नयी पीढ़ी – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

       अपने इकलौते बेटे अंकुर के विवाह के लिये वसुंधरा जी ने अनगिनत सपने देखे थे लेकिन कनाडा जाते ही उसने सूचना दी कि साथ काम करने वाली एक विजातीय लड़की तान्या के साथ उसने विवाह कर लिया है तो उनके सारे सपने चूर- चूर हो गये थे।पति से अक्सर कहतीं कि आजकल के बच्चे अपने … Read more

जीवन का आनंद – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 सुनसान सड़क पर रजनी अकेली तेज-तेज कदमों से चली जा रही थी।आज दिन की घटना रह-रहकर उसके कोमल हृदय पर चोट कर रही थी।अब वो किसके लिये जिये..उसका मर जाना ही अच्छा है..हे भगवान! कोई नदी मिले तो मैं उसमें समा जाऊँ..कोई गाड़ी ही आकर मुझे अपनी चपेट…तभी तेजी-से आती एक कार से टकराकर वह … Read more

भाभी की सीख – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

        ” ईशा..डाॅन्ट टच…।” निशा ने अपनी जेठानी की बेटी से कहा तो पास खड़ी उसकी ननद की बेटी अराध्या बोली,” मामी..हम तो बस देखेंगे..तोड़ेंगे थोड़े ही..।” सुनते ही निशा गरम हो गई, उसका हाथ झटककर तीखे स्वर में बोली,” तुम्हारी मम्मी ने सिखाया नहीं कि दूसरों की चीजों को हाथ नहीं लगाना चाहिए।” दोनों बच्चियाँ … Read more

शिक्षित होना ज़रूरी है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” दादी…कहानी छुनाओ(सुनाओ)…।” नन्हीं पीहू प्रभा जी के गले में अपनी बाँहें डालती हुई बोली तो उन्होंने उसके हाथों को हटाते हुए झिड़क दिया,” जा..अपनी पढ़ी-लिखी माँ से सुन..।” पीहू रोती हुई अपनी माँ के पास चली गई। उनके पति अंबिका बाबू वहीं खड़े थे, बोले,” प्रभा…उस बच्ची का दिल दुखाकर तुम्हें क्या मिला..एक कहानी … Read more

आत्मसम्मान का स्वाद – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ” नंदा..ज़रा मेरी साड़ी तो प्रेस कर दे..।” छोटी भाभी के आदेश पर नंदा उनके कमरे की तरफ़ दौड़ी तभी ,” नंदा.. ,मोनू को लंचबाॅक्स दे आ।” बड़ी भाभी की आवाज़ पर नंदा किचन की तरफ़ दौड़ी।प्रतिदिन उसके दिन की शुरुआत ऐसे ही दोनों भाभियों के आदेशों से ही होती थी।कुछ सालों पहले तक तो … Read more

दुनिया का दस्तूर – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” माँ- माँ..देखो ना..छोटे को बहुत चोट लगी है।” कहता हुआ बारह वर्ष का आशुतोष अपने छोटे भाई अंकित का हाथ पकड़कर दौड़े अपनी माँ सुनंदा के पास आया।वहीं पर बैठी सुनंदा की माँ आशुतोष के कान पकड़ने लगी तभी सुनंदा ने आकर अपनी माँ का हाथ रोक लिया,” नहीं माँ..आशुतोष को कुछ न बोलो।ज़रूर … Read more

बाबुल का फ़र्ज़ – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली नयना ने अपने कंधे पर स्कूल बैग डाला और ड्राइंग रूम में सोफ़े पर बैठे हिसाब करते हुए अपने भाई प्रशांत को ‘बाय भइया’ कहकर स्कूल के लिये निकलने लगी तो उसकी माँ सरोजनी बोलीं,” रुक…टिफ़िन तो लेती जा..।    ” कैंटिन में खा लूँगी माँ…।” कहकर वह बाहर निकल गई।तब … Read more

आपकी बेटी होती तो.. – विभा गुप्ता   : Moral Stories in Hindi

दिव्या और शिल्पी बचपन की सहेलियाँ थीं।दोनों एक ही स्कूल और एक ही क्लास में पढ़ती थीं।पढ़ाई के साथ-साथ दोनों स्कूल की खेल प्रतियोगिता और संगीत प्रतियोगिता में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती थीं।दिव्या तेज स्वभाव की थी।उसे गलत बात बर्दाश्त नहीं होती थी।विशेषकर उसकी सहेली को कोई कुछ कह दे तो वह उससे झगड़ा … Read more

बड़ी बहन – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ” अरी जन्मजली! ये तूने क्या कर डाला…अपनी ही छोटी बहन के प्यार पर डाका डाल दिया।ऐसा करने से पहले तूने एक बार भी न सोचा…दूर हो जा मेरी नज़रों से..।” सावित्री जी चीखीं। उनकी आवाज़ सुनकर स्नेहा और संदीप कमरे से निकले।दरवाज़े पर खड़ी अपनी बड़ी बहन स्वाति की माँग में सिंदूर और गले … Read more

पापा चले ससुराल – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      ” नहीं अवंतिका…शादी में तुम ही चली जाओ…और हाँ, अपनी भतीजी को जो भी देना चाहती हो, खरीद लेना।” कहकर असीम जी ने हाथ में अखबार ले लिया।तब उनके हाथ से अखबार लेकर मनुहार करती हुई अवंतिका जी बोली,” चलिये ना…उस बात को बीते तो बरसों हो गये हैं…कब तक नाराज़ बैठे रहेंगे..अब तो अपना … Read more

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