सोच- समझ कर बोलना चाहिए – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 83

 कामिनी के घर में किटी पार्टी चल रही थी।सभी महिलाएँ आपस में घर-बाहर की बातें कर रहीं थीं कि तभी मिसेज़ चंद्रा ने अरुणा से पूछ लिया,” अरुणा जी..सुना है कि स्कूल के प्रिसिंपल ने आपको बुलाया था..क्या हुआ…आपके मनु को कोई प्राइज़ मिला है क्या..।” उनके व्यंग्य से अरुणा बहुत आहत हुई और उसे … Read more

वरदान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 97

    ” ए अनंत के बच्चे…तुझे कितनी बार कहा है कि मेरी टेबल को हाथ न लगाना..चोर कहीं का..चल भाग यहाँ से…।” लगभग चीखते हुए नितिन ने अपने फुफुरे भाई को धक्का देकर कमरे से बाहर निकाल दिया।अनंत रोता हुआ अपनी माँ रेवती के पास गया,” माँ..मैंने तो कोई चोरी नहीं की…फिर भईया ने मुझे चोर … Read more

नाम – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 99

  ” सुनिये जी..हम कैसे लग रहें हैं…हमारी वजह से शैलेश का मज़ाक तो नहीं होगा ना….।” शीशे में खुद को निहारकर अपनी साड़ी का पल्ला ठीक करती हुई सुनंदा जी अपने पति श्रीकांत बाबू से पूछी तो वो हा-हा करके हँसने लगे…फिर उनके कंधे पर अपने दोनों हाथ रखते हुए बोले,” अब इस उम्र में … Read more

मन से जुड़े अटूट रिश्ते – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 98

      ” इतनी ठंड में एक भी आदमी सड़क पर चलता दिखाई नहीं दे रहा है और तुम मुझे..   ” तो क्या करती..कब से मंदिर चलने के लिये कह रही थी और आप टालते जा रहें थें..।”            दिल्ली की कड़कती ठंडी में महेश अपनी पत्नी मीना के साथ स्कूटर पर झंडे वाली माता के दर्शन करके … Read more

सर्दी की वो शाम… – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 50

चार बजने को हुए तो सलोनी खिड़की बंद करने लगी…उम्र हो रही थी..अब हल्की ठंड भी उसके लिये जानलेवा हो जाती थी, फिर अभी तो दिसम्बर की कड़कती सर्दी है।तुलिका भी काॅलेज़ से आती ही होगी…।खिड़की बंद करते हुए उसकी नज़र अस्तांचल सूरज पर पड़ी जो दिनभर की थकान के बाद विश्राम करने के लिये … Read more

काश! तू बड़ी ना होती – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 95

      ” पापाजी…मिनी…।”   ” क्या हुआ मिनी को संदीप..बताओ..क्या हुआ..।” फ़ोन पर अपने दामाद की घबराई आवाज़ सुनकर मनोहर चीख पड़े।   ” वो मिनी…।” कहते हुए संदीप ने जो कुछ कहा, उसे सुनकर उन्हें कुछ होश नहीं रहा।उन्होंने पत्नी को आवाज़ लगाई,” मनोरमा..ज़ल्दी से एक थैले में चार कपड़े रखो..हमें तुरंत शहर जाना है।”     ” शहर!..मिनी … Read more

शिक्षा ही धन है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 78

     ” कामिनी…ज़रा ठंडे दिमाग से सोचो…देवर जी तो अब रहे नहीं…तुम अकेली औरत..छोटी-सी बच्ची को लेकर कहाँ- कहाँ भटकोगी…,अपनी ज़िद छोड़ दो और अपने जेठ की बात मानकर आराम से यहाँ रहो..।” देविका अपनी देवरानी को समझाते हुए बोली तो कामिनी ने उन्हें घूरकर देखा…फिर बोली,” जीजी…मैंने अपनी बेटी के भविष्य के बारे में सही … Read more

सम्मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

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   ” अरे सतीश…तुम क्यों उस बिचारे की पिटाई कर रहे हो..बात-बात पर अपनी #बाँह चढ़ा लेने की तुम्हारी आदत अभी तक गई नहीं है..चलो यहाँ से..।” सतीश का हाथ पकड़कर खींचते हुए नवीन उसे भीड़ से बाहर आ गया।सतीश गुस्से-से बोला,” तू मुझे क्यों ले आया… मैं तो मार-मारकर उसकी हड्डी-पसली एक कर देता।”     ” … Read more

भाग्यशाली से भाग्यहीन – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 50

         जबलपुर में रहते हुए मुझे चार महीने हो रहे थे, इस बीच आसपास रहने वालों से मेरी अच्छी-खासी पहचान भी हो गई थी।उन सबके घर भी आना-जाना हुआ।उसी मोहल्ले में एक बड़ी कोठी भी थी जिसकी बनावट तो पुरानी थी लेकिन साज-सजावट ऐसी कि बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर ले। मैंने … Read more

माई लकी-चार्म – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 88

    ” आ रहा हूँ…।” लगातार काॅलबेल बजते देख  आकाश दरवाज़े की ओर जाते हुए ज़ोर-से बोला।उसने लैपटाॅप का बैग अपने कंधे पर डाला और दरवाज़ा खोला तो सामने मनोहर काका के साथ लाल साड़ी पहने, माँग में सिंदूर- माथे पर बड़ी बिंदी लगाये बाईस वर्षीय युवती को देखकर वो चकित रह गया।    ” तुम…काका, आप … Read more

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