Moral Stories in Hindi : बिटिया रानी , एक बात बोलूं ? तू मुझे कुछ अंग्रेजी के शब्द अच्छे से बोलना सिखा देगी क्या ? मुझे समझ में तो आ जाता है पर इंग्लिश में बोलना नहीं आता , मैं भी बातों के बीच में अंग्रेजी के कुछ शब्द लाना चाहती हूं पर उच्चारण ठीक से नहीं हो पाता है , फिर गलत बोलकर मुझे झेंप महसूस होती है ।
मम्मी , प्लीज आप हिंदी में ही बात किया कीजिए ना… आपकी हिंदी इतनी अच्छी है आप उसे छोड़कर आधुनिकता के चक्कर में कहीं अपनी हिंदी के अच्छी पकड़ को भी कमजोर ना कर दें !
कहीं अंग्रेजी और हिंदी के मध्य लटकती ही ना रह जाए ! जिस भाषा का ज्ञान अच्छी तरह हो उसका लाभ खुद भी उठाएं और दूसरों को भी लाभान्वित कराती रहें… हालांकि किसी भी भाषा का ज्ञान होना अच्छी बात है पर अंग्रेजी नहीं आती , ये शर्मिंदगी का कारण नहीं होना चाहिए ।
मैंने उस दिन जब घर में किटी पार्टी थी .. सुना था , आप स्टैटेजी को स्टेटरजी और न जाने क्या-क्या बोल रही थी , यदि आपने इसके बजाय वहां पर शुद्ध हिंदी में रणनीति कहा होता तो क्या बुरा होता ।
पर नहीं आपको तो इंग्लिश बोलना ही था चाहे वो गलत ही क्यों ना हो ! बस बिटिया रानी , तूने तो मेरी आंखें खोल दी… बेटी के इस बात को भारती ने गांठ बांध ली…
सही भी तो है , हम मध्यम वर्गीय परिवार के साधारण लोग दूसरों की देखा देखी अपनी वास्तविक क्षमता को ताक में रखकर अंधी दौड़ में शामिल होना चाहते हैं …जब भारती ने सोचना शुरू किया बरबस उसे उन दिनों की याद आ गई , जब बेटी के इंग्लिश मीडियम स्कूल में हिंदी विषय पर एक निबंध लिखना था और भारती ने सुंदर उक्तियों के साथ शुद्ध हिंदी भाषा में निबंध लिखवाया था सारे कक्षा में बिटिया की खूब तारीफ हुई थी… शिक्षक ने बेटी से पूछा भी था निबंध लिखने में किसने मदद की है बेटी ने नि: संकोच बोला था मम्मी ने… उस समय शिक्षक का जवाब था.. जब घर में ही इतनी अच्छी हिंदी का ज्ञान रखने वाले हो तो लाभ मिलेगा ही ।
इस कहानी को भी पढ़ें:
अपनी विशेषता को मैंने दरकिनार कर आधुनिकता के चक्कर में अपना ही उपहास कराती रही… मैं भी ना…
खैर… अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है इस बार किटी पार्टी की रौनक कुछ विशेष होगी । आत्मविश्वास की चमक लिए भारती अगले किटी पार्टी का इंतजार करने लगी ।
वाव… कितनी प्यारी लग रही है तेरी साड़ी… किटी पार्टी में भारती के प्रवेश करते ही सभी की आंखें खुली की खुली रह गईं… सच में पिंक कलर के शिफॉन की साड़ी में साधारण से मेकअप में भी गजब की सुंदर लग रही थी भारती…. सभी ने अपने अपने ढंग से तारीफों के पुल बांधे , जबकि साड़ी बहुत साधारण मूल्य की थी ।
थोड़ी अलग-थलग खड़ी शिप्रा एक अजीब सा मुंह बनाए खड़ी थी उसके मुंह से तारीफ के एक शब्द भी ना निकल सके थे , शायद उसे भारती के साधारण साड़ी की इतनी तारीफ की उम्मीद नहीं थी… उसे ऐसा लग रहा था मानो कीमत ही सुंदरता का पर्याय होता है.. तो यकीनन मेरी साड़ी को लोग देखते ही रह जाएंगे और फिर मेरी फर्राटेदार इंग्लिश बोलना ये सब हिंदी मीडियम वालों के समक्ष मुझे विशिष्ट तो बनाता ही है ।
मारे जलन के शिप्रा के मुंह से भारती के तारीफ में एक भी शब्द ना निकले…
पर इस बार मामला कुछ अलग सा हो चला था , वहां अपने बारे में अपनी खूबियों (विशेषताओं) के बारे में दो-दो शब्द कहने थे…
भारती ने अपनी शुद्ध हिंदी भाषा में उक्तियों के साथ अपने बारे में कहना शुरू किया , विषय को प्रिय और रुचिकर बनाने में भारती ने कोई कसर नहीं छोड़ी…. कई शब्दों के अर्थ समझने के लिए शिप्रा बगले ताक रही थी ।
आज शिप्रा का वही हाल है जो पहले भारती का होता था , भारती को अंग्रेजी का ज्ञान कम था वही शिप्रा को हिंदी का.. मामला दोनों ओर बराबर का था ।
आज भारती को पहली बार आभास हो रहा था कि अंग्रेजी भाषा के ना आने से झेंपना या शर्माने जैसी कोई बात होनी ही नहीं चाहिए ।
” हिंदुस्तान में रहकर यदि हिंदी ना आए तब शर्म की बात होनी चाहिए “
इस कहानी को भी पढ़ें:
आप लोगों की इतनी हिम्मत कैसे – अमिता कुचया : Moral Stories in Hindi
और हमें अपने हिंदी और हिंदी बोलने पर गर्व करना चाहिए । भारती के फर्राटेदार शुद्ध हिंदी की लय ने सबका मन मोह लिया था । अब शिप्रा की जलन उत्सुकता में बदलने लगी थी..
भारती , क्या तुम कुछ अपना बहुमूल्य समय मेरे बच्चों को दे पाओगी ? मेरा मतलब.. पार्ट टाइम जॉब… ट्यूशन पढ़ाओगी ? शिप्रा ने अपने घमंड और जलन को ताक पर रखकर बच्चों के उज्जवल भविष्य की खातिर उत्साहित होते हुए भारती से पूछा ।
अंशकालिक नौकरी ? बिल्कुल अध्यापन का कार्य करूंगी ..अपनी हिंदी भाषा को और मजबूत लहजे में परोसते हुए भारती ने जवाब दिया । गजब की चमक थी भारती के चेहरे पर.. अपने हिंदी भाषा की पकड़ पर..
सच में , वास्तविकता… वास्तविकता ही होती है और दिखावा.. दिखावा ही रहता है ।आज मुझे अपने हिंदी भाषा पर गर्व है जिसने मुझे मेरा सम्मान दिलाया भारती ने मुस्कुराते हुए गर्व महसूस किया ।
(स्वरचित मौलिक एवं सर्वाधिकार सुरक्षित रचना)
#जलन
श्रीमती संध्या त्रिपाठी