अहम फ़ैसला – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

   ” तो तूने सोच लिया है कि अंशु को रज़िया के हवाले कर देगी…।”      ” हाँ दी…अंशु की खुशी में ही तो मेरा सुख है…।” कहते हुए वर्षा का गला भर्रा गया।उसने अपनी बहन मेघना से ‘ ‘रखती हूँ दी’ कहकर फ़ोन डिस्कनेक्ट कर दिया और सोफ़े पर लेटे छह वर्षीय अंशु को वात्सल्य भरी … Read more

रुठा ना करो-   विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

    ” ये रंग तुम पर खूब जँचेगा बड़ी बहू…और फिर ये कलर तेरा फेवरिट भी तो है..।” शकुन्तला जी अंजू को अंगूरी रंग की चंदेरी साड़ी दिखाती हुई मनुहार करने लगीं लेकिन अंजू तो बस गाल फुलाकर बैठी रही।         शकुन्तला जी के दो बेटे थें।घर में जब अंजू उनकी बड़ी बहू बनकर आईं तब उन्होंने … Read more

‘सिर्फ़ मेरा’ क्यों?-   विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

 ” देखो नंदा…तुम अपने भाई को एक रुपया भी नहीं दोगी।” शैलेश ने कड़े शब्दों में पत्नी से कहा तो वह बोली,” मैं आपसे तो माँग नहीं रही….अपनी सैलेरी से ही तो दे रही हूँ..।”    ” तुम्हारी सैलेरी क्या होती है…जब तुम पर सिर्फ़ मेरा अधिकार है तो तुम्हारी सैलेरी भी तो मेरी हुई ना….।” … Read more

माँ का दायित्व – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

    डोरबेल बजते ही शैली ने दरवाज़ा खोला तो कोरियर वाले ने उसे एक लिफ़ाफा थमाया और उससे हस्ताक्षर करवाकर चला गया।शैली ने लिफ़ाफा खोला तो तलाक के पेपर देखकर वह दंग रह गई।शशांक ने उसे तलाक का नोटिस भेजा था।उसने अपनी मम्मी शकुंतला को तलाक के कागज़ात दिखाये तो वो खुश होकर बोली,” कर दे … Read more

माँ बनी शेरनी – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

   सुबह-सुबह दरवाज़े की घंटी बजी तो मनोरमा जी ने सोचा कि चंपा आई होगी…उसके आने का यही तो टाइम है,यही सोचकर उन्होंने दरवाज़ा खोला तो अपनी बेटी श्रेया को देखकर खुश हो गई।कुछ कहती इससे पहले श्रेया माँ के गले लगकर रोने लगी।          छह बरस पहले श्रेया का विवाह सिद्धार्थ के साथ हुआ था जो … Read more

क्या मेरी कोई अहमियत नहीं? – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

    ” मम्मी….आपके घर में रहने के लिये मुझे थोड़ी जगह मिलेगी?” रोते हुए छवि अपनी माँ प्रेमलता से पूछने लगी।    ” ये तू क्या कह रही है छवि!…शशांक जी कोई बाता-बाती हुई है क्या या फिर बच्चों से…।”    ” सबसे…आप मना कर देंगी तो मैं कहीं और…।” बात अधूरी रह गई और छवि ज़ोर-ज़ोर से … Read more

कथनी-करनी में अंतर – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

    ” मित्रों….ना जाने कैसा जमाना आ गया है…लोग अपने घर के बुजुर्गों का आदर-सम्मान करना ही भूल गये हैं।जिन्होंने हमें ज़िंदगी दी है…हमें चलना- बोलना सिखाया है..आज वे हमसे सिर्फ़ थोड़ा प्यार चाहते हैं…अगर ये भी हम उन्हें भी न दे सके तो हमें इंसान कहलाने का कोई हक नहीं है।परिवार में इन बुजुर्गों की … Read more

बाँझ कौन..? – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

    ” दीदी….बाहर कोई महिला बेहोश पड़ी है…उनका क्या करे? ” विद्या नाम की सेविका ने सुनिधि से कहा जो अपनी कुर्सी पर बैठी मेज पर पड़ी फ़ाइलों को एक-एक करके ध्यान-से देख रही थी।            करीब आठ साल सुनिधि ने ‘ आनंद-आश्रय ‘ का कार्यभार संभाला था।दरअसल आनंद-आश्रय’ एक वृद्धाश्रम था जहाँ वृद्ध-वृद्धा रोते हुए तो … Read more

इसमे संकोच कैसा – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :     ” आप यहाँ बैठिये भाईसाहब…मैं अभी पानी लेकर आती हूँ।” सोफ़े की ओर इशारा करते हुए सुनंदा जी अपने समधी प्रशांत बाबू को कहकर रसोई में चली गईं।तभी दिवाकर बाबू भी प्रशांत बाबू का सामान लेकर आ गये और बोले,” अब आप यहाँ आराम से रहिये।”   ” मैं यहाँ… … Read more

तुम स्वयं भाग्यविधाता हो – विभा गुप्ता : Moral Stories in hindi

” देखो कल्याणी….तुम्हारी बेटी को जितना पढ़ना था…हम पढ़ा चुके हैं…अब वह चुपचाप ब्याह करके अपने ससुराल चली जाये, यही सबके लिए अच्छा रहेगा…।” ज्ञानेश्वर बाबू ने कड़े शब्दों में अपने छोटे भाई की पत्नी से कहा।    ” लेकिन जेठ जी….मेरी स्वाति पहले अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती है…उसकी इच्छा है कि…।” सिर पर … Read more

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