” अरे अरे क्यो मार रही हो बच्चे को ऐसे ?” अंकिता अपने पड़ोस मे रहने वाली नीमा को अपने चार साल के बेटे को मारते देख बोली।
” भाभी इसकी शैतानियां दिन ब दिन बढ़ती जा रही है ऊपर से ज़िद्दी इतना हो रहा है मेरी कुछ नही सुनता !” नीमा बेटे को मारना छोड़ बोली। मासूम नक्ष कोने मे दुबक कर सुबकने लगा।
” नीमा शैतानी ये नही करेगा तो कौन करेगा रही ज़िद्दी होने की बात तो तुम इसे मरोगी तो ये ढीठ भी हो जायेगा कि मम्मी क्या कर लेगी ज्यादा से ज्यादा मार ही तो लेगी तुम सारा गुस्सा मासूम पर उतारती हो ये तो कोई बात नही हुई।” अंकिता बोली।
” और क्या करूँ मैं भाभी सारा दिन काम मे लगी रहती हूँ घर मे कोई मदद को तैयार नही ऊपर से ये मेरा काम और बढ़ा देता है तब सबका गुस्सा इस पर उतर जाता है !” नीमा धीरे से बोली।
” लगता है घर मे कोई नही है ?” उसकी बात का जवाब ना दे अंकिता ने पूछा ।
” सबके सब दीदी ( नीमा की ननद ) के यहां गये है उनके बेटी हुई है नक्ष भी जाने की ज़िद्द कर रहा था पर मम्मीजी ने कहा नक्ष शैतान है वहाँ जाकर शैतानी करेगा इसलिए मैं इसे घर मे रखूं …उनके जाते ही इसने गुस्से मे कुशन फेंक दिये बस मुझे गुस्सा आ गया !” नीमा इतना बोल चुप हो गई।
” और तुमने अपना गुस्सा नक्ष को पीट कर उतारा वाह ..वैसे ये बताओ ये गुस्सा नक्ष के कुशन फेंकने का था या इसके कारण जो तुम्हारी सासुमा तुम्हे नही ले गई उसका था !” अंकिता बोली।
” भाभी आप भी बताइये नक्ष शैतान है एक जगह नही टिकता इसमे मेरी क्या गलती हर वक़्त इसके लिए मुझे सुनाया जाता है कि बच्चे को तमीज नही सिखाई …कन्ही जाना हो तो यही बोला जाता है ये तो शैतान है इसे नही ले जाना ..इसके कारण मुझे ही सुनना झेलना पड़ता है !” नीमा के आंसू फिर छलक आये।
” देखो नीमा नक्ष की शैतानियां उसका बचपना है जो हर किसी की जिंदगी मे आता है कोई कम शैतानी करता है कोई ज्यादा इसके लिए तुम्हे दोष देना घर वालों की गलती है पर उससे भी बड़ी गलती तुम्हारी है घर वालों के कहे मे बच्चे को पीटना ये कहा तक सही है बच्चों मे एनर्जी लेवल हम बड़ो की अपेक्षा ज्यादा होता वो एक जगह टिक कर नही बैठ सकते उन्हे कुछ ना कुछ करने को चाहिए होता है ये हम पेरेंट्स का फर्ज है उनकी इसी क्षमता को सही दिशा मे मोड़े उन्हे कुछ ऐसा करने को दे जिससे वो व्यस्त रहे साथ साथ उन्हे टाइम भी दे …मेने देखा है तुम घर के कामो के कारण नक्ष को बहुत कम समय् देती हो इससे बच्चा माँ का ध्यान पाने को कई बार जान के शैतानी करता है !” अंकिता ने समझाया।
” तो भाभी मैं कैसे मैनेज करूँ सब ?” नीमा बोली।
” नक्ष के स्कूल से आने पर फ्री रहो उसकी बाते सुनो दिन भर की पूछो उससे इससे उसका शैतानी मे कम दिमाग़ रहेगा …शाम को थोड़ा खेलो उसके साथ हो सके तो पार्क ले जाओ उसे अच्छी अच्छी कहानियां सुनाओ किसी एक्टिविटी जैसे कोलाज बनाने मे , पजलस मे या ब्लॉक्स जोड़ने मे उसे लगाओ उससे उसका दिमाग़ शैतानी से हट इनमे लगेगा …पर हां थोड़ी शैतानी भी करने दो क्योकि बड़ा होने पर उसकी यही शैतानिया तुम्हे हंसायेगी , गुदगुदाएगी !” अंकिता हँसते हुए बोली।
” पर भाभी घर के कामो के साथ ये सब कैसे होगा ? पूरे घर की जिम्मेदारी उठाते थक जाती हूँ तभी तो इसपर गुस्सा कर जाती हाथ उठा देती !” नीमा जोर से रोने लगी।
” नीमा ये तुम्हे खुद सोचना होगा अपने बच्चे के लिए …घर वालों की मदद लेने मे कोई हर्ज नही घर सबका है पर बच्चे को समय नही दिया तो वो तुम्हारा नही रहेगा क्योकि समय चक्र बदलता है जैसा हम करते है वैसा हमें मिलता है !” अंकिता ने चेताया।
इतने माँ को रोता देख नन्हा नक्ष अपनी मार भूल माँ के पास आया ..” मम्मा मत रोओ मैं अब शैतानी नही करूंगा फिर दादी आपको नही डाँटेगी !” माँ के आंसू पोंछता हुआ वो बोला तो नीमा ने उसे गोद मे उठा सीने से लगा लिया और उसे चूमने लगी । माँ बेटे के इस प्यार को देख अंकिता मुस्कुरा दी और वहाँ से चली गई।
” बहु आज इतनी जल्दी खाना क्यो बना रही हो ?” अगले दिन् नीमा को जल्दी खाना बनाते देख उसकी सास बोली।
” मम्मीजी नक्ष स्कूल से आता होगा उसे भी समय देना है मुझे अब से इसलिए अब खाना जल्दी बना दिया करूंगी जिससे उसके आने तक फ्री हो जाऊं !” नीमा बोली।
शाम को नीमा बेटे को ले तैयार हो बाहर आई ..
” कहाँ जा रही हो इस वक़्त चाय का समय हो रहा है !” सास बोली।
” मम्मीजी चाय दीप्ती ( ननद) बना लेगी मैं नक्ष को ले पार्क जा रही हूँ !” नीमा शालीनता से बोली।
” ये क्या नया शौक चर्राया अब !” सास हाथ नचा कर बोली।
” मम्मीजी शौक नही जरूरत है ये मेरे बच्चे की जिससे उसके साथ ज्यादा वक़्त बिता सकूं और उसके ऊपर लगे शैतान बच्चे का टाइटल हटा सकूं… क्योकि मेरा उसके प्रति लापरवाह होना उसे शैतान बना रहा है उम्मीद है उसे सुधारने मे आप लोग मेरी मदद करेंगे ज्यादा कुछ नही चाहती बस थोड़ा सहयोग चाहती हूँ जिससे आप लोगो को भी इसके कारण सुनना ना पड़े !” नीमा ने हाथ जोड़ कर कहा तो सास चुप हो गई ।
पार्क से वापिस आते मे नीमा नक्ष के लिए एक कार्डबोर्ड और पजल खरीदती लाई जिससे कार्डबोर्ड पर वो तस्वीरें चिपका कोलाज बना सके !
माँ का साथ पाने और व्यस्त रहने से नक्ष की शरारते कम हो गई अब ना वो ज्यादा गुस्सा दिखाता ना चीजे फेंकता था हां मस्ती जरूर करता था ओर उसकी मस्ती मे नीमा भी शामिल हो जाती थी अपने बच्चे के साथ खूबसूरत यादें जो संजोनी थी उसे। हालाँकि उसके घर वाले उससे कुछ दिन नाराज़ भी रहे । सास का बड़बड़ाना भी चलता रहा पर जैसे जैसे नक्ष की बेवजह की शैतानियां कम हुई उन्हे नीमा सही लगी।
नीमा ने अंकिता के पास जा उसका धन्यवाद किया क्योकि उसकी सीख ही थी कि आज नक्ष सबका चहेता बनने लगा है और नीमा खुद उसकी चहेती है ।
दोस्तों के हर घर की आम समस्या है छोटे बच्चे की शैतानी से सब परेशान है। खासकर माँ क्योकि सबकी सुननी माँ को ही पड़ती है आपका बच्चा भी थोड़ी शैतानी करता है तो करने दीजिये यही तो उम्र है इसकी और अगर नक्ष की तरह ज्यादा शैतान है तो आप भी सोचिये कही आपकी अत्यधिक व्यस्तता आपके बच्चे को जान बूझकर शैतानी करने पर मजबूर तो नही कर रही क्योकि हर बच्चा माँ का ध्यान पाना चाहता है भले शैतानी करके । और ऐसे मे आपका उसे डांटना या मारना उसे ज़िद्दी बना देगा और समय का चक्र जब घूमेगा और वो जब तक बड़ा होगा आपसे दूर हो चुका होगा क्योकि कुछ कड़वी यादे उसके जेहन मे भी रहेंगी ।
आपकी दोस्त
संगीता अग्रवाल