बदलाव की चाहत – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“रीना, हेमा भाभी को देखो इस उम्र में भी कितनी स्मार्ट और ऊर्जा से भरपूर लग रही, और तुम घूम फिर कर वही सूट या माही का रंग उड़ा पैजामा सेट पहन लेती हो, हमेशा थकान से बेहाल रहती हो।कुछ तो बदलो समय के हिसाब से…! गोवा के समुन्द्र तट पर बैठे राजीव ने जब कहा तो रीना बिफर पड़ी।

” बस बहुत हो गया, कितना अपने को बदलूंगी। जब मॉर्डन थी तब तो आपको पल्लू वाली संस्कारी बहू चाहिये थी,आप ही कहते थे ना कि बदलो अपने आप को, घर -परिवार की संस्कारी बहू की चाहत का सम्मान करो। वैसे आज तक मुझे समझ में नहीं आया संस्कारी बहू सिर्फ साड़ी पहने पल्लू लिये वाली ही क्यों मानी जाती हैं, संस्कार और पहनावे को क्यों आपस में जोड़ दिया जाता हैं।

अब जब मैं साड़ी, सूट पहनने लगी तो आपको वेस्टर्न ड्रेसेस पहने लोग पसंद आने लगे। इतने साल से कोशिश कर रही हूँ पर मैं आपकी चाहत के अनुरूप नहीं बन पाई।आपके और परिवार की चाहत पूरी करते मेरी चाहत तो पता नहीं कहाँ खो गई। और क्यों हमेशा स्त्री को ही पुरुष के मन मुताबिक बनना पड़ता हैं, मैंने तो आपको कभी नहीं कहा कि मेरे मुताबिक कपड़े पहने या बने, “आज ना जाने क्यों रीना फट पड़ी।

 “उफ़्फ़ रीना, तुम औरतें भी ना जाने,बात को कहाँ से कहाँ ले जाती हो ऐसा मैंने क्या कह दिया जो तुमको बुरा लग गया।”नाराज होते राजीव ने कहा।

दोनों समुन्द्र के बीच से उठ अपने होटल के कमरे में आ गये। रीना कमरे से सटी बालकनी में आ गई, सूर्यास्त का समय, सूर्य देवता अस्त होने से पहले अपनी सिंदूरी आभा बिखेर रहे थे। खूबसूरत दृश्य था, पर रीना आज अन्यमस्क थी। हालांकि उसे सूर्यास्त और सूर्योदय देखना बहुत पसंद था पर जब मन ठीक ना हो तो कुछ भी अच्छा नहीं लगता.।

राजीव के दोस्त रमन और हेमा का गोवा का प्लान बना तो बच्चों ने रीना और राजीव को जिद कर गोवा घूमने का प्लान बनवा दिया़। अगले महीने उनकी शादी की पच्चिसवीं सालगिरह थी। रीना का मन गोवा आने का नहीं था, उसको तो शुरु से पहाड़ भाते थे। पहाड़ों का प्राकृतिक सौंदर्य उसे बचपन से लुभाते थे ।राजीव और बच्चों को समुन्द्र भाता था सो बच्चों ने गोवा का प्लान बना दिया। उसकी इच्छा या चाहत तो किसी को पता ही नहीं।

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इसमें किसी की गलती नहीं, क्योंकि रीना भी पति और बच्चों की पसंद को अपनी पसंद बना ली। उसने भी कभी ना इच्छा प्रकट की, ना विद्रोह किया, तो बच्चों को क्या पता माँ को क्या पसंद हैं।रीना मितव्यायी हैं बेटी के पुराने कपड़े घर में पहन लेती, कौन देख रहा, काम करके उतार दूंगी, पर आलस्य या थकान कहो, वो अक्सर कपड़े बदलना भूल जाती। उन्ही रंग उड़े कपड़ों में रह जाती।

इधर रीना को राजीव में कुछ बदलाव दिख रहे, अक्सर वो टिप -टॉप रहती महिलाओं को देख रीना से उनकी तुलना करने लगता। कारण भी था, परिवार में रमी रीना,अपनी ओर से लापरवाह हो चुकी थी। सुबह से बालों को जूड़े में लपेट वो काम में उलझ जाती। शाम तक थक कर चूर हो जाती, राजीव जब घर आता, हमेशा रीना अस्त -व्यस्त थकान से चूर मिलती। सास -ससुर दो बच्चे और खुद रीना और राजीव छः लोगों का परिवार, सबकी देखभाल और काम का जिम्मा रीना पर ही था। वो हाउसवाइफ थी, सब उसे ग्रांटेड ले लेते, घर का काम उसी का हैं।बढ़ते घर के कामों ने खुशमिजाज रीना को चिड़चिड़ा कर दिया साथ ही अपने प्रति लापरवाह भी..।

 रीना अभी सोच -विचार में उलझी थी कि हेमा आ गई।”किस सोच में डूबी हैं, चल तैयार हो जा, नीचे सब डिनर के लिये इंतजार कर रहे हैं “

“मुझे भूख नहीं हैं हेमा, तुम जाकर डिनर कर आओ “रीना उदासी से बोली।

“बात क्या हैं, गोवा आ सब रोमांटिक हो जाते और तू उदास हैं, मुझे बता क्या बात हैं “

संवेदना का स्पर्श पाते ही रीना आज फफक पड़ी। “राजीव के लिये मै अपने को इतना बदली हूँ फिर भी उसके पैमाने पर मै आज तक फिट नहीं हुई, कितना करू, बार -बार बदलना नहीं होता मुझसे,।हेमा उसकी अच्छी सहेली थी , सब कुछ कह डाली जो आज तक किसी से नहीं कहा, बरसों का जमा बाहर आ गया।

गंभीर स्वर में हेमा ने कहा -देखो रीना, गलती हम स्त्रियों की भी होती हैं।हम पति की प्रिय बनने या अच्छी बहू बनने के चक्कर में अपना वजूद खो देती हैं। बाद में जब सबकी उम्मीदें बढ़ जाती तो हमें बुरा लगने लगता हैं। अपने को वही तक बदलो जहाँ तक तुम्हे सुविधा हो, तुम्हारा मन सहमत हो। मन मार कर करना छोड़ दो,

फिर तुम भी खुश रहोगी। वैसे बदलाव बुरा नहीं होता,बेशर्त बदलाव का जज्बा दोनों तरफ से हो।यही तो होता हैं जो जिंदगी में कुछ रस लाता हैं, नहीं तो जिंदगी संघर्ष में ही बीत जाती हैं।वैसे रीना, तुमको नहीं लगता तुम्हे थोड़ा अपनी भी केयर करनी चाहिये। रीना कि प्रश्नवाचक दृष्टि को देख हेमा ने समझाया -देख सबकी देखभाल के साथ थोड़ा समय खुद के लिये भी निकालो। थोड़ा समय अपने और राजीव के लिये भी निकालो।

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 हेमा ने अपना ब्लैक गाउन ला रीना को पहनने को दिया, रीना जब तैयार हो कर नीचे हॉल में पहुंची तो राजीव देखता ही रह गया। कहाँ अस्त -व्यस्त कपड़ों और बालों के कसे जूड़े वाली रीना और कहाँ खूबसूरत गाउन और खुले बालों में कहर ढ़ाती रीना। पति की मुग्ध ऑंखें देख, रीना पिछली सारी कडुआहट भूल गई। सबने खूब मस्ती की। पांच दिन गोवा में रह, रीना ने जिंदगी को नये नजरिये से देखा ।

एक महीने बाद…. शादी की सालगिरह पर रीना की पसंद का ब्लैक सूट पहने राजीव और राजीव की पसंद का लाल गाउन पहने रीना जब स्टेज पर आये तो हॉल तालियों से गूंज उठा।राजीव ने रीना को एक लिफाफा देते कहा -सॉरी रीना,अपनी चाहत को तुम पर थोपना, मेरी गलती थी,आगे से तुम्हारी चाहत पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूँगा। ये रहा नैनीताल का टिकट, अगले हफ्ते हम वहाँ जायेंगे।

दोस्तों, सबकी चाहत पूरी करते, हम स्त्रियाँ अपनी चाहत तो भूल जाते हैं, परिवार भी हमारी चाहत भूल जाता हैं। कुछ परिवार की इच्छा पूरी करें तो कुछ अपनी, हाँ दूसरों से अपनी चाहत की उम्मीद कम ही रखें।

-संगीता त्रिपाठी

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