हाफ़ टिकट – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

New Project 42

     नौ साल की छोटी उम्र में हाॅस्टल चली गई।तब ट्रेन-बस में कैसे सफ़र करते हैं..टिकट कहाँ से लेते हैं..क्या नियम है..ये सब कुछ नहीं जानती थी।छुट्टियाँ होते ही घर से पिताजी या चाचा आ जाते थें और मैं उनके साथ चली जाती थी।कभी-कभी अपने कैंपस के टिकट काउंटर पर लड़कियों की लंबी लाईन देखकर ज़रूर … Read more

झांसी की रानी – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 94

    ” भाभी…मेरे स्कूल का टाइम हो रहा है..टिफ़िन तैयार कर दीजिये।” श्रुति ने बिस्तर पर लेटी अपनी भाभी से कहा।    ” अभी देती हूँ…।” कहते हुए नंदिता उठने की कोशिश करने लगी तभी तनुजा आ गई और बोली,” दीदी..आप आराम कीजिये..श्रुति अपना टिफ़िन खुद तैयार कर लेगी।”    ” लेकिन छोटी भाभी…मुझे पराँठे बनाने नहीं आते..और … Read more

रिश्तों की ज़िम्मेदारी – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 39

      एक औरत अपनी ज़िम्मेदारियों से मुक्त हो जाये, ऐसा तो कभी हो ही नहीं सकता।बेटी,पत्नी,बहू,माँ,सास इत्यादि के रूप में वो हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन करती रही है और करती रहेगी।       मेरा कहानी भी कुछ ऐसी ही है।तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण मुझे अपनी पढ़ाई के साथ-साथ किचन में माँ का हाथ … Read more

दिखावा – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 44

स्नेहा के पति का नये शहर में तबादला हुआ था।अपने आस-पड़ोस से वह बिल्कुल अनजान थी।उसके पति के ऑफ़िस के ही एक सहकर्मी आनंद कुमार का परिवार उसके मुहल्ले में ही रहता था।उसी की पत्नी अनिता के साथ वह उठती-बैठती थी।उसका मन भी लग जाता और आस-पड़ोस की जानकारी भी उसे मिल जाती थी।         एक … Read more

प्यार का एहसास – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 68

   ” आह…हा..कितनी अच्छी हवा आ रही है…कितना सुंदर व्यू(view)है..रवि, देखो ना..।” खिड़की से परदा हटाकर किरण ने अपने दोनों हाथ फैला दिये।रवि हाँ कहकर चुप हो गया।फिर किरण बड़े बाॅक्स में से सामान निकाल कर रैक पर सजाने लगी तभी आशु ने पूछ लिया,” मम्मा…दीदी- बड़ी मम्मी कब आयेंगे?”  सुनकर उसके चेहरे पर नकारात्मक भाव … Read more

हृदय-परिवर्तन – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 67 1

     ” अरी सुनीता…कहाँ मर गई…कोई काम कहो तो उसी में घंटों बिता देती है महारानी…।” बाथरूम में कपड़ों का ढ़ेर देखकर राजेश्वरी अपनी ननद की बेटी पर चिल्लाई।    ” बस..अभी आई मामी…छत पर…।” सुनीता अपनी बात पूरी कर पाती कि राजेश्वरी की आँखें गुस्से-से लाल हो उठीं,” मामी की बच्ची, कपड़े क्या तेरा बाप धोयेगा।समझी..तो … Read more

अच्छे दिन भी आएँगे – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 43

  ” माँ..कहाँ हैं आप?” घर में घुसते ही स्नेहा ने चहकते हुए अपनी माँ को आवाज़ लगाई।        ” मैं यहाँ हूँ स्नेहा…पर तू अचानक इस समय…” सुनयना की बात अधूरी रह गई क्योंकि स्नेहा ने उनके मुँह में मोतीचूर के लड्डू डाल दिये थे।      ” बधाई हो माँ..तुम्हारा लाडला अब डाॅक्टर बन गया है।#गाढ़े दिनों … Read more

कर्मों का फल – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 49

  ” बहू..एक गिलास पानी तो दे देना…प्यास से मेरा गला सूख रहा है और हिचकी भी…।” जमुना जी ने अपनी बहू अनिता से कहा तो वो विफ़र पड़ी,” बस..हो गई आपकी नौटंकी शुरु.. मेरी सहेलियाँ आईं नहीं कि आप…।अब मैं अपनी सहेलियों को अटेंड करुँ या आपके नखरे उठाऊँ..।” अनिता ने गुस्से- से पानी का … Read more

प्यारा बचपन – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

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    आज पढ़ाते- पढ़ाते अचानक जोवैन(मेरी छात्रा) ने मुझे एक्सक्यूज़ मी मैम कहा और दूसरे कमरे में चली गई।वापस आई तो मुझे आँखें बंद करने को कहा और फिर “ओपेन मैम” कहकर मेज़ पर एक बड़ी-सी डाॅल रखकर बोली,” Mam..see, my uncle gifted me.” फिर वह उस डाॅल की खूबियाँ बताने लगी और तब मुझे मेरा … Read more

अपनों पर विश्वास – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 46

 ” ये क्या माँ…आप फिर से वही रट लगाकर बैठ गईं हैं।मनीष की बात आप मान क्यों नहीं लेती हैं…।मैं भी निश्चिंत हो जाऊँगी…।” सीमा ने समझाते हुए अपनी माँ वंदना जी से कहा तो वह भड़क उठीं,” हाँ-हाँ..तू तो उसी का पक्ष लेगी लेकिन मैं कहे देती हूँ कि मैं उस मराठन के साथ … Read more

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