मैं तो बहुत खुश हूँ – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

 ” सुनिये ना.. सोफ़ा खरीद लीजिये ना..बच्चों के दोस्त आते हैं तो उन्हें कुरसी पर बैठाना बहुत खराब लगता है..सबके घर में…।” छवि की बात पूरी होने से पहले ही मानव बोल पड़ा,” ओफ़्फ ओ…तुम फिर से शुरु हो गई..।”      ” तो आप मेरी बात मान क्यों नहीं लेते…।” मनुहार करते हुए वो बोली तो … Read more

अति हर चीज़ की बुरी होती है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     ” भाभी…इनको..।” कहते हुए अंजू फ़ोन पर ही रोने लगी।तब क्रोधित भाव से सविता बोली,” कुछ बोलोगी भी…या रोती ही रहोगी..।”   ” उनको…।” अंजू ने पूरी बात बताई तो सुनकर सविता सन्न रह गई।   ” ओह…चिन्ता मत करो..तुम्हारे भईया को लेकर मैं अभी आती हूँ।” कहकर सविता ने फ़ोन डिस्कनेक्ट कर दिया और बुदबुदाई,” आखिर … Read more

दोस्ती की मिसाल – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     ” चाची..मैं कल दोपहर तक पहुँच जाऊँगा..।घर में सब कैसे हैं? चाचा की तबीयत..।” मानव की बात पूरी होने से पहले ही उसकी कुमुद चाची प्रसन्न-स्वर में बोली,” खुद ही आकर देख लेना..दीदी नहीं आ रहीं हैं?”    ” मानवी की परीक्षा खत्म होते ही मम्मी भी आ जायेंगी।अच्छा चाची प्रणाम!” कहते हुए उसने फ़ोन डिस्कनेक्ट … Read more

मेरी माँ है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” सुमन बेटी..आज तुम्हारी परीक्षा का पहला दिन है.. दही-चीनी खाकर जा.. पेपर अच्छा होगा..।” कहते हुए शारदा सुमन को दही खिलाने के लिये आगे बढ़ी, तभी सुमन उनका हाथ रोकते हुए बोली,” कोई ज़रूरत नहीं है..।” और स्कूल जाने लगी।उसके पिता बेटी को डाँटने ही वाले थे कि शारदा ने उन्हें रोक दिया।     सुमन … Read more

पैसे का सदुपयोग – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” भाभी…आप इन लोगों को इतना सिर पर मत चढ़ाइये..कहीं ऐसा न हो कि जब आपको ज़रूरत पड़े तब ये मना कर दे और आप#टका-सा मुँह लेकर रह जाएँ…।” ननद नंदा की बात सुनकर निधि कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुराते हुए उसके कंधे पर अपना हाथ रख दी।       निधि का पति सुमेश सरकारी नौकरी करता … Read more

दोस्ती का मान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” स्वाति बेटा…किसी के दिये उपहार को यूँ फेंककर अपमान नहीं किया करते।” बेटी द्वारा फेंके गये पर्स को फ़र्श से उठाकर उसे देती हुई कामिनी बोली।तब स्वाति उन्हें पर्स के पीछे लगे प्राइस टैग को दिखाते हुए तल्ख-स्वर में बोली,” इसका प्राइस तो देखिये…सिर्फ़ सौ रुपये…उँह! इससे ज्यादा कीमत की तो मेरे पास पेन … Read more

दिल के तार – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

        ” मम्मी जी, पापाजी तो अब रहें नहीं ,तो अब उनकी बात का क्या महत्त्व।एक नौकरी करने वाले परिवार में हमारी पूजा कैसे रह पायेगी।” कविता अपनी सास को समझाते हुए बोली तब पास खड़ी उसकी देवरानी मंजू भी उसकी उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोली,” हाँ मम्मी जी..मेरा भी यही कहना है कि … Read more

नाम – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     दादी ने नितिन को बताया कि तेरे से खेलने के लिये घर में एक छोटी बहन आ गई है, सुनकर वो खुशी-से नाचने लगा।वो दादी से पूछा,” उसका क्या नाम रखेंगे दादी..।” नितिन की जिज्ञासा देखकर दादी मुस्कुरा दी।      छठी के बाद घर के सभी लोग बड़े हाॅल में जमा हुए।बड़े दिनों बाद घर में … Read more

ननद हो तो ऐसी – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” क्यों नहीं खेलेगी रंग…अंशु, चल आ..अपनी चाची पर रंग डाल..पर ज़रा संभल के..कहीं उसकी आँखों में न पड़ जाये…।” पुष्पलता ने अपने दस वर्षीय भतीजे से कहा तो रमा ने घबराकर अपने कदम पीछे कर लिये।रंग खेलने आई महिलाएँ चौंक उठी और आपस में काना-फूसी करने लगीं,” ये कैसी ननद है जो अपने भाई … Read more

ननद से बन गई भाभी – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” बड़ी भाभी.. मैंने कोई जान-बूझ कर तो तोड़ी नहीं..गलती से गिर गयी।और भाभी..मेरे ससुराल वाले मेरी हर इच्छा पूरी कर देते हैं तो भला मुझे आपकी चीज़ों का लालच या ईर्ष्या क्यों होगी।मैं ज़रा नींद में थी तो..।” काजल ने अपनी भाभी को समझाना चाहा।    ” बस-बस..रहने दो अपना नाटक।” छोटी भाभी कामिनी ने … Read more

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