भक्ति में समर्पण – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: गांव का एक पुराना मंदिर था ।उसके सामने पंडित भोलानाथ वहां बैठे सभी भक्तों को ईश्वर की महिमा की कथा सुना रहे थे।

 वहां मुंशी जी के तीनों बच्चे चीकू मीकू और अंजलि भी बैठे हुए थे।

इन बच्चों के साथ गांव के अन्य कई बच्चे भी बैठकर भोलानाथ जी की कथा को सुन रहे थे। 

भोलानाथ जी ईश्वर महिमा का महत्व और उनके प्रति मानव के समर्पण के बारे में समझ रहे थे।

 अंजलि छोटी बच्ची थी ।उसे यह समझ में नहीं आ रहा था समर्पण क्या होता है?

  वह कौतूहल वश पंडित भोलानाथ जी से पूछ बैठी “पुजारी बाबा, यह समर्पण क्या होता है ?”

“बिटिया,समर्पण हमारी भक्ति होती है।

” तो भक्ति और समर्पण में क्या अंतर हुआ बाबा?” उसने उतने ही भोलेपन से पूछा ।

अंजलि को अपनी गोद में उठा कर बैठाते हुए भोलानाथ जी ने कहा

” देखो बेटा भगवान सर्व शक्तिशाली है। वह कण-कण में है। वह हमारे अंदर अपनी भक्ति देखते हैं ,हमारा समर्पण देखते हैं।

 समर्पण का अर्थ हुआ कि हम उनके प्रति कितने वफादार हैं। कितने मन से उन्हें याद करते हैं और कितने मन से उनकी पूजा करते हैं।

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 पूजा का अर्थ यह नहीं होता कि हम  अगरबत्ती लेकर जलाएं  या फिर घी के दिए जलाएं ।वह सिर्फ हमारी अंतरात्मा से वफादारी चाहते हैं।

 यदि हम मन से भक्ति करते हैं तो उसका अर्थ हुआ कि हम उनके प्रति समर्पित है।”

” अच्छा ,अच्छा!, अंजलि की  कौतूहल से भरी आंखें अब संतुष्ट हो गई । 

“देखो बेटा, बस तुम ओम नमो नमो ;राधे राधे! बोलो ईश्वर तुम्हारा बेड़ा पार लगा देंगे। जो भगवान अपनी छोटी उंगली से पूरे गोवर्धन पर्वत उठा दिया था, वह क्या नहीं कर सकते !बस हमारे अंदर वह भावना होनी चाहिए।

 छोटी सी अंजलि ने अपने दिमाग में यह बात भर ली थी।

 थोड़े दिन बीते सावन का मौसम आया। इस बात का सावन विकराल रूप लेकर आया था।

 ना जाने किस बात का क्रोध महादेव बारिश के बहाने से निकाल रहे थे। जिधर देखो उधर बारिश, जिधर देखो उधर बारिश!

 छोटा सा बलियापुर बारिश से उफनने लगा था। सारी नदियां अपनी सीमाएं तोड़कर गांव के अंदर घुसने लगी थी और एक दिन वह अपनी लाज ,शर्म और हया तोड़कर पूरे बलियापुर को जलमग्न करने के लिए लालायित हो उठी ।

“भागो, भागो! प्रलय आ गया…! प्रलय आ गया!”

 जो जिधर सका उधर भाग निकला।

गांव का शिव मंदिर थोड़ा ऊंचाई पर बना हुआ था और काफी बड़ा था।

 पुजारी भोलेनाथ ने जितने लोगों को मुसीबत से निकाला उन्हें बुलाकर अपने मंदिर में शरणागत कर दिया। लेकिन बाकी लोगों का कुछ पता नहीं चल रहा था।

 जो लोग मंदिर में थे उनमें अंजलि और उसके दोनों बहने और मोहल्ले के कुछ बच्चे भी थे।

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 लेकिन अधिकांश  बच्चों के माता-पिता इस बाढ़ और बारिश के प्रकोप में गुम हो चुके थे।

 यह बड़ा ही डरावना मंजर था। चारों तरफ चीख पुकार मची हुई थी।

 पानी तो मंदिर के अहाते तक घुस चुका  था।

 कमर तक पानी  हो गया था।

 बच्चों को पुजारी काका ने मंदिर के अंदर ही बैठा दिया था ।

कान्हा जी की मूर्ति,  मुस्कुराते हुए अपना वात्सल्य उड़ेलते हुए अपलक देख रही थी।

 अंजलि की आंखें भर आई। उसकी छोटी बहनें रो रही थीं।

 चीकू डर कर बोली

“अगर अम्मा बाबूजी नहीं आए तो हमारा क्या होगा दीदी?.”

“धीरज धरो चीकू !,ऐसा नहीं होगा। भगवान जब दुख देते हैं तो उसमें सुख भी छुपा होता है। ऐसा हमारी दादी ने कहा था और पुजारी बाबा ने कहा था ना कि ईश्वर तो कणकण में हैं।

 वह सिर्फ हमारा समर्पण खोजते हैं। यदि हम सच्चे हृदय से उनकी पूजा करें तो वह हमें हमारी जरूर  मदद करेंगे।

चलो मंदिर में।”

 वह अपनी दोनों बहनों  और बाकी बच्चों को लेकर मंदिर में चली आई। उसने बच्चों से कहा 

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“पुजारी बाबा कह रहे थे ना जब भी तुम मुसीबत में रहो तो ओम नमो नमो राधे राधे!बोलो देखना ईश्वर तुम्हारी इच्छा पूरी कर देंगे।”

  सब बच्चे मिलकर “ओम नमो नमो राधे राधे” का मंत्र जाप करने लगे ।

धीरे-धीरे बच्चों के साथ बड़े लोग भी वहां जाकर उनके साथ देने लगे और मंदिर के सारे लोग वहां पहुंचकर मंत्रों में साथ देने लगे।

मंदिर का माहौल बहुत ही भक्तिमय हो गया था ।

चारों तरफ से ओम नमो नमो राधे राधे का ही मंत्र गूंज रहा था।

 थोड़ी देर बाद आश्चर्यजनक रूप से पुलिस के साथ गांव के कुछ बुजुर्ग पहुंच कर कहते हैं

“गांव के कुछ लोग  हमारे राहत कैंप में मौजूद है। जल्दी बाजी में जो सका उसे हमलोग ले गए।

 

 

अंजलि के माता-पिता  आकर उसे और बाकी बच्चों को अपने गले से लगा लिया।

” बेटी तुम्हारी भक्ति,तुम्हारे समर्पण ने तुमसे मिला दिया वरना हम तो सोच रखे थे कि हमने अपने बच्चों को खो दिया।”

” नहीं बाबूजी, पुजारी बाबा ने कहा था भक्ति में समर्पण होना चाहिए तभी भक्ति में शक्ति आ जाती है।”

 छोटी सी बच्ची ने सभी को ज्ञान का पाठ पढ़ा दिया था ।

दोस्तों समर्पण विषय पर मैंनें थोड़ी अलग हटकर कहानी लिखी है।

कैसी है जरूर समीक्षा में बताइएगा ।

आप सभी का धन्यवाद !🙏

प्रेषिका – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय

#समर्पण साप्ताहिक विषय

 

 

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