सूरत नहीं, सीरत भली – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” नीतू..तू अपना मनहूस चेहरा लेकर फिर मेरे सामने आ गई…चल भाग यहाँ से…।” कल्पना ज़ोर-से अपने जेठ की बेटी पर चिल्लाई।चाची की कड़वी बात सुनकर नीतू का मन आहत हो गया।वो कमरे में जाकर रोने लगी तभी उसकी दादी आ गई और उसके सिर पर प्यार-से हाथ फेरते हुए बोली,” मेरी लाडो..तू मनहूस नहीं … Read more

थैंक यू बेटा – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

      हाथ में चाय का कप लिये शैलेश अखबार पढ़ रहा था कि उसकी नज़र हेडलाइन पर ठहर गई,’ बेस्ट सेलर किताब- वरदान के लेखक ‘ श्री शिव मंगल जी’ का सम्मान समारोह’।नीचे छपी तस्वीर देखकर वो चौंक पड़ा,” पापा जी!” उसे यकीन नहीं हुआ।उसने बड़े भाई शीलेश को फ़ोन किया,” भईया..आज की हेडलाइन देखी..।”   ” … Read more

अहंकार कभी न करना – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” अंकित..खबरदार जो मनु के खिलौने को हाथ लगाया..लंदन से इसके पापा ने मंगवाया है..।तुम भी अपने पापा से..अ.रे.रे..रे..तुम्हारे पास तो ढ़ंग के कपड़े भी नहीं है..खिलौने कहाँ से..।” कहते हुए रीना व्यंग्य-से हँसी और उसने अपने जेठानी के बेटे अंकित के हाथ से खिलौना छीन लिया।        रीना के ससुर दीनदयाल जी की अचानक मृत्यु … Read more

बेटी तो है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     ” सुनीलsss.., जब एक हाथ से काम होता नहीं तो चुपचाप बैठे क्यों नहीं रहते…।कितना मंहगा शो- पीस था…तुमने तोड़ दिया…इसका पैसा क्या…।” कामिनी अपने देवर पर चिल्ला रही थी कि तभी सुनील की पत्नी नंदा आ गई,” साॅरी दीदी..इनसे गलती से गिर गया है।मैं इसके पैसे दे दूँगी…।”       ” कहाँ से देगी…तुझे खिलाते हम … Read more

स्नेह का बंधन – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

  ” रीना..सुन रही हो..दो दिन बाद पापाजी आ रहें हैं..उनके लिये कमरा तैयार करवा देना।” किचन में काम कर रही अपनी पत्नी से मनीष ने कहा तो वो भड़क उठी। आँखें दिखाते हुए बोली,” क्यों आ रहें हैं तुम्हारे पापाजी..तुम नहीं जानते कि बच्चे अपने घर में किसी तीसरे आदमी को पसंद नहीं करते।”   ” … Read more

काश! उसकी बात मान लेती –   विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

  हमेशा की तरह शाम को ठीक 5 बजे चाय का प्याला लेकर कृष्णा जी अपनी बालकनी में बैठी ही थी कि उनकी नज़र साथ वाले मकान के सामने खड़ी ट्रक पर गई।दो लोगों को ट्रक से सामान उतारते देखकर वो बड़ी खुश हुईं।चाय पीते हुए वो सोचने लगी कि नये पड़ोसी से कैसे परिचय किया … Read more

नीयत खोटी तो इज़्जत कैसी! – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” खाना रखा है…ठूँस लो…।” टेबल पर थाली पटकती हुई शारदा बोली तो उसके जेठ धीरे-से बोले,” शारदा..मैं तुम्हारे पति का बड़ा भाई हूँ..इतना तो लिहाज़ करो…।”    ” जानती हूँ लेकिन लिहाज़ करने वाला कर्म किये होते तो ज़रूर आपको सिर पर बिठाती मगर आप तो…।” आँखें तरेरती हुई शारदा ने बिस्तर पर पड़े बासठ … Read more

मेरी भाभी हैं – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  मालती एक शांत स्वभाव और सादगी पसंद लड़की थी।बचपन से वो देखती आई थी कि चाचाजी और बुआजी जब भी माँ को भाभी कहकर पुकारते तो उनके चेहरे पर एक चमक आ जाती थी।उनका कोई भी काम हो, माँ मन लगाकर करतीं थीं।कई बार तो उसके पापा अपने भाई-बहन को डाँट भी लगा देते थें, … Read more

आप अपना देखिये – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   ” मालती…बहू को इतनी छूट मत दे..उस पर नकेल कस..।” विवाह के अगले दिन ही नई-नवेली बहू को सलवार- कमीज़ पहने देख मालती की जेठानी की त्योरियाँ चढ़ गई थी।मालती बोली,” दीदी..नकेल क्यों…बहू भी तो हमारी बेटी ही है ना..।इतनी गरमी में जब हम सभी आरामदायक कपड़े पहने हैं तो बहू क्यों नहीं..। कहकर उसने … Read more

देवी का रूप है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ‘ अक्षरा धाम ‘ का लाॅन लाल-पीली बत्तियों से जगमग कर रहा था।हवा के झोंकें के साथ ताज़े फूलों की खुशबू नलिनी के नाक तो आई तो उसका तन-मन महक उठा।लोगों की भीड़ में उसकी नज़रें किसी अपने को तलाशने लगी कि तभी घर की वरिष्ठ महिला ने आकर उसका स्वागत किया,” आओ बचिया….तुम्हारे बिना … Read more

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