Moral Stories in Hindi : मुस्कान के पिता जी 4 भाई थे। मुस्कान के पिता जी दूसरे नम्बर के थे। सब आपसी सहमति से छोटे भाई के विवाह के दो साल बाद अलग-अलग हो गए थे।
दो भाई शहर में बस गए और दो भाई खेतीबाड़ी देखने के लिये गाँव में ही बस गए जिसमें से एक मुस्कान के पिता जी थे।
सब बढ़िया चल रहा था मुस्कान के पिता जी और उनके सबसे छोटे भाई रहते तो अलग थे पर खेतों का काम साथ ही करते थे।
मुस्कान के पिता से छोटे भाई ने शहर जाकर टेल रिंग का काम सीख के खुद की छोटी दुकान खोल ली,
और उनके सबसे बडे़ भाई ने बटवारें से पहले ही शहर में खली-चुरी की एक मील डाली थी, जो समय ते साथ अच्छी चलने लगी, और बटवारे के 2साल के बाद ही उन्होंने दो मील और डाल ली थीं, । मुस्कान के दादा दादी गाँव में मुस्कान के पिता जी के साथ ही रहते थे ।
मुस्कान के ताऊजी के बहुत बुलाने पर मील के उदघाटन के समय कुछ दिन शहर रहकर आये थे, पर उन्हें शहर में ज्यादा अच्छा नहीं लगा तो साल में सिर्फ एक आध बार चले जाते थे उनके बच्चों को दादा दादी का प्यार देने।
मुस्कान के ताऊजी ने जब दो मील और डालीं थीं तब उन्होंने बिना घर में बताए कर्ज ले लिया पर ,ईश्वर की कृपा से और भाईयों के सहयोग से सब सुलझ गया। अब उनका उठना बैठना बडे़-बडे़ लोगों में होने लगा गाँव आना भी अब कम हो गया, पर वो त्योहारों पर परिवार के लिए हमेशा तोहफे भेज ही दिया करते थे।
सब अच्छा चल रहा था। मुस्कान के पिता जी की खेती बाड़ी भी अच्छी चल रही थी। बच्चे बडे़ हो रहे थे अब सब अपने-अपने परिवार पर ध्यान देने लगे।
पर मुस्कान के ताऊजी उनके कारोबार का और विस्तार चाहते उन्होंने फिर कर्ज ले लिया पर अबकी बार उन्होंने गलत व्यक्ति से कर्ज ले लिया, इधर मुस्कान के पिता के खेत भी सूखे की मार झेल रहे थें, तो मुस्कान के ताऊजी की हिम्मत नहीं हुई उनसे मदद मांगने की, इधर ताऊजी को सूदखोरों ने परेशान कर दिया,
उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था, किसी से कुछ कह भी नहीं पा रहे थे पत्नी अपनी किटी पार्टी, दोस्तों में में व्यस्त थी, बच्चे भी अपने स्कूल और अपने महंगे गेजैट(कम्प्यूटर, मोबाइल)में व्यस्त थे ।
किसी के पास उनकें लिए समय नहीं था।
और गांव से वो अपने स्वार्थ के चलते जुड़े रह नहीं पाए। उन्होंने बच्चों और पत्नी के अच्छे भविष्य के लिए आत्महत्या कर ली। ताकि उन्हें बीमा की राशि मिल जाए।
और सूदखोर उनके परिवार को परेशान न करे । इधर मुस्कान के पिता जी को बडे़ भाई की इस प्रकार की मृत्यु से गहरा आघात लगा , मुस्कान के दादा जी को ह्र्दयाघात हो गया। उन्हें अस्पताल मे भर्ती करा कर शहर से बडे़ भाई के परिवार को लेकर गाँव आ गए।
बडे़ भाई की दो मीलें और बगंला नीलाम हो गया पर , कर्जामुक्ति फिर भी नहीं हुई आखिर उन्हें अपने हिस्से के भी आधे खेत बेचने पडे़ । तब कर्ज से मुक्त हुए।
इधर बड़ी भाभी और उनके बच्चे गाँव में सहजता से नहीं रह पा रहे थे क्योंकि वे लोग साल में एक बार ही गाँव आते थे तो वे गाँव में 15 दिन मे ही पक गए ।जैसे-तैसै उन्होंने दो महीनें बिताए पर 2 माह के बाद बड़ी भाभी नेे कहा की उनके लिए गाँव में रहना कठिन है तो मुस्कान के पिता जी ने कहा की भाभी में आपके और बच्चों के रहने का इंतजाम शहर में नहीं कर सकता ,आप साल भर गाँव में रूकें फिर ही में कुछ कर पाऊँगा।मुस्कान का परिवार बहुत कठिन दौर से गुजर रहा था। एक तो पहले ही सूखे के कारण फसल नहीं हुई , बच्चे भी शहर में स्कूल जाते थे ऊपर से बडे भाई के परिवार की जिम्मेदारी भी उन पर आ गयी थी।
उन्हें भी मजबूरन कर्ज लेना पडा़। जो समय के साथ बड़ता ही गया। फिर 8माह बाद भाभी अपने बच्चों को लेकर पीहर चली गयीं।
इधर बडे़ भाई की एक मील जो भाभी के नाम थी वो बच गयी थी और बीमा के रूपये भी उन्हें मिल गये थे , जिसकी जानकारी मुस्कान के पिता को नहीं थी। बड़ी भाभी ने अपने भाई की मदद से फिर मील मे काम शुरू कर दिया,धीरे धीरे साल भर में सब पटरी पर आ गया ।
पर मुस्कान के पिता जी कर्ज में डूबते ही चले गये। जब मुस्कान के पिता जी को लगा की बडे़ भैय्या की मील अब चलने लगी है, तो, उन्होंने बड़ी भाभी से मदद मांगी पर भाभी ने यह कह के मना कर दिया की भाईसाहब हमने भी मील शुरू करने के लिए लोन लिया था।
मुस्कान के पिता ने उनका भरोसा किया।
और फिर ज्यादा मेहनत करने लगे अपने बच्चो के भविष्य के लिए ।
फिर 7साल बाद जब मुस्कान को शहर के कॉलेज मे दाखिला मिला तो उन्होंने फिर अपनी भाभी से मदद मांगी,
इन 7सालों में सब बदल गया था मुस्कान के दादाजी नहीं रहे, बड़ी भाभी 7 सालों में सिर्फ दो बार गाँव आयीं दादाजी की मृत्यु के समय और उनकी बड़ी बेटी के विवाह के निमंत्रण के लिए 5 महीने पहले ही आयीं थीं। बहुत अच्छी शादी की थी उन्होंने एक बडे़ महल नुमा होटल से। जब मुस्कान और उसके छोटे चाचा का परिवार शादी में पहुँचा तो चकाचौंध देख कर दंग रह गए उन्होंने एेसी शादी पहले कभी नहीं देखी थी।
और मुस्कान बडे़ शहर की चमक से प्रभावित हो गयी उसने मन बना लिया की वो यही से कालेज की पढ़ाई करेगी । तो इसलिए उसने उसके पिता से कहा की ताई जी से उसके लिए बात करें।पिता ने अपनी बेटी की खुशी के लिए , बड़ी भाभी से मुस्कान को अपने पास रखने के के लिए कहा की भाभी मुस्कान के लिए शहर नया है पर आप लोग सालों से यहाँ हो तो मुस्कान को आप अपने साथ रख लें पर इसबार भी भाभी ने मुहं बिगाड़ ते हुए कहा की जब हमे आपने अपने पास रखा तो खाने पीने क लिए मोहताज कर दिया था। माफ़ करे भाईसाहब हम नहीं रख पाएंगे मुस्कान को ,
हमारे पास समय नहीं है उसका ध्यान रखने के लिए , आप उसे हॉस्टल मे रखने की व्यवस्था करें।
जब घर आकर मुस्कान के पिता जी ने ये बातें बतायीं तो मुस्कान की दादी ने कहा सब मतलब के रिश्ते थे बेटा अब जब बड़का भाई ही नहीं रहा,तो काहे की भोजाई काहे का घर ,
सब मतलबी थे बेटा । तु हॉस्टल में ही रख के पढा ले हमारी मुस्कान को कोई बात नहीं बेटा ,और भूल जा की मेरे अलावा और कोई भी तेरा बड़ा है।
मेघा मालवीय
अविनाश स आठल्ये
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श्रीमती संध्या त्रिपाठी