धिक्कार है तुम्हें…. – विभा गुप्ता: Moral stories in hindi

” नंदू..अब तू मुझे पकड़….।” ” नहीं..नंदू…पहले मुझे..।”          ‘आनंदी विला ‘ के हाॅल में दीवार से लगे दीवान पर पारसनाथ बैठे अखबार पढ़ रहें थें।पास बैठा हरिया उनके पैर दबा रहा था। बगीचे में अपने बेटों रवि-प्रकाश के साथ हरिया के बेटे नंदू को खेलते देख पारसनाथ बोले,” हरिया…तू नंदू की तनिक भी फ़िक्र न करना..रवि-प्रकाश … Read more

बहू तो मेरी है ना.. – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

    रिद्धि की सगाई हो जाने के बाद उसकी माँ नयनतारा जी उसे रोज कोई न कोई टिप्स ज़रूर देती थी।एक दिन वो बेटी को समझा रही थी कि सास को अपने पास दो दिन से अधिक बिल्कुल भी टिकने नहीं देना वरना…।तभी उसके पिता महेश बाबू बोले,” रिद्धि की माँ..ये कैसा पाठ बेटी को पढ़ा … Read more

अधूरे थे…पूरे हो गये – विभा गुप्ता  : Moral stories in hindi

      बावन वर्षीय मनोहर बाबू हाथ में लिये अपने परिवार की तस्वीर को एकटक निहारे जा रहे थे और उनकी आँखों से अविरल अश्रुधारा बहे जा रही थी।अपने बच्चों के नाम बुदबुदा रहे थे तभी घर का पुराना नौकर रामू काका आकर बोले,” बड़े बाबू… खाना खा लीजिए…सात दिन हो गये हैं… आपने अन्न का एक … Read more

तेरी औकात है क्या..! – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

    ” नहीं नरेश…तुम्हारे पिता हमारी शादी के लिये कतई तैयार नहीं होंगे।तुम लोग इतने पैसे वाले हो..मिल के मालिक हो…और मैं एक अनाथ…।” नरेश के हाथ से अपना हाथ छुड़ाती हुई नीलू बोली।    ” नहीं नीलू…मेरे पिता ऐसे नहीं है।हमारे घर में ऊँच-नीच का कोई भेदभाव नहीं है।हम भी तो…।” कहते- कहते नरेश रुक गया। … Read more

ममता में मिलावट नहीं होती – विभा गुप्ता  : Moral stories in hindi

      ” बस माँ…अब बंद करो अपना ये नाटक…जब देखो…।” कहते हुए विवेक ने दही की कटोरी नीचे फेंक दी और बेसिन का नल खोलकर अपने हाथ धोने लगा।देविका जी सकपका गई।कुछ गिरने की आवाज़ सुनकर वंदना किचन से बाहर आई…एक तरफ़ खड़ी अपनी सास को उसने देखा…फिर फ़र्श पर गिरी दही की कटोरी देखी तो  … Read more

दिल ना दुखाना –  विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

    फ़ैमिली कोर्ट से बाहर निकलते हुए जूही ने एक बार प्रणय को देखा और फिर हाथ में पकड़े उस कागज़ को देखा जिस पर लिखा हुआ था कि अब उसका प्रणय से कोई संबंध नहीं है।उसकी बेटी रिया के पालन-पोषण  के लिये प्रणय को हर महीने एक निश्चित राशि जूही के अकाउंट में देनी होगी।दोनों … Read more

भाई की करतूत – विभा गुप्ता  : Moral stories in hindi

” बस करो ज्योति…पापा के बारे में कुछ भी बोलने से पहले अपने लाडले भाई की करतूत तो देख लो कि वो क्या गुल खिला रहा है।” कहते हुए प्रकाश ज्योति को मोबाइल पर उसके भाई अंकित की तस्वीरें दिखाने लगा।          प्रकाश के पिता कस्बे के एक स्कूल में अध्यापक थें।सेवानिवृत्त होने के बाद पत्नी … Read more

बड़े दिलवाली है – विभा गुप्ता   : Moral stories in hindi

 ” हा-हा…इसका रंग तो देखिये…कितना भड़कीला है..।” ” हाँ …डिजाईन तो ऐसा कि अपनी कामवाली चंपा भी देह पर न लगाये..।”      ” अब छोटे घर वालों की पसंद तो ऐसी ही होगी न बड़ी बहू…।”        ललिता जी अपनी दोनों बहुओं सुनिधि और अदिति के साथ बैठकर छोटी बहू पूजा के मायके से आये कपड़े-गहनों की … Read more

बस…अब और नहीं – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

    ” अनिरुद्ध ….तेरा दिमाग तो ठीक है….बेटी को क्या उम्र भर यहीं बिठायेगा…समाज- बिरादरी वाले क्या कहेंगे…तू अभी के अभी सलोनी को उसके ससुराल भेज दे..।” रामराजी देवी अपने बेटे पर चिल्लाई।    ” बस माँ….अब और नहीं…सलोनी अब कहीं नहीं जायेगी।” अनिरुद्ध चीखते हुए बोले।       अनिरुद्ध और अनिता की इकलौती संतान थी सलोनी।विवाह के सात … Read more

जैसी करनी वैसी भरनी –  विभा गुप्ता  : Moral stories in hindi

  ‘ स्मृति सदन’ का बड़ा हाॅल फूलों और रंग-बिरंगे बल्बों से जगमग कर रहा था।वहाँ आये मेहमानों का शोर इतना था कि सदन के बाहरी हिस्से में बनी एक छोटी-सी कोठरी के बिस्तर पर दर्द-से कराहती स्मृति जी के कानों में भी सुनाई दे रहा था।वे बुदबुदाने लगी, सभी मजे में नाच-गा रहें हैं लेकिन … Read more

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