राधा जी की दो बहुऐ हैं-एक का नाम नदंनी व दूसरी का नाम मंदाकिनी,जिसे वे प्यार से मंदा पुकारती हैं। राधा जी ने अपनी दोनो बहुओं के काम का बंटवारा कर रखा है।सुबह का नाश्ता व लंच मंदा बनाती है,तो शाम की चाय व खाना नंदंनी देखती है। इससे सारे काम सुरूचिपूर्ण ढंग से निपट जाते है।और किसी मन मुटाव की सम्भावना भी नहीं रहती। परिवार में सुख-शांति बनी रहतीं है।
आज मंदा के ससुर जी अपनी ब्लड रिपोर्ट व शुगर की रिपोर्ट लेकर आऐ तो बहुत खुश थे क्योंकि दोनों रिपोर्ट एकदम नॉर्मल आईथी। उन्होंने अपनी छोटी बहू मंदा को आबाज लगाईं,मंदा बहूबाहर आओ ,देखो मेरी ब्लडप्रेशर व शुगर की रिपोर्ट एकदम नार्मल आई हैं,जबकि पिछले तीन महीनों से मै इन दोनो समस्याओें से जूझ रहा था। मुझे पूरा यकीन है कि यह सब कमाल तुम्हारे बनाए खाने का है ,तुम कम चिकनाई वाला जो नाश्ता बनाती हो सच में उसे खाकर मन बहुत खुश हो जाता है साथ ही शरीर में फुर्ती भी बनी रहती है।लो कैलोरी होने के कारण हेल्दी भी होता है । हां कह तो आप एकदम ठीक रहें ।इस तरह का खाना खाकर मेरे जोड़ों का दर्द भी काफी कम होगया है।
मंदा को इस घर में व्याह कर कुल छह महीने हुए थे, जबकि बड़ी बहू नंदिनी पूरे एकसाल से घर के लोगों के लिए खाना बनाती आई है।हां ये बात अलग है कि वह कुछ नई बैरायटी बनाने का प्रयास नही करती।
मंदा जबसे इस घर में व्याह घर आई थी,हर रोज नाश्ते में सबको नित नये व्यंजन बना कर खूव वाहवाही बटोर रही थी।सास ससुर, नन्द दादी सास सबके सब उसके बनाए खाने के मुरीद हो चुके थे। क्योंकि उसके बनाए नाश्ते लो कैलोरी वाले थे ,जैसे इडली, ढोकला , खांडवी व स्टीम वाले ।
यह सब इस घर की बड़ी बहू नंदिनी को सहन नहीं हो रहा था,उसके मन में हीन भावना पनपने लगी थी। कि किस तरह कलकी आई उसकी देवरानी ने उसकी सालों की मेहनत पर पानी फेर दिया था।
यह नहीं था कि नंदिनी को खाना बनाना नहीं आता था परंतु वो कोई नया प्रयोग करने से कतराती थी लगभग हर रोज ही खाने में तले पराठे बना देती,कभी आलू के तो कभी गोभी के या मूली के व मैथी के।पिछले महीने उसके ससुर जी के रूटीन टैस्ट में उनका शुगर लेबिल कुछ बढ़ा हुआ आया तो डॉक्टर ने सलाह दी कि खानपान में बदलाव व नियमित सैर से आप अपना शुगर लेवल कन्ट्रोल कर सकते हैं।सैर करना उनको पसंद नहीं था सो खानपान में बदलाव को अपनाया।छोटी बहू मंदा के घर में आने से समस्या खुद व खुद हल होने लगी।
मंदा पर फिटनैस का फितूर सवार रहता वह नाश्ते में हर रोज स्टीम फूड बनाने लगी, कभी इडली बनाती तो कभी ढोकला कभी खांडवी।हर डिश को बनाने में ढेर सारी सब्जियों का प्रयोग करती।सब लोग नाश्ता खुश होकर खाते व मंदा की खूब तारीफ होती। बड़ी बहू नंदिनी यह सब सहन नहीं कर पारही थी कि कल की आईं उसकी देबरानी इतनी तारीफ की हकदार वने।
उसके मन में मंदा के लिए जलन की भावना आने लगी।वह मन ही मन मंदा को नीचा दिखाने की युक्ति सोचने लगी।मंदा इस सब से बेखबर थी।आज लंच में मंदा ने ओट्स की खीर बनाई थी,जो कि लो कैलॉरी थी,जब मंदा खीर बना रही थी थी उसी समय उसके पास कोई जरूरी फोन आया वह फोन अटेंड करने अपने रूम में गई तो झट से नंदिनी ने रसोई में जाकर खीर में नमक मिला दिया।ऐसा करते उसकी सास ने उसको देख लिया था। जवकि नंदिनी अपनी चाल चल घर बहुत खुश थी कि आज तो मंदा की बनाई खीर खाकर सवके मुंह था जायका जरूरसे बिगड़ जायगा फिर तारीफ की जगह सवके मुंह बन जायेंगे।
मंदा की वनाई खीर कोसर्व करने के लिए नंदिनी बहुत वेताव हो रही थी।मां में खीर लाकर सबको देती हूं।अरे नहीं नंदिनी मैं रसोई की तरफ जाही रही हूं मैं सबको देती हूं तुम आराम से बैठ कर खाना खाओ ।रसोई में जाकर उसकी सास ने खीर कोडस्ट बिन में फेंक दिया और बाहर निकल कर सबसे कह दिया कि सॉरी खीर को बिल्ली ने झूठाकर दिया था अतः मैंने फेंक दिया है ।
मंदा कल फिर से वही खीर बना देगी।हां बड़ी बहू तुम नाश्ता करके मेरे कमरे में आना कुछ जरूरी बात करनी है तुमसे।
देखो बेटा बुरा मत मानना,किसी की तारीफ से जलने की बजाय उससे नई चीजें बना ना सीखना चाहिए।मैने तुमको खीर में नमक मिलाते हुए देख लिया था।मैं नही चाहती थी कि सवके सामने तुम्हारी इस हरक़त को बताकर तुमको शर्मिंदा करू,तुम भी मुझे उतनी ही प्यारी हो,जितनी मंदा वह तो तुम्हारी छोटी बहन के जैसी है,उसके लिए अपने मन में जलन नहीं प्यार रखो।नंदिनी पर तो यह सुन कर #घडा पानी गिर गया‘‘
सॉरी मम्मी जी आप कितनी अच्छी हैं । आगे से ऐसा नहीं होगा। मुझे माफ कर दीजिए।
सवरचित व मौलिक
माधुरी गुप्ता
#घडा पानी पड़ जाना मुहाबरा प्रतियोगिता#