बहू का दर्द – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

घर के सभी सदस्यों के खाना खाने के बाद था कि हरि सोनाली अपने लिए खाना परोसने जाती है l परंतु उसने देखा रोटी के डिब्बे में दो ही रोटियां हैं और सब्जी तो बिल्कुल भी नहीं है l 3:00 बज चुके थे भूख जोर से लगी थी इसलिए वह सब्जी के बर्तन से रोटियां रगड़ कर खाना खाने लगी

बीच में पानी पीती जाती l आंखों से आंसू टपक रहे थे l उसकी छोटी नंद नेहा पानी पीने किचन में आती है और पूछती है भाभी क्यों रो रही हो l कुछ नहीं कह कर आंसू छुपाते हुए मुस्कुरा देती है l खाने के खाली डिब्बे देखकर नेहा अपनी मां विमला जी से जाकर कहती है

की भाभी को आज फिर खाना नहीं बचा l विमला जी किचन में आती है पीछे से उनके पति रामेश्वर जी भी आ जाते हैं विमला जी के स्वभाव से भली भांति परिचित थे परंतु विमला जी दिखावे के लिए कहती हैं की रोटियां नहीं बची तो बना नहीं सकती भूखी क्यों रह गई l

सोनाली बोली मम्मी जी मैंने खाना खा लिया है l कहकर अपने काम में लग जाती है l

रामेश्वर जी बाहर आकर विमला जी से बोले कि घर में सब कुछ है और मैं पर्याप्त इंतजाम करता हूं फिर भी तुम ऐसा क्यों करती हो l बहु को पेट भर खाना तो खाने दिया करो l विमला जी बोली की एक दिन अगर खाना कम पड़ गया तो क्या हुआ कौन सा पहाड़ टूट पड़ा अपने लिए दो रोटी बना सकती थी l रामेश्वर जी चुप रहे क्योंकि यह किस्सा दो-चार दिन बाद होता ही रहता था l

वैसे सोनाली के आने के बाद से विमला जी ने किचन से दूरी बना ली थी l परंतु सभी सामग्री वह अपने हाथ से निकाल कर सोनाली को देती थी l कभी-कभी सोनाली हिम्मत करके कहती भी की मम्मी जी परिवार के खर्च के हिसाब से यह चीज पर्याप्त नहीं है तो स डांट कर कह देती कि तुम मुझसे ज्यादा जानती है मैं इतने सालों से इस घर को चलती आई हूं l और वह चुप हो जाती l जबकि रामेश्वर जी घर में पर्याप्त मात्रा में समान लाकर रखते थे l

रामेश्वर जी का भरा पूरा परिवार था बड़ी बेटी की शादी हो चुकी थी l छोटी बेटी नेहा b.Ed कर रही थी l बड़ा बेटा राहुल एक कंपनी में इंजीनियर है l उसकी पत्नी सोनाली एक आदर्श बहू है l

सोनाली की शादी को 1 साल से ऊपर हो चला था लेकिन विमला जी उसे दिल से स्वीकार नहीं कर पाई थी l क्योंकि उन्हें अपने इंजीनियर बेटे के लिए बहुत पढ़ी-लिखी बहू और साथ में ढेर सारा दहेज ही चाहिए था l

सोनाली मध्यम वर्गीय परिवार से थी एक रिश्तेदार के यहां शादी समारोह में रामेश्वर जी ने सोनाली को देखा तो उन्होंने उसे अपनी बनाने का निश्चय कर लिया क्योंकि सोनाली बहुत सुंदर थी और साथ में सुशील और संस्कारी भी थी l

सुंदर थी इसलिए राहुल भी शादी के लिए तैयार हो गया l उसे समय सोनाली बीकॉम कर रही थी l रिश्तेदारों और घर वालों की सहमति से शादी निश्चित हो गई और विमल जी के ना चाहते हुए भी विवाह हो गया l फिर दिखावे के लिए तो विमला जी प्यार दिखाती रही लेकिन सोनाली को परेशान करने और ताना मारने का कोई मौका नहीं छोड़ती l

अब परिवार की तरफ चलते हैं सुबह उठकर सोनाली किचन में चाय बना रही थी तभी स विमला जी ने कर्कश आवाज में कहा l

सोनाली आज लड़के वाले नेहा को देखने आ रहे हैं l अच्छा सा नाश्ता तैयार कर लेना और वे लोग खाना भी खा कर जाएंगे l उसकी भी तैयारी रखना l सबको चाय देने के बाद सोनाली नाश्ते की तैयारी करने लगी अपनी आदत के अनुसार विमला जी सामान देने आई l

तभी सोनाली हिम्मत करके बोली l

मम्मी जी मेहमानों का खाना है मुझे बनाना है समान में अपने हिसाब से ले लूंगी l सुनकर विमला जी बड़बड़ाती हुई किचन से निकल ग

सोनाली ने नाश्ता तैयार किया और बीच-बीच में वह नेहा को भी तैयार करती रही l इतने में मेहमान आ गए सोनाली ने मेहमानों को नाश्ता दिया और तभी नेहा चाय लेकर आ गई l

वे नेहा को देखकर बोली कि हमें तो लड़की पसंद है अब दोनों बच्चों की बात भी करवा दीजिए l थोड़ी देर के लिए बच्चों को बाहर बगीचे में भेज दिया l दोनों परिवार पहले से परिचित थे और रामेश्वर जी का घर संपन्न था l इसलिए दहेज तय नहीं किया गया l

दोनों परिवारों ने औपचारिक बातें की तब तक सोनाली ने खाना तैयार कर लिया l डाइनिंग टेबल पर खाना लगाया गया सभी मेहमानों ने खाना खाया और खाने की बहुत तारीफ की l खाने के बाद शादी की तारीख पक्की करने के लिए कहकर मेहमान अपने घर चले गए l

बेटी के रिश्ते की बात थी इसलिए विमला जी ने सुबह की बात को लेकर सोनाली से ज्यादा कुछ नहीं कहा l घर के सभी लोग खाना खाने बैठे और सोनाली के एक दो बार कहने पर ही विमला जी ने खाना खाने बैठ गई l इतने में सोनाली के फोन की घंटी बजी उसने फोन उठाया बड़ी नंद नम्रता का था l

नम्रता ने फोन पर कहा की बच्चों की छुट्टियां हो गई है वे नाना नानी के यहां आने की जिद कर रहे हैं इसलिए कुछ दिनों के लिए मैं वहां आना चाहती हूं और सभी कुशल समाचार भी पूछा l

सोनाली बोली दीदी कैसी बात कर रही हो यह आपका मायका है आप कभी भी कितने ही दिनों के लिए यहां आ सकती हो इसमें पूछने वाली क्या बात है मम्मी पापा पर जितना राहुल का हक है उतना आपका भी है l वैसे कब आ रही है आप l नम्रता बोली कल सुबह पहुंच जाऊंगी सोनाली बहुत खुश हो गई l

दूसरे दिन सुबह से सोनाली साफ सफाई में लग गई और फिर बहुत अच्छा सा नाश्ता तैयार कर लिया l राहुल नाश्ता करके नम्रता कॉलोनी स्टेशन चला गया l नेहा अपने कॉलेज चली गई l सोनाली है सास ससुर को भी चाय नाश्ता दे दिया और थोड़ी देर में उसकी ननद दोनों बच्चों के साथ घर आ गई l आते ही नम्रता ने सोनाली को गले से लगा लिया और सोनाली ने दोनों बच्चों को बहुत प्यार किया l

सोनाली ने सबको नाश्ता कराया नाश्ता करके राहुल ऑफिस चला गया l सोनाली किचन में खाने की तैयारी में लग गई l नम्रता उससे बोली भाभी नाश्ता तो कर लो l विमला जी तपाक से बोली कर लेगी नाश्ता कहां भाग जा रहा है l बच्चों को भूख लगेगी खाना बनाने दे l

सुनकर नम्रता को बहुत बुरा लगा वह मां से बोली क्यों मन वह इंसान नहीं है उसे भूख नहीं लगती सुबह से काम में लगी है l नम्रता मैं अपने हाथों से नाश्ता लगाकर सोनाली को नाश्ता कराया l फिर नम्रता किचन में सोनाली की मदद करने पहुंच गई विमला जी बोली कि तू थोड़ी देर मेरे पास तो बैठ जा l

नम्रता बोली मां यह इस घर की बहू है कोई काम करने वाली नौकरानी नहीं जो काम करते-करते टाइम भी टाइम खाली और फिर काम पर लग जाए l इस घर में इसका भी सबके बराबर अधिकार है l अगर मेरे साथ ससुराल मैं यही व्यवहार हो हो जो सोनाली के साथ आप करती हैं तो आपको कैसा लगेगा क्योंकि मैं आपकी बेटी हूं तो यह भी तो किसी की बेटी है l आप यह क्यों भूल जाती हो l विमला जी चुपचाप सुन रही थी और रामेश्वर जी खुश थे l

फिर विमला जी को आभास हुआ और वह उठकर सोनाली को प्यार करने लगी उन्होंने उसे गले से लगाए और बोली की बेटी में बहू और बेटी में फर्क करती रही मैं यह भूल गई कि तू भी किसी की बेटी है और यह तेरा भी घर है l इस घर पर तेरा भी उतना ही अधिकार है जितना मेरा है मुझे माफ कर दे बेटी और दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगने लगी l सोनाली विमला जी के जोड़े हुए हाथों को अपने हाथों में लेकर बोली मम्मी जी आप माफी मत मांगिए भूल सबसे होती है और आज मुझे यहां पर भी मेरी मां मिल गई और मैं बहुत खुश हूं l रामेश्वर जी बोले की सुबह का भूला शाम को घर आ गया और सभी बहुत खुश थे l आज विमला जी ने अपनी भूल स्वीकार करके बहू का दर्द समझ लिया था l

बिंदेश्वरी त्यागी बरहन आगरा 

स्वरचित 

अप्रकाशित 

# गुरूर 

3 thoughts on “बहू का दर्द – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi”

    • Mere sath to meri ma hi aisa karti hai, sabko khana degi lekin mujhe nahi, Sara kaam karne ke baad bhi bhukhi reh jati hu main.

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