बहन – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

तुम एक बात आज कान खोल कर सुन लो, मुझे इस घर में तुम्हारी बहन का आना पसंद नहीं है, जब देखो आ जाती है , सपना लगभग चीखती हुई आदर्श से बोली।  

 उसकी ये बात सुनकर आदर्श भी चिल्लाते हुए बोला  “महिमा मेरी न सिर्फ बहन है बल्कि मेरी बेटी भी है , मैंने माँ पापा को वचन दिया था कि ज़िन्दगी भर उसका ख्याल एक भाई से बढ़कर पिता बनकर रखूँगा और मैं ये वचन कभी नहीं तोडूंगा, तुम्हें इस घर में कोई कमी नहीं है , मैंने कभी तुम्हारा कोई हक़ नहीं मारा लेकिन मेरे घर और मुझ पर मेरी बहन का भी हक़ है और रहेगा। 

अब सपना से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने घर सर पर उठा लिया , और आदर्श की बात सुन कर बोली कि मेरा हक़ सिर्फ तब तक ही रहता है जब तक महिमा अपने घर रहती है लेकिन जैसे ही वो यहां आती है , ये घर , तुम सब कुछ सिर्फ महिमा का हो जाता है , तुम अपनी बहन के आगे मुझे भूल ही जाते हो।

नहीं, सपना ये तुम्हारी ग़लतफ़हमी है , वो कभी कभी मिलने आती है तो मैं उस माँ पापा की कमी महसूस नहीं होने देता। लेकिन तुम्हें कभी उसने कोई परेशानी नहीं दी बल्कि आकर तुम्हारे घर के काम में हाथ बंटाती है, आदर्श , सपना को समझाते हुए बोला लेकिन सपना को समझाना मुश्किल था इसलिए आदर्श कमरे से बाहर निकल गया। 

आज राखी का त्यौहार है और महिमा अपने भाई आदर्श को राखी बांधने आने वाली थी , जबकि सपना चाहती थी कि आदर्श और वो उसके मायके जाये , उसे अपने भाई को राखी बांधनी थी। 

हालाँकि आदर्श ने उसे मना नहीं किया था , आखिर वो भी किसी की बहन है। लेकिन आदर्श चाहता था कि वो महिमा से राखी बंधवाकर सपना को उसके भाई के पास ले जाये , पीछे से महिमा घर संभाल लेगी।

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लेकिन सपना को ये मंज़ूर नहीं था उसे लग रहा था कि आदर्श सिर्फ अपनी बहन के दिल को देख रहा है , सपना के नहीं।  इसी बात का झगड़ा आज हुआ था। 

 ड्राइंग रूम में आकर सोफे पर बैठे बैठे आदर्श पुरानी यादों में खो गया 

5 साल की थी महिमा जब माँ पापा का एक्सीडेंट हो गया था और 10 साल के आदर्श ने माँ पापा को बहन की रक्षा का वादा दिया था।  छोटी सी उम्र में आदर्श ने अपनी बहन की ज़िम्मेदारी उठाई उसे पाला पोसा, पढ़ाया लिखाया और एक अच्छे घर में उसकी शादी धूमधाम से की। 

 महिमा अपने भाई से बहुत प्यार करती थी और शादी के बाद उससे मिलने आती रहती थी , महिमा अपने भाई को अकेले देखकर दुखी होती थी , इसलिए महिमा के कहने से आदर्श ने सपना से शादी कर ली। 

सपना से शादी के बाद महिमा और आदर्श को भी लगा था कि महिमा को भाई के रूप में पिता तो सपना के रूप में माँ मिल गई है लेकिन ऐसा हुआ नहीं। 

सपना आदर्श के दिल में महिमा की जगह और प्यार देखकर जल भून जाती थी।  

हज़ार बार समझाने पर भी सपना को समझ नहीं आया। 

आदर्श सोफे पर बैठा ये सब सोच ही रहा था ,कि उसे अपने हाथों पर कुछ गीला सा महसूस हुआ , उसने देखा सामने महिमा उसके पैरों में बैठी है और रो रही है। उसके आंसू आदर्श के हाथों पर गिर रहे थे। महिमा भाई और भाभी का झगड़ा सुन चुकी थी और दरवाज़े पर ही खड़ी रह गई थी। 

महिमा, आ गई तू और ये क्या तू रो क्यों रही है।  क्या हुआ।  आदर्श परेशान हो उठा। 

भाई पहले राखी बंधवा लीजिये फिर मैं आपसे कुछ मांगूगी , आप ने हमेशा सब कुछ दिया है मुझे , इस बार ही देंगे न” महिमा ने आदर्श से कहा। 

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आदर्श ने प्यार से महिमा के आगे हाथ बढ़ाया और उसकी चाहत पूरी करने का वादा किया। 

महिमा ने भाई की कलाई पर राखी बाँधी, आदर्श ने महिमा के लिए लाया हुआ तोहफ़ा महिमा को देना चाहा लेकिन महिमा ने आदर्श को उसका वादा याद दिलाकर अपनी पसंद का तोहफ़ा मांग लिया जिसे सुनकर आदर्श परेशान हो उठा।  

नहीं महिमा अगर सपना बचपना कर रही है तो ज़रूर नहीं कि उसके साथ हम भी बच्चे बन जाये , वो हमारे प्यार को समझ नहीं पा रही।  आदर्श महिमा की बात सुन कर बोला। 

भाई , आप मेरे न सिर्फ भाई हैं बल्कि मेरे पिता है तो सपना भाभी मेरी माँ हुई न और मेरी वजह से मेरी माँ की आँखों में आंसू आएं ये मैं कभी नहीं चाहूंगी।  और भाई आपने हर रक्षाबंधन पर हमेशा मेरी रक्षा का वादा किया है और आपने हर मुश्किल से मेरी रक्षा की है।  

माँ पापा के जाने के बाद आप खुद भूके रहे , मुझे सोने का निवाला खिलाया , आपने छोटी सी उम्र से नौकरी कर कर के मुझे पाला।  किस किस तरह आपने खुद की पढ़ाई को रातों में जाग जागकर घर से ही पूरा किया पर मुझे बड़े स्कूल में भेजा। 

मेरी शादी एक अच्छे परिवार में की।  

हर जगह आपने मेरी रक्षा की तो मैं अपने भाई भाभी के रिश्ते की रक्षा तो कर ही सकती हूँ न, ये मेरा त्याग नहीं मेरा प्यार होगा। इसलिए आज से मैं यहां नहीं आउंगी , आप मेरे घर आ जाया करना राखी बंधवाने। 

मुझे दिया जाने वाला वक़्त आप भाभी को दीजिये , उन्होंने आपका अकेलापन दूर किया है , वो आपकी जीवन संगिनी है अर्धांगिणी है। 

मैं तो आपसे बहुत कुछ लेकर ससुराल गई हूँ लेकिन भाभी अपना परिवार अपना सब कुछ छोड़कर आपके लिए यहाँ आई हैं , उन के घरवाले राज़ी नहीं थे , भाभी ने सबसे लड़ झगड़ कर उन्हें मनाया। 

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लेकिन महिमा , …… नहीं भाई कुछ नहीं कहेंगे आप ,आपने मुझसे वादा किया है और इस राखी पर आपको मुझे ये देना ही होगा और अगर आपने अपना वादा पूरा नहीं किया तो मैं फिर कभी राखी भी नहीं बांधूंगी आपके।  इतना कहकर महिमा जाने लगी , आदर्श कुछ कहता इससे पहले सपना सामने आ गई और महिमा के हाथ से उसका बैग लेकर बोली “कहाँ जा रही हो, हमारे घर में आज भी बेटियां माँ को बिना बताये कही नहीं जाती , सुना तुम ने ” . सपना ने महिमा और आदर्श की बाते सुन ली थी और अपनी सोच पर शर्मिंदा थी। 

भाभी, ये आप क्या कह रही है , सपना की बात से महिमा और आदर्श दोनों ही हैरान थे। 

सही कह रही हूँ , अभी तुम ही कह रही थी कि आदर्श तुम्हारे पिता और मैं माँ हूँ तो फिर अपनी माँ से नाराज़ होकर कैसे जा सकती हो तुम , माँ से आकर बात भी तो कर सकती थी। महिमा मुझे माफ़ कर दो , मैं तुम्हें समझ नहीं पाई ,मुझसे गलती हो गई ,,,।।। 

नहीं भाभी, आप माफी मत माँगिए, माँ बेटी से माफी मांगते हुए नहीं उसे आशीर्वाद देते हुए अच्छी लगती है।। 

महिमा, आज मैं न सिर्फ तुम्हें आशीर्वाद दूँगी बल्कि एक रिश्ता तोहफे के रूप में और दूँगी, आज से तुम सिर्फ अपने भाई आदर्श को ही नहीं, मुझे भी राखी बाँधोगी,,, और मैं और आदर्श तुम्हारी रक्षा का वचन लेते हैं। 

ये कहते हुए सपना ने एक राखी और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया, महिमा ने सपना को भी राखी बांधी और उसके गले लग गई। 

सपना ने आदर्श से भी माफी मांगते हुए अपनी गलती स्वीकार की ।आदर्श ने सपना को दिल से माफ कर दिया और उसे तैयार होकर उसके भाई के घर ले जाने की बात कही । 

नहीं आदर्श, भाई के घर सिर्फ मैं और तुम नहीं महिमा भी जाएगी, आज से वो भी इसका घर है और वहाँ के रिश्ते भी इसके हैं ।।। एक राखी महिमा को वहाँ भी बाँधनी हैं। 

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देखा, भैया, भाभी माँ ने आज मुझे आप से भी अच्छा तोहफा दिया है,,, आज तो आपके प्यार के साथ मुझे एक मायका और मिल गया जो मुझे भाभी ने दिया है। 

आज मेरा पारिवार खुशियों से भर गया, ये सोच कर आदर्श ने भगवान के आगे सर झुका कर धन्यवाद किया और फिर 

तीनों खुशी से एक दूसरे के गले लग गए।।। 

थोड़ी देर बाद सपना भी तैयार होकर आ गई और तीनों हंसी खुशी सपना के मायके जाने के लिए गाड़ी की तरफ़ बढ़ गए ।।।

शनाया अहम

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