बेटियों वाली- डाॅ उर्मिला सिन्हा: hindi stories with moral

hindi stories with moral : बेटा विवाह का घर… हजारों काम …पुश्तैनी मकान दुल्हन की तरह सजा हुआ था! जगमग रौशनी… मेहमानों का जमघट… हंसी-मजाक… स्वादिष्ट भोजन मिठाईयों का रेलम-रेला!

     तिलक चढने की तैयारी चल रही थी।सभी सजधजकर… महिलाएं अपनी सजावट से अप्सराओं को मात दे रही थी। 

इस सब भव्य तैयारी के  पीछे खानदान की छोटी बहू गौरी और उनकी दो किशोरी बेटियों का अथक परिश्रम था। गौरी का कसूर यही था कि वह निर्धन घर की अति रुपवती कन्या थी। जिसका विवाह बडी़ चतुराई से दया दिखाते घर के संपन्न मालिक ने अपने अधपगले बेटे से करा दी।

“तेरी बेटी राज करेगी…वरना बिना दानदहेज के कौन व्याहेगा। “

अनाथ गौरी का निर्धन मामा हाथ जोड़ अपनी भगिनी को बड़े घर-परिवार के  मालिक को सौंप… जिम्मेदारी से मुक्त हो गया। 

गौरी अपने अधपगले पति की उलूल-जुलूल हरकतें और घरवालों के तानाशाही रवैया के बीच पीसने लगी। 

“कम से कम सिर पर छत तो है ” मन ही  मन बुदबुदाती गौरी दौड भागकर सबकी फरमाइसें पूरी करती। 

दैवयोग से गौरी दो रुपवती बेटियों की मां बनी… और घरवालों  के तानों की शिकार भी… “बेटियोंवाली” गौरी का नाम ही पड़ गया। 

  लेकिन उसने बेटियों को पढाना शुरु किया…गौरी शिक्षा का महत्व समझती थी।  लोकलिहाज से घरवाले पढाने लगे। जहाँ घर के अन्य बच्चे ट्यूशन के पश्चात भी घींच-तीर कर पास होते वहीं गौरी की बेटियां प्रथम आने लगी।जलन की मारी… घर की  सुविधा सम्पन्न बहुएं अपना खीझ गौरी पर निकालती। 

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आज भी गहनों का डिब्बा मिल नहीं रहा था। गृह मालकिन गौरी और उसकी दोनों बेटियों को सबके सामने जलील करने लगी, “जैसी मां वैसी बेटियां… फूहड़ लालची। “

“चोरी कर लिया जेवरों का इन्होने “दुसरी इतराई। 

    गौरी हतप्रभ… कोई सफाई देने का कोई मौका ही नहीं दे रहा था। “चोर लालची…मेरे साथ बेटियों को भी भरी सभा में अपमानित कर रहे हैं  ये लोग। “

गौरी चीख पडी़, “खबरदार जो मेरी जिंदगी… मेरा अभिमान मेरी बेटियों को चोर लालची कहा तो… मैं सारा लिहाज भूल जाऊंगी…जब मैने गलती की ही नहीं तो क्यों बर्दाश्त

 करुं…!”

  मां का अनोखा रुप देख बेटियों का स्वाभिमान जाग पडा़… और दहाड़ सुन… लांछना लगाने वाली के आंचल से …छिपाया हुआ जेवर का डिब्बा …सबके सामने  गिर पडा़। सभासद के मुँह में कालिख पुत गई। 

सर्वाधिकार सुरक्षित मौलिक रचना -डाॅ उर्मिला सिन्हा।©®

 

 

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