शाम का समय था। चाय का प्याला लेकर मैं भाभी के पास बैठी। भाभी हमेशा की तरह मुस्कुरा रही थीं, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सा दर्द छिपा हुआ था। मुझे हमेशा से लगता था कि भाभी के चेहरे पर जो सुकून और शांति दिखती है, उसके पीछे कहीं न कहीं बहुत सारे अनकहे संघर्ष छिपे हैं।
मैंने धीरे से पूछा, “भाभी, आप हमेशा इतनी शांत और सहनशील कैसे रहती हैं? जब आप पर इतनी जिम्मेदारियाँ हैं, इतने त्याग करने पड़े हैं, फिर भी आप कभी किसी से शिकायत क्यों नहीं करतीं?”
भाभी ने हल्की सी मुस्कान दी और चाय का घूंट लेते हुए बोलीं, “शिकायत करने से कभी कुछ नहीं बदलता, छोटी। हाँ, मेरी जिंदगी में बहुत मुश्किलें आईं, लेकिन मैंने हर परिस्थिति को अपना हिस्सा मान लिया।”
मैंने जिज्ञासा से पूछा, “कैसी मुश्किलें, भाभी? क्या आप मुझे बताएंगी?”
भाभी की आँखें थोड़ी नम हो गईं। उन्होंने कहना शुरू किया, “जब मैं इस घर में आई, तो बहुत सपने लेकर आई थी। लेकिन जल्दी ही समझ आ गया कि ये घर सिर्फ मेरी जिम्मेदारी नहीं, मेरा परीक्षा स्थल भी है। सासु माँ की तबीयत खराब रहती थी, देवर जी की पढ़ाई की चिंता, और ऊपर से तुम्हारे भैया का कारोबार शुरू करने का तनाव। कई बार लगा कि मैं भी टूट जाऊँगी, लेकिन फिर मैंने अपनी माँ की एक बात याद की—’जिंदगी में हर मुश्किल तुम्हें कुछ सिखाने आती है। उसे अपनाना सीखो।'”
“लेकिन भाभी, क्या कभी आपका मन नहीं हुआ कि आप इन सबसे भाग जाएँ?” मैंने उत्सुकता से पूछा।
“हुआ था,” भाभी ने कहा। “एक बार बहुत गुस्से में मैंने तुम्हारे भैया से कह दिया था कि मैं सब छोड़कर मायके चली जाऊँगी। लेकिन फिर सासु माँ ने मेरा हाथ पकड़कर कहा, ‘बेटा, घर की ताकत बनो, बोझ नहीं।’ उस दिन मैंने ठान लिया कि मैं हर परिस्थिति का सामना करूंगी। बस, वहीं से मेरी असली यात्रा शुरू हुई।”
इस कहानी को भी पढ़ें:
भाभी ने अपनी बातें जारी रखते हुए कहा, “जब भी कोई परेशानी आई, मैंने उसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। मैंने हर मुश्किल को एक नई सीख समझा। और सबसे बड़ी बात, छोटी, जब आप दूसरों के लिए जीने लगते हो, तो खुद का दर्द भी हल्का लगने लगता है।”
उनकी बातें सुनकर मेरी आँखें नम हो गईं। मैं सोच रही थी कि हम लोग अक्सर छोटी-छोटी बातों पर परेशान हो जाते हैं, लेकिन भाभी जैसी महिलाएँ पूरे घर का भार अपने कंधों पर उठाए, मुस्कुराते हुए सब सह लेती हैं।
“भाभी, आप सच में हमारी प्रेरणा हैं। मैं आपसे बहुत कुछ सीखना चाहती हूँ,” मैंने धीरे से कहा।
भाभी ने प्यार से मेरा सिर सहलाते हुए कहा, “जीवन में सहनशीलता से बड़ी कोई ताकत नहीं होती। बस यही सीख याद रखना।”
उस दिन मुझे समझ आया कि भाभी की मुस्कान के पीछे उनके साहस और त्याग की कितनी बड़ी कहानी छिपी है। भाभी की बातें मेरे दिल में हमेशा के लिए घर कर गईं।
कहानी का संदेश:
जीवन में सहनशीलता, त्याग, और सकारात्मक दृष्टिकोण से बड़ी कोई ताकत नहीं होती। हर कठिनाई हमें कुछ नया सिखाने और मजबूत बनाने आती है। दूसरों के लिए जीने और जिम्मेदारियों को स्वीकार करने से इंसान न केवल खुद को बल्कि अपने आसपास के लोगों को भी सशक्त बनाता है। शिकायत करने की बजाय, मुश्किलों को अवसर में बदलने का दृष्टिकोण अपनाना ही सच्ची सफलता है।
विशाल पवार