वैसे तो आपकी किस्मत में पोते का सुख नहीं है लेकिन भाविया की किस्मत इतनी तेज है कि वह अपनी किस्मत से अपने दो भाई लेकर आएगी और आपको दो पोतों का सुख मिलेगा। ”
सुनीता जी फूली नहीं समा रही थी। घर के सब लोग बच्ची पर जान छिड़कते थे। वह थी भी बहुत प्यारी और सुंदर। जब वह अपना गुलाबी वाला फ्रॉक और अपने छोटे-छोटे पैरों में पायल पहनकर पूरे आंगन में छम छम करती थी तो सब उसकी नजर उतारने लगते थे। समय बीता वह थोड़ी बड़ी हो चुकी थी और अब उज्ज्वला नेजुड़वा बच्चों को जन्म दिया।एक बेटा और एक बेटी। सुनीता जी को दो पोतों का इंतजार था। फिर सोचा कोई बात नहीं जैसी ईश्वर की मर्जी।
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बेटी का नाम तानिया और बेटे का नाम तरुण रखा गया। जब से भाविया पैदा हुई थी, उसके पिता ने अपने व्यापार में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की की थी। उन्होंने स्टील के बर्तनों के तीन कारखाने और खोल लिए थे। तीनों बच्चों का पालन पोषण बढ़िया तरीके से हो रहा था। भाविया पढ़ने में भी बहुत अच्छी थी। बहुत सुखद समय व्यतीत हो रहा था और पढ़ लिखकर बच्चे भी समझदार हो चुके थे। भाविया का बीटेक पूरा हो चुका था और उसका रिश्ता भी तय हो चुका था। उसके होने वाले दूल्हे का नाम सुमित था। दोनों की सगाई हो चुकी थी और 4 महीने बाद दिसंबर में शादी थी।
इस बीच सुमित और भाविया कई बार एक साथ घूमने गए। पहली बार भाविया सुमित से मिलकर एक घंटे में ही वापस आ गई थी लेकिन दूसरी बार उसने सुबह से लेकर शाम तक उसके साथ समय बिताया। दोनों ने एक साथ मूवी देखी, और लंच किया, फिर शाम के समय एक खूबसूरत गार्डन में हरी हरी घास पर जाकर बैठ गए।
उस गार्डन में लड़के लड़कियों का एक ग्रुप भी पिकनिक करने के लिए आया हुआ था और वह लोग अंताक्षरी खेल रहे थे। तब भाविया ने देखा कि सुमित बड़े ध्यान से लड़कों की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था। उसे थोड़ा अजीब लगा पर उसे यह भी अच्छा लगा कि सुमित दूसरी लड़कियों को नहीं घूर रहा है। फिर सुमित उसे घर छोड़ आया।
उसके बाद एक बार फिर वे लोग घूमने गए, तब भी मार्केट में सुमित का ध्यान न जाने कहां था। उसने सुमित की बातों में केवल लड़कों का जिक्र सुना और खासकर रोहित का। रोहित ये, रोहित वो, रोहित अच्छा। उसे लगा कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं, सुमित उसकी तरफ कभी ध्यान नहीं देता, ना उसके शौक, ना कपड़े ना ज्वेलरी, ना पढ़ाई किसी पर भी ध्यान नहीं देता था। एक बार तो सुमित ने अपने बेस्ट फ्रेंड रोहित के बारे में बात करते-करते ही पूरा समय व्यतीत कर दिया।तब भाविया ने कहा, ” मुझे भी कभी मिलवाओ रोहित से। ”
सुमित ने खुश होकर हां कर दी। अगले हफ्ते उसने रोहित को बुलाया। न जाने क्या सोच कर भाविया तय समय से 15 मिनट पहले ही मिलने वाले स्थान पर पहुंच गई और वहां उसने देखा कि रोहित और सुमित हाथों में हाथ लिए एक दूसरे को बड़े प्यार से देख रहे हैं। उसे देखकर दोनों अचकचा गए, लेकिन तब तक वह सब कुछ समझ चुकी थी।
उसने बाद में सुमित से पूछा, ” सुमित सब कुछ सच-सच बताओ, यह सब क्या है, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा, देखो यह हम दोनों की जिंदगी का सवाल है। ”
तब बहुत पूछने पर सुमित ने बताया, ” मैं गे हूँ। मुझे रोहित बहुत अच्छा लगता है और मुझे लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं है। ”
भाविया को धक्का लगा। उसने पूछा, ” तो फिर तुमने मेरे साथ शादी के लिए हां क्यों की, क्यों तुम मेरी जिंदगी खराब करना चाहते थे। मैं तो सचमुच किस्मत वाली हूं जो मुझे शादी से पहले सच पता लग गया। तुम्हें अपने घर वालों को सच बता देना चाहिए था। ”
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सुमित-” घर वालों को सच बताने की मेरी हिम्मत नहीं थी और न है। वह जब शादी के लिए जिद करने लगे तो मैंने हां कर दी और सोच की शादी के बाद पढ़ाई करने के बहाने विदेश चला जाऊंगा और वहां रोहित को भी बुला लूंगा।
भाविया-” वाह सुमित, कितनी आसानी से कह दिया तुमने, मैं या कोई और दूसरी लड़की यदि होती, तुमने तो उसका जीवन बर्बाद कर ही दिया था।जाओ अब यहां से अपने घर वालों को सच बताओ और किसी भी लकड़ी की जिंदगी खराब मत करना। ”
वह सुमित से रिश्ता तोड़कर आ गई और घर जाकर सबको सच बताया। सब सच जानकर हैरान थे और फिर कुछ दिन बाद उन्हें पता लगा कि सुमित पढ़ाई करने के लिए विदेश चला गया है। भाविया समझ गई थी कि उसने घर पर सच नहीं और उसका परिवार यही इंतजार करते-करते रह जाएगा कि एक दिन सुमित वापस आकर किसी न किसी लड़की सेशादी करेगा।
उसके बाद भाविया का विवाह एक बहुत अच्छे संपन्न परिवार में हुआ। उसने अपनी जिंदगी अपने पति कौशल और दो प्यारे प्यारे बच्चों के साथ गुजारी। उसका पति कौशल उसे प्यार से किस्मत वाली कहता था क्योंकि विवाह के बाद कौशल ने बहुत तरक्की की थी।
स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली
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