बर्दाश्त की हद : hindi stories with moral

hindi stories with moral : रोज़ की तरह मैं बस स्टॉप पे खड़ा बस का इंतज़ार कर रहा था । लाईन इतनी लम्बी थी लग रहा था कि आज भी ऑफ़िस जाने में देरी हो जाएगी । तभी थोड़ी देर में बस आयी और अंदर जाने के लिए सब एक दूसरे को धक्का देने लगे । इसी धक्का मुक्की के चलते मेरा हाथ आगे खड़ी लड़की की कमर पे लग गया ।

यें क्या कर रहे हो बोल उस लड़की ने एक तेज झन्नाटे दार चाटा रसीद कर दिया । कैसे कैसे लोग बस में सफर करते है…..बोल वो लड़की बस मैं चढ़ गयी । मैं बस स्टॉप पे खड़ा अपने गाल को मलता हुआ , वहाँ खड़े लोगों की नज़रों में खुद को दोषी महसूस कर रहा था ।

खैर जैसे तैसे मैं ऑफ़िस पहुँचा , तो वहाँ जाकर भी बॉस की सुननी पड़ी….. फिर लेट ! लगता है तुम्हारा काम करने का मन नहीं हैं । ऐसा करो नौकरी छोड़ दो और घर पर बैठो । यहाँ पर भी मैं ही ग़लत हूँ । मेरे साथ क्या हुआ देर से आने का क्या कारण है । कोई जानना ही नहीं चाहता । नौकरी को बचाने के चक्कर में मैं चुप चाप काम में लग गया । रात को घर आते वक्त मैं सारें रास्ते यही सोच रहा था कि क्या मैं सच में इतना कमजोर हूँ ! जो हर कोई मुझे दोषी ठहराता है । यही सब सोचता हुआ खाना खा सो गया ।

अगले दिन जल्दी ऑफ़िस जाने के चक्कर में अपने सारें काम ख़त्म कर बस स्टॉप के लिए निकल पड़ा । आज स्टॉप पर कम लोग थे । लेकिन उनमे से बहुत से लोग कल वाले ही थे । वो सब मुझे ऐसे घूर घूर के देख रहे थे , मानो मैंने सब जान बूझ के किया हो । तभी बस आकर रुकी और सब बस में चढ़ गए । मैं भी एक सीट पे जा कर बैठ गया ।

मेरे बाजू में बैठी आंटी बोली “बेटा तुम्हारी कोई गलती नहीं थी “। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था । आंटी आप मुझ से कह रही है ?

हाँ बेटा मैंने सब देखा जो कल तुम्हारे साथ हुआ

जो कुछ भी हुआ वो सब धक्का मुक्की की वजह से हुआ ।

यें सुन मुझे एक हौंसला मिला ।

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शुक्रिया आंटी आपको मुझ पर विश्वास है । बस मेरे लिए इतना ही काफ़ी है ।

मुझे ऑफ़िस में समय पर आता देख बॉस भी बहुत खुश थे । थोड़ी देर में हमारी किसी के साथ मीटिंग थी । जैसे ही हम सब कॉन्फ़्रेंस हॉल में पहुँचें । तो मेरे सामने वोही लड़की बैठी थी जिसने मुझे कल चाटा मारा था । उसे देख मुझे ग़ुस्सा आने लगा । मन करा कि अभी जाकर उसे कल का जवाब दूँ । लेकिन सब कुछ भूल कर मुझे प्रेजेंटेंशन में लगना पड़ा । बॉस मेरी मेहनत से बहुत खुश थे ।

मीटिंग ख़त्म हो जाने के बाद मैं उस लड़की के पास गया और बोला…,,,आपने मुझे पहचाना ?

क्या मैं आपको जानती हूँ ?

वाह मैम ! मैं कल के वाक्या की बात कर रहा हूँ जिसमें मेरी कोई गलती नहीं थी । लेकिन आपने मेरी एक ना सुनी और मुझे चाटा मार दिया ।

आप ….मुझे माफ कर दीजिए दरअसल मैंने उस पल जो महसूस किया । वैसा ही जवाब दिया । हम लड़कियों के साथ अक्सर बस में ऐसा होता रहता है । इसलिए खुद की सुरक्षा के कारण आपको मारा । लेकिन जब घर जाकर मैंने इसके बारे में सोचा , तो मुझे एहसास हुआ कि शायद आपकी कोई गलती नहीं थी । मुझे माफ कर दीजिए ।

उसकी बातें सुनकर एहसास हुआ की गलती उसकी भी नहीं थी । बस फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है की मैं बर्दाश्त कर गया और वो नहीं कर पायी । इसलिए अपने पे हुए जुलम को बर्दाश्त ना करे बल्कि इस लड़की की तरह जवाब दे ॥

#वाक्य प्रतियोगिता

स्नेह ज्योति

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