बहू ने दिलाया अपने सास का हक़-मुकेश कुमार

सावित्री की शादी एक अमीर परिवार में हुई थी वैसे तो उसके पिताजी की औकात इतने बड़े घर में शादी करने की नहीं थी लेकिन उसकी शादी इस घर में हो गई थी कारण यह था। उसका पति बहुत ही शराबी था कोई भी उससे शादी करने को तैयार नहीं था। तो लड़के के पिता ने सोचा क्या पता इसकी शादी हो जाए तो यह अपनी जिम्मेवारी समझ जाए और शराब पीना छोड़ दें। इस वजह से सावित्री के ससुर ने सावित्री के पिता जी से सावित्री का हाथ मांगा था।  सावित्री के पिता जी को लगा कि अमीर तो है न सावित्री खुश रहेगी दामाद जी थोड़ा पीते  है तो क्या हो गया शादी होने के बाद ही अपनी जिम्मेवारी समझ जाएंगे। लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं बल्कि वह पहले से और ज्यादा शराब पीने लगा था रात के 2:00 बजे तक घर आता था घर आने के बाद जब भी सावित्री उससे कुछ भी कहती वह सावित्री को मारना पीटना शुरू कर देता था। क्योंकि सावित्री एक गरीब घर से आई थी इस वजह से उस परिवार में सावित्री की इज्जत ना मात्र का ही था घर के सारे सदस्य सावित्री से नौकरानी  जैसा ही व्यवहार करते थे. जिस दिन से वह ससुराल आई है उसने कभी भी अपने आपको ससुराल की बहु जैसी नहीं महसूस किया हमेशा उसे यही लगा कि वह अपने ससुराल में

एक नौकरानी बन कर आई है। कोई भी घर का सदस्य चाहे उसके ननंद हो देवर हो या जेठानी हो जेठानी के लड़के-लड़कियां हो उसके साथ एक नौकरानी जैसा ही व्यवहार करते थे।  जब उसका पति उसके साथ सही से नहीं रहता था तो दूसरे क्या करें बस अगर वहां रहती थी तो अपने ससुर के व्यवहार की वजह से। ससुर जी हमेशा सावित्री से सही से बात करते थे वह उसे समझाते थे कि बेटी तुम्हें हिम्मत नहीं हारना है अब तुम्हारी शादी रमेश से हो गई है।  रमेश बचपन से शराबी नहीं था वह तो गलत संगति में पड़कर ऐसा हो गया है तुम चाहोगी तो वह सुधर सकता है।



शादी हुये 5 साल से भी ज्यादा हो गया था लेकिन सावित्री के जीवन में कोई भी बदलाव नहीं आया था बल्कि उसका जीवन पहले से और भी ज्यादा बदत्तर हो गया था पहले तो ससुर जी उसका केयर कर भी लिया करते थे लेकिन ससुर की मौत भी 3 साल पहले ही हो चुकी थी। 

अब यहां से अपने मायके भी तो नहीं जा सकती थी क्योंकि वहां पर भी उसके माता-पिता अपना गुजारा मुश्किल से ही कर पाते थे। अगर वह चली जाएगी तो कैसे करेंगे यह सोच कर अपने ससुराल में ही रह जाती थी कुछ ना तो चलो दो वक्त का खाना तो मिल ही जाता है।

कितना भी उसने कोशिश कर ली लेकिन उसका पति रमेश शराब छोड़ने को तैयार नहीं था।  अब तो घर की हालत भी बिल्कुल ही खराब होने लगी थी जबसे सावित्री के ससुर मरे हैं तब से घर में कमाई का जरिया भी बंद हो गया है क्योंकि उसके ससुर का अच्छी खासी नौकरी थी उसी से वह घर चलाते थे

लेकिन उनके मरने के बाद अब पेंशन उसके सासू मां को मिलता है जिसके सारे पैसे उसकी बड़ी जेठानी ले लेती है। रमेश अब सावित्री से रोज पैसे के लिए लड़ाई करना शुरू कर दिया था सावित्री कई बार कहती थी कि मेरे पास पैसे कहां है जो मैं आपको शराब पीने के लिए दूं।

धीरे-धीरे उसने सावित्री के सारे जेवर बेचकर शराब पी गया। सावित्री के पास उसका मंगलसूत्र ही बचा था एक दिन तो रमेश मंगलसूत्र ही छीनने लगा सावित्री ने बोला कुछ भी हो जाएगा यह मैं तुम्हें बेचने के लिए नहीं दूंगी।

आपस में मारपीट शुरु हो गया था मारपीट के दौरान ही रमेश ने अपने बच्चे  को उठा लिया और बोला अगर तुम मुझे मंगलसूत्र नहीं दोगी तो इस बच्चे को मैं नीचे फेंक दूंगा उसे जरा भी एहसास नहीं था कि वह बच्चा जिसे फेंकने जा रहा था उसका ही बेटा था शराब के प्यास ने उसे बिल्कुल ही अंधा बना दिया था। 

वह बच्चे को पकड़कर बालकनी के तरफ फेंकने के लिए ले जाने लगा सावित्री दौड़कर बालकनी की तरफ आयी वह अपने बच्चे को छिनने लगी छीनाझपटी में ही रमेश बालकनी से नीचे गिर गया सावित्री नीचे दौड़ी उसका सर पूरी तरह से फट चुका था।  

सारे घरवालों को सावित्री ने आवाज लगाई कि रमेश बालकनी से नीचे गिर गया है। नीचे गिरते ही खून इतना बह गया था कि हॉस्पिटल जाते जाते ही रास्ते में रमेश की मौत हो गई । घर के सभी लोगों ने सावित्री को हत्यारिन कहना शुरू कर दिया था।  कोई भी उसकी बातों पर यकीन नहीं कर रहा था कि रमेश अपने आप गिरा है। उस दिन के बाद से तो सावित्री की जेठानी ने उसके बच्चे को भी छीन लिया था यह बोलने  लगी कि तुम्हारा क्या भरोसा आज तुमने अपने पति को मार दिया कल इस बच्चे को भी मार दोगी। बच्चा छिनने की वजह यह नहीं था कि रमेश की मौत हो गई थी बल्कि कारण यह था उसकी जेठानी को चार लड़कियां पहले से ही थी उसे लड़के की बहुत चाहत थी लेकिन चाह कर भी वह लड़का नहीं पैदा कर पा रही थी इस वजह से सावित्री के लड़के को छीन लिया और उसे अपना बेटा बना कर पालना  शुरू कर दिया। 



यहां तक कि जैसे जैसे बच्चा बड़ा होने लगा उसको अपने तरीके से सावित्री के प्रति भड़काना भी शुरू कर दिया था। बच्चे का नाम राहुल था राहुल को हमेशा उसकी जेठानी बोलती थी कि तुम्हारी मां ने ही तुम्हारे पापा को बालकनी से गिरा दिया था
अगर आप एक छोटे से बच्चे के मन में इस तरह की बातें डालेंगे तो उस पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है वह भी अपने मां से नफरत करने लगा था। जब भी वह अपने बच्चे से बात करने की कोशिश करती राहुल उसे यही बोल कर डांट  देता था जिसने मेरे पापा को मारा है 

मैं उस औरत से बिल्कुल भी बात नहीं करना चाहता हूं। सावित्री जानती थी कि सत्य क्या है लेकिन वह अपने बेटे को इस वजह से भी उनके पास छोड़ी हुई थी कि वह जानती थी  कि वह तो अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में भी नहीं पढ़ा सकती है अगर उनके पास है तो कम से कम मेरा बेटा प्राइवेट स्कूल में पढ़ने तो जाता है 

अच्छे कपड़े पहनता है अच्छे से  खाता पीता है और फिर दिनभर मेरे नजरों के सामने ही तो रहता है भले वह मेरे से बात करें या ना करें।यह सोचकर  सावित्री कुछ नहीं बोलती थी।  राहुल जैसे-जैसे बड़ा होता गया उसका अपने मां के प्रति और नफरत बढ़ता गया उसके मन में उसकी जेठानी ने और नफरत भरती चली गई थी।

वह चाहती थी कि राहुल कभी भी उसे छोड़कर ना जाए। राहुल अपनी बड़ी मां को मां कहता था अपनी मां को तो उसने जब से होश संभाला है कभी माँ कहा ही नहीं है। कई बार तो सावित्री को घर वाले बिना वजह के भी मारने पीटने लगते थे राहुल चुपचाप देखता था लेकिन फिर भी कभी भी यह नहीं बोलता था कि तुम लोग हमारी मां को क्यों मार रहे हो उसके मन में इतनी नफरत के बीज बो दिए गए थे। वह देखकर भी बिल्कुल अंधा जैसा रहने लगा था।धीरे-धीरे राहुल बड़ा हो गया। एक दिन सावित्री को पता चला कि उसकी बड़ी जेठानी ने राहुल की शादी कहीं पर तय कर दी है लड़की वाले राहुल को देखने आ रहे हैं।

जब उसे पता चला कि उसके  बेटे की शादी के लिए लड़की वाले देखने आ रहे हैं तो उसने पूरे घर की सफाई बहुत अच्छा से किया और उसने सोचा कि आज बहुत स्वादिष्ट  पकवान बनाएगी। लड़की वाले आ गए थे उन्होंने लड़की का फोटो उसकी सास को दिखा रहे थे सावित्री ने भी चुपके से फोटो देख लिया था

बहू उसकी बिल्कुल ही राजकुमारी जैसी थी वह मन ही मन खुश हो रही थी कि मेरे बेटे की शादी इतनी खूबसूरत लड़की के साथ हो रही है।  राहुल चाहे उसके साथ कैसा व्यवहार करता है लेकिन सावित्री कभी भी बुरा नहीं मानती थी उसे अपने भगवान पर भरोसा था कि कभी तो राहुल का मन अपनी मां के लिए  बदलेगा।

भगवान इतना निर्दई तो नहीं हो सकता है। आखिर राहुल के शादी दिन आ गई।  सब लोग सज धज के बारात जाने के लिए तैयार होने लगे थे घर के हर सदस्य महंगे-महंगे कपड़े पहने हुए थे सावित्री की जेठानी बनारसी साड़ी में महारानी लग रही थी और उसकी बेटियां डिजाइनर लहंगा पहनकर बहुत खूबसूरत दिख रही थी । उसका बेटा भी शेरवानी में राजकुमार दिख रहा था वह दूर से ही अपने बेटे को निहार रही थी और मन ही मन कह रही थी कि भगवान मेरे बेटे को नजर ना लगे।  लेकिन किसी ने भी सावित्री को शादी में जाने के लिए नहीं कहा उसे तो किसी ने नए कपड़े भी खरीद के नहीं दिए थे बल्कि उसकी जेठानी ने एक  पुरानी साड़ी दे दिया था पहनने के लिए। राहुल बारात के लिए तैयार होकर कमरे से जैसे ही निकल रहा था 

उसकी नजर सावित्री पर पड़ी उसने पहली बार अपनी मुंह से प्यार से मां शब्द बोला था, “माँ आप शादी में नहीं आ रही हो क्या? कब तैयार होगी ?” माँ शब्द सुनने के लिए तो सावित्री कब से तरस रही थी। सावित्री ने बस इतना ही कहा कि बेटा सब तो शादी में जा ही रहे हैं ना घर में भी तो कोई रहना चाहिए मैं यही ठीक हूं।

तभी सावित्री की जेठानी दिख गई उसने राहुल को बोला, “बेटा तुम यहां हो कब से हम तुम्हें ढूंढ रहे हैं चलो जल्दी चलो तुम कहां किस के मुंह लग रहे हो.” सावित्री की जेठानी सावित्री को उस समय भी ताने मारने से बाज नहीं आई । आखिर बोल ही दिया अपने पति को खा ही गई अब क्या मेरे बेटे को भी खाने के फिराक में है।

सावित्री कुछ नहीं बोली वह इस शुभ अवसर पर अपनी जेठानी से लड़ाई नहीं करना चाहती थी। राहुल की शादी धूमधाम से होने लगी थी। राहुल की होने वाली सास ने पूछा कि बेटा जी आपकी मां नहीं दिख रही है शादी में।  कहां है? राहुल की बड़ी मां तभी वहां पर आ गई और बोली, “समधन जी अरे वह आने वाली थी 



लेकिन ऐन वक्त पर उसकी तबीयत खराब हो गई तो वह घर पर है। यह बात राहुल की होने वाली पत्नी मीनाक्षी ने भी सुन लिया था उसे लगा कि सचमुच में उसकी सास बीमार होंगी। शादी होने के बाद सुबह विदाई का समय आ गया विदाई के बाद मीनाक्षी अपनी ससुराल पहुंची ससुराल जाने के बाद वह सबसे पहले राहुल से पूछी कि आपकी मां यानी मेरी सास कहां है। राहुल ने सावित्री का कमरा मीनाक्षी को दिखा दिया वहां गई तो देखा कि सावित्री तो बिल्कुल ठीक है वह चुपचाप अपने कमरे में बैठी हुई थी। उसने अपने सास के पैर छुए और उनसे पूछा मम्मी जी आप की तबीयत अब कैसी है। 

सावित्री बोली, “बेटा मेरी तबियत को क्या हुआ है मैं तो बिल्कुल ठीक हूं।” मीनाक्षी बोली, “हमे तो कल बताया गया कि आप की तबीयत खराब है इस वजह से आप शादी में नहीं आई।” उसी वक्त राहुल की बड़ी माँ आई और मीनाक्षी को वहां से ले कर चली गई।  

कुछ दिनों के बाद से ही मीनाक्षी नोट करने लगी थी कि घर वाले का व्यवहार उसके सास यानी सावित्री के प्रति सही नहीं था सब लोग उसके साथ एक नौकरानी की तरह पेश आते थे। खाना सावित्री ही इस उम्र में भी बनाती थी 

कोई भी रसोई में उसकी  मदद नहीं करता था वह भी अगर कहती थी कि मैं रसोई में जा रही हूं तो कोई भी उसे रसोई में नहीं जाने देता था बल्कि यह बोल देता था कि अभी बहु तुम्हें आए दिन ही कितने हुए हैं ससुराल में आराम से बना लेना।

दिनभर सावित्री को इस तरह से काम करते हुए देखना मीनाक्षी को पसंद नहीं आ रहा था धीरे-धीरे उसे यह बात पता चलने लगा था उसकी बड़ी सास सावित्री से सही तरह से व्यवहार नहीं करती है। वह चुपके से जाकर अपनी सास के काम में हाथ बटाने लगी थी।

पूरे घर के कपड़े भी सावित्री ही धोती थी। एक दिन जब सावित्री कपड़ा लेकर धोने बैठी तो मीनाक्षी बोली, “मम्मी जी आप रहने दीजिए मैं कपड़े धो देती हूं।” मीनाक्षी भी मायके में कभी  इतने सारे कपड़े नहीं धोई  थी। 

मीनाक्षी ने जैसे-तैसे सबके कपड़े धो दिए थे। कपड़े धोने के क्रम में ही उसके ननंद के कपड़े में थोड़ा सा दाग लग गया होगा जो छुटा नहीं था।अगले दिन कॉलेज जाने के लिए उसकी ननद ने वही सलवार सूट पहनने के लिए निकाला जब वह पहनने के लिए निकाली तो देखी कि उस पर तो काला दाग लगा हुआ है 

वह आव देखी न ताव सीधे सावित्री को एक तमाचा जड़ दिया था और कहने लगी अब आपका भी काम करने में बिल्कुल ही मन नहीं लगता है सिर्फ दिनभर मुफ्त की रोटी तोड़ती रहती हैं। यह मीनाक्षी ने अपने कमरे से देखा और वहां से सीधे आई और अपनी ननद को दो तमाचा खिच कर दिया क्योंकि उसे पता था

यह कपड़ा सावित्री ने नहीं धोया है बल्कि उस ने धोया है। और सावित्री बोली कि पहले तो तुम अपनी जुबान पर लगाम लगाओ  यह तुम्हारी सावित्री नहीं बल्कि चाची हैं और तुम्हें इन्हे कपड़ा धोने को क्यो दिया है यह तुम्हारी नौकरानी नहीं है

जो तुम लोग अपने कपड़े इनको धोने के लिए दे देती हो और हां सुन लो आज के बाद मम्मी जी किसी के कपड़े नहीं धोएंगी जिसको धोना है वह खुद धोए। मीनाक्षी का यह अवतार देखकर सब हक्के-बक्के हो गए थे। उन्हें लगा था कि राहुल की तरह उसकी बीवी मीनाक्षी को भी वह अपने तरफ मिला लेंगे लेकिन हुआ



इसके बिल्कुल ही उल्टा मीनाक्षी उनके बहकावे में नहीं आई अपनी सास सावित्री की तरफ हो गई थी। पूरे घर वालों की दाव अब  उल्टा पड़ना शुरू हो गया था। राहुल की बड़ी मां भी आकर मीनाक्षी को डांटने लगी की बहू अभी तुम्हें आए हुए जुम्मे-जुम्मे 8 दिन भी नहीं हुए तुम्हें क्या पता है इस घर के बारे में तुम्हें पता भी है 

कि इस सावित्री ने अपने पति को ही बालकनी से उठाकर फेंक दिया था। मीनाक्षी ने विश्वास से बोला कि मां जी मैं यह कतई विश्वास नहीं कर सकती हूं कि सावित्री मां ने मेरे ससुर को उठाकर फेंक दिया होगा और जो भी है मैं सच पता लगाकर रहूंगी और अपनी मां का हक भी दिला कर रहूंगी। 

मैं कई दिनों से नोटिस कर रही थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा मेरी सास कोई नौकरानी नहीं है जो सब के कपड़े धोएगी सबके खाना बनाएंगी घर में पोछा बर्तन करेंगी जिनको करना है वह करें। राहुल की बड़ी मां ने मीनाक्षी को धमकाया बहू तुम भी अपनी हद में रहो नहीं तो शाम को राहुल आएगा तो तुम्हारी जो हाल करेगा फिर सोच लेना।

फिर आने दो राहुल को मैं भी उसे सब बताती हूं। शाम को जब राहुल ऑफिस से घर आया आते ही आते उसकी चचेरी बहन ने रोना-धोना शुरू कर दिया कि आपकी पत्नी ने मुझे मारा  हैं।  राहुल यह सुनते ही कुछ भी समझने की कोशिश नहीं किया सीधे वह अपने कमरे में गया और मीनाक्षी पर हाथ छोड़ना शुरू कर दिया।

मीनाक्षी ने राहुल का हाथ पकड़कर कहा राहुल अपना हाथ रोक लो वरना मेरा हाथ भी तुम्हारे ऊपर उठ जाएगा मैं तुम्हारी मां की तरह नहीं हूं जो सबकुछ  बर्दाश्त करती रहूंगी और हां तुमको भी आज बता देती हूं कि आज तक तुमने जो किया वह किया अगर आज से कोई भी मेरी सास यानी तुम्हारी मां पर जुल्म करेगा, मैं बर्दाश्त नहीं करूंगी।

तुमने आखिर अपनी मां को आज तक दिया ही क्या है। 9 महीने जिस मां ने तुम्हें अपने गर्भ में पाला पाल पोस कर बड़ा किया है उसको तुमने सिर्फ ताने दिया। क्या तुम्हारा हक नहीं बनता है कि प्यार से एक बार भी बात कर लूं। किस माँ का मन नहीं होता है कि अपने बेटे की शादी में जाऊं और तुम लोगों ने क्या किया उनको बीमारी का बहाना बनाकर घर पर ही छोड़ दिया। तुम जिस माँ से नफरत करते हो आज मैं तुम्हें बता रही हूं कि अगर वह आज नहीं होती तो तुम आज जिंदा नहीं बचते। जिस माँ को तुम अपने पिता की हत्यारिन बताते हो उसी मां की वजह से आज तुम जिंदा हो

बल्कि हत्यारीन सावित्री मां नहीं बल्कि तुम हो इतने सालों से अपनी मां को टुकड़ों-टुकड़ों में मारा है कभी गाली देकर तो कभी हत्यारिन कह कर। तुम्हें पता भी है कि तुम्हारे पिताजी यानी मेरे ससुर की मौत कैसे हुई है क्या तुमने कभी जानने की कोशिश की जो तुम्हें बताया गया

तुमने उसको ही सच मान लिया और आज तक उसी भ्रम में जीते रहे कि तुम्हारी मां ने ही तुम्हारे पिताजी का खून किया है। “हां मुझे पता है मां ने पिताजी को बालकनी से नीचे फेंक दिया था।”  राहुल तो तुम गलत कह रहे हो बल्कि माँ ने तुम्हारे पिताजी को फेंका नहीं था बल्कि वह गिर गए थे और वह भी कैसे गिरे थे 

बात यह थी कि तुम्हारे पिताजी शराब के नशे में चूर मां के मंगलसूत्र को छीन रहे थे मां देना नहीं चाह रही थी उन्होंने बोला कि अगर तुम मंगलसूत्र नहीं दोगी तो तुमको नीचे फेंक देंगे और तुमको ले जाकर बालकनी में फेंकने लगे।



सावित्री मां जैसे ही तुम को बचाने के लिए गई तुम तो बच गए लेकिन तुम्हारे पिताजी नशे की हालत में वहां से गिर गए यह है सच्चाई। मीनाक्षी सब से पूछ रही थी बताओ आप लोग राहुल को यही सच है या नहीं आप बताओ है किसी में हिम्मत झूठ बोलने की बताओ। तभी राहुल की दादी मां वहां आई और बोली हां बेटा यही सच है लेकिन तुम्हारी बड़ी मां ने हम सब को इस बारे में तुमसे बताने को मना किया था। इसलिए हम सब चुप थे। राहुल अपनी बड़ी मां के पास चला गया और रो कर कहने लगा बड़ी मां मैंने आपका क्या बिगाड़ा था जो आपने मुझे इतने साल मेरी मां से दूर कर दिया मैंने तो आपको भी माँ ही माना था लेकिन आपने मुझे कभी बेटा माना ही नहीं। उसकी बड़ी मां बोलने लगी राहुल मुझे कोई बेटा नहीं था इस वजह से मैं तुमको खोना नहीं चाहती थी राहुल बोला बड़ी मां  क्या एक बेटे की दो माँ नहीं हो सकती हैं।

बड़ी मां आपने जो भी किया बहुत गलत किया इतने सालों तक आपने हमारे और मेरी मां के बीच दूरियां पैदा की। राहुल अपने माँ के  पैरों में आकर गिर गया और बोलने लगा मां मुझे माफ कर दो इतने सालों तक मैंने तुम्हें इतने कष्ट दिए और अपनी पत्नी मीनाक्षी को भी गले लगाया। 

“मीनाक्षी आज तुम नहीं होती तो पता नहीं और कितने साल तक मैं अपनी मां पर जुल्म करता रहता। मीनाक्षी हम अब  इस घर में एक पल भी नहीं रहेंगे जिस घर में इतने सालों तक मेरी मां का अनादर होता रहा उस घर में हम एक पल भी अब नहीं रहेंगे।” 

सावित्री बोली नहीं बेटा हम यह घर छोड़कर कभी नहीं जाएंगे चाहे जो भी हो आज तुम्हारी बड़ी मां नहीं होती तो तुम आज इतना पढ़े-लिखे नहीं होते और ना ही इतने अच्छे नौकरी कर रहे होते।  क्योंकि मेरी औकात नहीं थी कि मैं तुम्हें इतना पढ़ा पाती इसी वजह से मैं सारी दुख और परेशानियां झेलती रही।

राहुल रोते हुए बोला, “मां तू कितनी भोली हो।”  घर के सभी सदस्य सावित्री से माफी मांगने लगे उसकी बड़ी मां ने भीआकर कहा “सावित्री हमें माफ कर दो हमने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया।” 

राहुल की चचेरी बहन ने भी सावित्री से आकर माफी मांगा, “चाची आप हमें माफ कर दीजिए आज के बाद हम कभी भी आपके साथ गलत व्यवहार नहीं करेंगे।” और साथ ही साथ सबने मीनाक्षी से भी माफी मांगा।

उस दिन के बाद से सब लोग मिल कर रहने लगे। आखिर अपनी सूझबूझ से एक बहू ने अपनी सास का खोया हुआ सम्मान वापस दिला ही दिया था।

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