” अदिति शाम को हमे बाजार चलना है तुम्हारे भाई के लिए कुछ कपड़े लेने इसलिए अपना होमवर्क जल्दी से पूरा कर लेना तुम !” सुजाता अपनी दस साल की बेटी से बोली।
” मम्मा भाई का तो बर्थडे भी फिर उसके लिए कपड़े क्यों?” अदिति मासूमियत से बोली।
” अरे तो क्या हुआ बर्थडे पर ही कपड़े लाते हैं क्या हमारे घर का राजकुमार है वो उसको हमेशा अच्छे कपड़े पहनने चाहिए !” तभी अदिति के पापा रोहित वहां आकर बोले।
कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं आपको अपनी कहानी के पात्रों का संक्षिप्त परिचय दे देती हूं।
मेरी कहानी के परिवार के मुखिया है राहुल जिनकी पत्नी है सुजाता और दो प्यारे प्यारे बच्चे हैं। एक अदिति जो दस साल की है दूसरा वंश जो अभी दो साल का है। अदिति के होने के बाद किन्ही कारणों से सुजाता मां नही बन पा रही थी। अब वंश चलाने को एक चिराग तो चाहिए ( ये राहुल के परिवार की सोच है मेरी नही )
तो सुजाता का इलाज करवाया गया कई जटिल प्रक्रियाओ से गुजरने के बाद आखिरकार सुजाता दुबारा मां बनी और परिवार के वंश को जन्म दिया राहुल ने बेटे का नाम ही वंश रख दिया पर वो घर में उसे राजकुमार ही बोलता था और रखा भी राजकुमारों की तरह जाता वंश को।।
चलिए अब कहानी को आगे बढ़ाते हैं।….
” मम्मा देखो कितनी सुंदर सुंदर ड्रेसेज हैं!” मॉल में घुसते ही सामने लड़कियों के कपड़े देख अदिति चहक कर बोली।
” हां बहुत सुंदर है अब चलो वंश के कपड़े लेने है हमे !” सुजाता अदिति का हाथ पकड़ उसे खींचती हुई सी बोली रोहित वंश को गोद में लिए पहले ही आगे बढ़ चुका था।
मासूम अदिति ललचाई नजरों से कपड़े देख रही थी उसे लगा शायद भाई को कपड़े दिलाने बाद उसे भी कपड़े मिले पर यहां तो मम्मी पापा दोनो भाई के कपड़े ,जूते लेने में ही व्यस्त हैं।
” मम्मा मुझे भी वो ड्रेस चाहिए !” आखिरकार जब अदिति से रहा नही गया तो उसने सुजाता का हाथ पकड़ कर कहा।
” तुम क्या करोगी उस ड्रेस का अभी तुम्हारा जन्मदिन भी नही है और वो ड्रेस बहुत महंगी भी है !” रोहित अदिति को आंखे दिखाता हुआ बोला।
मासूम बच्ची का कोमल मन थोड़ा आहत हुआ क्योंकि ये आज की बात नही जबसे वंश हुआ है उसे ऐसा लगता था कि उसकी वैल्यू घर में कम हो गई है। भले सुजाता और रोहित जानबूझ कर ये ना करते हो पर कही न कही बच्ची को ये भेदभाव ही लगता और सच भी यही था। पर आज जाने कहां से हिम्मत करके उसने कहा।
” भाई के लिए भी तो इतने सारे कपड़े लिए हैं जबकि उसका भी तो जन्मदिन नही है फिर मेरे लिए एक ड्रेस क्यों नही ले सकते आप !”
” बेटा आपके पास ड्रेसेज हैं ना भाई तो अभी छोटा है उसको ज्यादा कपड़े चाहिए होते हैं बार बार बदलने जो होते हैं !” सुजाता ने बच्ची को समझाया।
” बिल्कुल आखिर हमारा राजकुमार जो है ये !” रोहित पत्नी की बात का समर्थन करते हुए बोला।
” तो क्या मैं राजकुमारी नही हूं पर भाई के होने से पहले तो मैं राजकुमारी थी आपकी अब क्या हुआ ऐसा की भाई ही सब कुछ हो गया मैं कुछ नही …फिर लाए ही क्यों मुझे यहां भाई को ही लाते बल्कि मुझे पैदा ही क्यों किया!” अदिति गुस्से में बोली और रोते हुए मॉल के बाहर चली गई।
सुजाता और रोहित दोनो एक दूसरे का मुंह देखने लगे नन्ही सी बच्ची इतनी बड़ी बात बोल गई सुजाता की आंख नम हो गई नन्ही सी बच्ची के मन में ये क्या बात घर कर रही है। एक तो ये उम्र ऐसी उसपर अगर बच्ची मां बाप से कटने लगी तो कैसे वो अपनी अच्छी बुरी बातें बताएगी। सुजाता ये सोच ही रही थी कि रोहित ने उसे इशारा किया तो वो अदिति के पीछे भागी।
” अदिति बेटा ऐसा नहीं बोलते आप तो हमारी सबसे प्यारी वाली राजकुमारी हो वो क्या है ना कि हमे लगा था हमारी राजकुमारी तो बड़ी और समझदार हो गई है पर हम ये भूल गए थे वो तो अभी भी हमारी प्यारी सी बच्ची है !” सुजाता बेटी को मॉल के बाहर बैठा देख बोली।
” आप जाओ वंश के लिए कपड़े खरीदो !” अदिति बिना मां की तरफ देखे बोली उसकी आँख से लगातार आँसू निकल रहे थे ।
” अब छोटे भाई के कपड़े बड़ी बहन ही तो पसंद करेगी वरना भाई हमसे नाराज हो जायेगा की हमने उसकी प्यारी दीदी को नाराज कर दिया!” सुजाता उसके पास बैठती हुई बोली।
” हां और फिर ये ड्रेस भी कौन ट्राई करेगा अगर तुम अंदर ही नही आओगी तो !” तभी वहां रोहित एक हाथ में वंश और दूसरे हाथ में वही ड्रेस लेकर आते हुए बोला।
” सच्ची पापा ये ड्रेस मेरे लिए है !” रोती हुई अदिति अविश्वास से अदिति बोली।
” बिल्कुल अब हमारी प्यारी राजकुमारी इस ड्रेस को पहन और भी प्यारी लगेगी चलो जल्दी ट्राई करो !” सुजाता बेटी का हाथ पकड़ कर उठाते हुए बोली।
अदिति खुशी से चहकते हुए ड्रेस ले ट्रायल रूम की तरफ बढ़ गई हालाँकि उसके गालों पर अब भी आँसू थे जो थोड़ी देर पहले निकल रहे थे पर अदिति के चमकते चेहरे पर वो भी अब मोती की तरह चमक रहे थे । रोहित और सुजाता मुस्कुरा कर बेटी को जाते हुए देखने लगे।
दोस्तो हम जाने अनजाने कई बार अपने घर के बड़े बच्चों को नजरंदाज कर देते है। छोटे बच्चे को कोई चीज दिलवाते वक्त बड़े से बड़प्पन की गुंजाइश करते है जिससे जाने अनजाने हम उसके मन में भेदभाव डाल देते हैं जिससे बच्चा मां बाप के साथ साथ छोटे भाई बहन से भी दूर होने लगता जो गलत है । बड़े बच्चे को भी बच्चा ही समझे और उसे समझाना भी है तो प्यार से तर्क देकर समझाएं जिससे उसके मन में कोई गलत बात ना आए। वरना यहाँ तो सुजाता और रोहित की समझदारी से अदिति के आँसू मोती बन गये पर यही आँसू क्रोध मे भी परिवर्तित हो सकते थे जो अदिति को बागी बना सकते थे।
उम्मीद है आप मेरी बात से इत्तेफाक रखते होंगे।
धन्यवाद आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल
#आँसू बन गये मोती