हरियाणा की एक छोटी सी बस्ती में एक सेठ थे रघुवर सेठ ,
सैकड़ो बीघे खेती के मालिक ओर चार ट्रैक्टर ,सफारी गाड़ी बड़ी बड़ी मूंछे थी सेठ जी की,
खुद का बड़ा खानदान था 5 भाई और 5 बहने सभी सम्पन्न कोई कमी नही
एक दिन सभी एक पास बैठे तो सभी भाई बहन चर्चा करने लगे कि सभी बहनों की शादी तो कर दी है पर अब घर मे कोई लड़की नही आने दी जायेगी बड़ी होने पर मूंछ और पगड़ी जमीन में रखनी पड़ती है,
बहने सुनकर बोली दादा हम भी तो इसी घर में जन्मे थे फिर लड़कियों से इतनी नफरत क्यो तो सेठ ने कहा तुम सब की शादी ने बाबूजी ने नाक रगड़ी जगह जगह पगड़ी रखनी पड़ी ससुराल बालो के चरणों मे,
पगड़ी हमारी शान है अब नही जमीन पर रखेंगे,
ईश्वर की कृपा से सभी भाइयो के यहां लड़के ही हुये सब खुश की बंश बेल आगे बढ़ेगी खूब आतिशबाजी की गई,दावत हुई,
सेठ के यहां 3 लड़के हुये सब बड़े हो गये पढ़लिखकर सर्विस लग गई तो अब सेठ को शादी की चिंता होने लगी ,
बड़े होते लड़के उम्र निकलती जा रही थी पर कोई लड़की बाला तैयार नही हो रहा था ,
सब यह कहकर मना कर देते थे कि सेठ बेटियों का दुश्मन है,
एक दिन सेठ ने अखवार में विज्ञापन दिया कि वह विना दहेज अपने 3 बेटों की शादी करना चाहता है ,
विज्ञापन को देखकर रागिनी के पिता ने कहा सोंचा उसकी भी तीन बेटियां है क्यो न एक साथ शादी हो जाये वह सेठजी के पास पहुंचा और प्रस्ताव दिया सेठ ने स्वीकृति दे दी सभी खूबसूरत थी रागिनी की बहने,
एक साथ शादी का निमंत्रण पाकर पूरा गांव खुश था निर्धारित तिथि पर विवाह की तैयारी शुरू हुई बैंड बाजो के साथ धूमधाम से बारात निकली और भावर के समय एक अनोखी घटना घटी जब रागिनी ने कहा कि सेठ जी एक शपथ ले तभी वह फेरे लेगी उसका समर्थन उसकी दोनो बहनो ने भी किया,
सेठ असमंजस में थे कि क्या शपथ लेनी है वह डर रहे थे कि कही इज्जत न नीलाम हो जाये ,
पगड़ी जमीन पर न रखनी पड़े,
बह मंडप में आये ओर कहने लगे बच्चो हमारी बहुत इज्जत है पगड़ी की लॉज तुम्हारे हांथो में है ,
बताओ हंमे क्या करना है,
रागिनी ने कहा अपने तीनो बेटों की कसम खाकर अग्नि को साक्षी मानकर आप शपथ ले कि घर मे बेटी हो या बेटा सबका स्वागत एक समान होगा और बराबर का हक होगा,
साथ ही प्रतिवर्ष अपने खर्च पर पांच कन्याओं की शादी आप इसी तरह किया करेंगे,
सेठ ने शपथ ली कि भबिष्य में वह यही करेंगे,
इतना सुनते ही तालियों के शोर से बैंड की आवाज भी धीमी पड़ गई लोगो ने मालाओं से लाद दिया सेठ को और उन्हें एक नई पगड़ी पहनाई जा रही थी जो किसी के पैरों मे नही झुकेगी,
उंन्होने अपनी पगड़ी रागिनी के सर पर रख दी और आशीर्वाद देने लगे कि बेटा तुमने मुझे कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया मेरा और मेरी पगड़ी का सम्मान अब तुम ही हो,,,
सच है बहुत कीमती होती है बेटियां,
विशेष,अगले वर्ष तीनो ने बेटियों को ही जन्म दिया और आतिशबाजी ,बैंड ,दावत सब कुछ धूमधाम से ,,,
लेखक गोविन्द गुप्ता,