बदलाव – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

धीरे-धीरे लीना के रंग-ढंग  मैं बदलाव आने लगा है…इस बात को मौसी समझने लगी थी।

” लीना जरा मेरे पैरों में मालिश कर दो… गठिया का् दर्द बढ़ गया है… ठंड में तकलीफ़ बढ़ ही जाती है…बेटी “।

” मेरे पास समय नहीं है… अभी आफिस का काम निपटाना है “।

     लीना ने दोनों कंधे उचकाये। मौसी को बुरा लगा…जो उसके एक आवाज पर दौड़ी चली आती थी आज उसे कराहते देख भी बड़ी बेशर्मी से अनदेखी कर देती है।

    मौसी सोचने लगी कैसे इसे अपने खुदगर्ज बाप और  बेदर्द सौतेली मां के चंगुल से छुड़ा कर लाई थी। लीना उनके रिश्ते की बहन की बेटी थी… मां के मृत्यु के बाद उसकी हैसियत एक नौकरानी से भी गई गुजरी हो गई थी।

    सभी से लड़ झगड़ कर बारह वर्ष की कन्या को आज बाइस वर्ष में पढ़ा-लिखा कर अपने परिचित के यहां नौकरी लगवा दिया और इसी के आंखों पर चर्बी चढ़ गई।

     सेवा सुश्रुषा दूर… ढंग से बात भी नहीं करती। और आज अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ अपना सामान लेकर लिव इन में रहने का अल्टिमेटम देकर गई है।

    ” ठीक है तुम पढ़ी-लिखी वयस्क हो अगर तुम्हें इसी में खुशी मिलती है तो मुझे एतराज नहीं… लेकिन सोच-समझकर कोई भी कदम उठाना…ऐसा न हो फिर पछताना पड़े… पहले तो मैं तुम्हें नरक से निकाल लाई परंतु जरूरी नहीं कि इस बार फिर कोई तुम्हारी मदद करें” मौसी की आवाज भर-भरा गई।

   लीना के आंखों पर छाई चर्बी पिघलने लगी। उसने जब अपने ब्वॉयफ्रेंड के बारे में पता किया तब उसके भ्रमर और लोभी स्वभाव का खुलासा हुआ।

     शाम का समय था।नि: संतान मौसी दीया बाती की तैयारी कर रही थी मन ही मन लीना की सलामती की प्रार्थना भी तुलसी मइया से कर रही थी।

   तभी बदहवास लीना ने घर में प्रवेश किया,” माफ कर दो मौसी… मैं अपनी कमाई के बल पर अहंकारी हो उठी थी… भूल चली थी कि इतनी आसानी से यहां कुछ भी नहीं मिलता… आपके जैसी मौसी तो बिल्कुल नहीं।”

मौसी के कंधे पर सिर रख लीना हिलक पड़ी। तुलसी चौरे के नन्हे से दीये के धवल प्रकाश से घर आंगन रौशन हो गया।

मौलिक रचना -डाॅ उर्मिला सिन्हा 

मुहावरा _आंखों पर चर्बी चढ़ना 

 

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