आनंद को साधना में लीन देखकर पद्मिनी को बड़ा आश्चर्य हुआ।उसे उम्मीद ही नही थी की वो भी एक दिव्य आत्मा हो सकता है।फिर उसमें कोई दिव्य शक्ति क्यों नही है उसने उस दिव्य आत्मा से पूछा ।
इसलिए की दो दो दिव्य शक्तियों के रहने से जो भावी योजनाएं है उसमें ब्यवधान हो सकता है।और शक्तियों को भी बचाकर रखना है अगले किसी बड़े कार्य की सिद्धि हेतु।
आनंद तुम्हारा एक साधारण मानव के रूप में सहयोग करेगा लेकिन उसमे भी कई बिलक्ष्ण प्रतिभाए होंगी जो एक साधारण मानव में नही होती है ।वो दिव्य शक्तियों का प्रयोग कदाचित नही करेगा।
पदमिनी बड़े ध्यान से उस दिव्य आत्मा की वाणी को आत्मसात कर रही थी ।
उसने पूछा मुझे कौन कौन से कार्य करने है ।
सब तुम्हे समय समय पर दिव्य आत्माये खुद बताती रहेंगी ।तुम वो करती जाओ जो तुम्हारे सामने आता जाता है ।अब तुम जाओ अन्यथा तुम्हारे परिवार में सब चिंतित हो रहे होंगे।
पदमिनी को आवाज देती हुई उसकी मां नैना देवी उसके कमरे में आई लेकिन दरवाजे पर ही वो ठिठक गई।सामने पद्मिनी पद्मासन लगाकर ध्यान साधना में लीन थी ।उसके चहरे से दिव्य आभा चमक रही थी ।शाम के धुंधलके और दीपक की रोशनी में उस कमरे में मानो कई ट्यूब लाइट जल रही हो इतना प्रकाश फैला हुआ था।
उसकी मां की नजर अपनी बेटी के चहरे पर टिक नहीं रही थी ।वो हतप्रध हो उल्टे पांव भागी अपने पति अक्षय लाल दास को बुला लाई।
उसके पिता भी अपनी बेटी का अद्भुत रूप देखकर आवाक रह गए।ऐसा दृश्य तो उन दोनो ने आजतक नहीं देखा था।
उनकी बेटी जरूर पूर्व जन्म में कोई महापुरुष,संत या महात्मा रही होगी तभी तो उन्हे उसका ऐसा अद्भुत रूप देखने को मिल रहा है।
सिर्फ रूप ही नही उसके कार्य भी अचंभित करने वाले होते है ।लेकिन उसे किस बात की सजा मिली है जो एक गरीब के घर में पैदा हुई है ।
उन दोनो ने मन ही मन में सोचा ।
तभी पद्मिनी ने अपनी आंखे खोल दिया।
गरीब नही बाबूजी जी आप सब तो दुनिया के सबसे धनवान माता पिता है।
मैं और कोई नही आप दोनो की बेटी ही हूं।मैं भाग्यशाली हूं की आप दोनो का मुझे ढेर सारा प्यार मिलता है ।
उसकी मां उसकी बात सुनकर भाव बिहवल हो गई और रुंधे गले से उसको अपने हृदय से लगा लिया ।
हमलोग जरूर कोई पुण्य किए होंगे बेटी जो तुमने मेरी कोख से जन्म लिया।
उसके पिता ने उसके सिर पर हाथ फेर दिया ।
अब चलो मां मुझे बड़ी जोर की भूख लगी है कुछ बनाते है और खाते है ।तीनो उसके कमरे से बाहर निकल गए।
अभी सब लोग खाना खाने बैठे थे तभी आनंद विधायक जी के साथ उनकी गाड़ी से पहुंच गया।
पदमिनी को खाना खाते देख खुश होते हुए बोला_ अरे यार ये भी क्या बात हुई तुम अकेले खा रही हो और मुझे जोरो की भूख लगी हुई है।
तुम अभी इस समय क्या हुआ और साथ में विधायक जी भी है ।जाओ मुंह हाथ धो लो और विधायक जी के साथ तुम भी खा लो।पेटू कही का जब देखो खाने खाने करता रहता है।पदमिनी ने कहा और खड़ी होने लगी ।
विधायक जी ने कहा _ अरे तुम बैठी रहो जल्दी से खा लो फिर बात करते हैं।
उसके पिता ने विधायक जी का अभिवादन किया और एक चारपाई लाकर रख दिया ।आनंद और विधायक दोनो उसपर बैठ गए।
पदमिनी की मां खाना छोड़कर उठ गई और रसोई घर में चली गई।
थोड़ी देर में अक्षय लाल ने जमीन पर चटाई बिछा दिया और उन दोनो को उसपर बिठाकर दोनो के सामने लोटा में पानी भरकर गिलास सहित दे दिया।
आनंद पदमिनी की बगल बैठ गया ।उसकी मां ने उन दोनों के लिए भी खाना लगा दिया।।उसने ठिठोली करते हुए धीरे से कहा,_ आश्रम के बाद आज तुम्हारे साथ खाने का अवसर मिला है।तुम्हारे साथ खाने में बड़ा ही आनंद आता है।भूख भी बढ़ जाती है।
तुम्हारी बात ही कुछ और है।
पद्मिनी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा,_ कुछ तो शर्म करो सामने मेरे माता पिता और विधायक जी है वे सब क्या सोचेंगे।
क्या सोचेंगे मैं तो तुम्हारी तारीफ कर रहा हूं यार आनंद ने मुस्कुरा कर कहा।
चुपचाप खाना खाओ नही तो सबके सामने तुम्हारी पिटाई कर दूंगी ।पदमिनी ने उसे डांटते हुए कहा।
अरे ऐसा जुल्म मत करना यार वर्ना विधायक जी के सामने मेरी इज्जत की धज्जी उड़ जायेगी।इतना बोलकर वो चुपचाप खाना खाने काहे।
पदमिनी उसकी शराफत देखकर मुस्कुराने लगी।
उन दोनों की ये हरकत उसके माता पिता से छिपी नहीं रही ।उसकी मां ने उसके पिता को किनारे ले जाकर धीरे से कहा _ इन दोनों में बहुत प्यार लगता है।जोड़ी भी बहुत सुंदर लगती है ।इन दोनों की पढ़ाई पूरी होने के बाद दोनो के विवाह की बात चलायेंगे।
उसके पिता ने कहा _ तुम ठीक कह रही नैना मैं भी यही सोच रहा हूं।
खाना खाने के बाद विधायक जी ने खाने की बड़ी प्रसंसा किया और कहा _ पदमिनी मैं दो काम से तुम्हारे पास आया हूं ।एक तो मेरे विरोधी हाथ धोकर मेरे पीछे पड़े हैं।हमेशा कोई न कोई षडयंत्र रचते रहते है मुझे बदनाम करने के लिए ताकि अगले चुनाव में हार जाऊं।दूसरा की तुम्हारी पंचायत का मुखिया सुधरने का नाम नही ले रहा है।आवास योजना के नाम पर सभी लाभुको से बीस बीस हजार रूपए ले रहा है।इससे तो मेरा भी नाम खराब हो रहा है।
मैं चाहता हूं चुनाव तक तुम किसी तरह उनके षडयंत्रों के बारे मे पता लगाकर मुझे बताते रहो ताकि मैं सावधान हो जाऊं।
दूसरा की तुम अपने पिता के माध्यम से मुखिया को बीस हजार रूपए आवास योजना का कमीशन मुखिया को दिलवाओ मैं निगरानी विभाग से उसे रंगे हाथों पकड़वाना चाहता हूं ।उनसे मेरी बात हो गई है।इतना कहकर विधायक ने उसे हाथों में बीस हजार रूपए थमा दिया और कहा _ इसमें लाल रंग का केमिकल लगा हुआ है।रुपए लेते ही उसके हाथों में रंग लग जायेगा ।जब उसका हाथ पानी में डाला जाएगा तो उसका हाथ लाल हो जायेगा।।
ठीक है विधायक जी चूंकि आप एक ईमानदार और कर्मठ नेता हैं इसलिए मैं आपका साथ दूंगी ।
जाते जाते आनंद ने कहा _ कल से कॉलेज में परीक्षा का फार्म भरा जा रहा है तुम तैयार रहना मैं आ जाऊंगा तुम्हे लेने।
सोते समय अभी पद्मिनी ने एक नींद की झपकी ही ली थी की हड़बड़ा कर उठ बैठी ।बगल में सोई हुई उसकी मां जो उसका सिर दबा रही थी ने चौंक कर पूछा क्या हुआ बेटी तुम इस तरह घबड़ा कर क्या उठ गई ।
मां मैने अभी अभी एक बड़ा भयावह दृश्य देखा है।पदमिनी ने कहा।
क्या देख लिया तुमने बेटी बताओ मेरा दिल घबडा रहा है।उसकी मां ने कौतूहल से पूछा
मैं मैने देखा मेरे शहर के एक प्राइवेट अस्पताल में लोगो के किडनी और कई अंग निकालकर महंगे दामों और बेच रहे हैं।कई लोग मर भी गए है।अंधे लंगड़े लुढ़े हो रहे है ।मैंने उनके परिवारों को रोते बिलखते देखा है।
पदमिनी ने गंभीर होकर कहा।
कैसे पापी ,राक्षस और निर्दयी लोग है यहां।
डॉक्टर को दूसरा भगवान कहा जाता है और यही लोग सबका विश्वाश तोड़ते हैं।ये लोग मरीजों का इलाज नहीं बल्कि लूटते हैं।अपने फायदे के लिए लोगो लूटते है।
उसकी मां ने गुस्से से घृणा और नफरत ब्यक्त करते हुए कहा।
मैं इन लोगो को छोडूंगी नही मां तुम देख लेना ।
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भविष्य दर्शन (भाग-20) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड