थैंक्स पापा! – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” बस आरव, बहुत हो चुका…अब मैं तुम्हारी तानाशाही हर्गिज़ नहीं सहूँगी।” निशा लगभग चीखते हुए बोली।  ” हाँ तो…मैं भी अब तुम्हारी गुलामी बर्दाश्त नहीं कर सकता।आरव.. ये मत करो..ऐसे नहीं बैठो..ये मत खाओ..तंग आ चुका हूँ तुम्हारी इस दादागिरी से..।”आरव भी उसी लहज़े में बोला तो निशा भड़क उठी,” अच्छा…शादी से पहले तो … Read more

अब कोई शिकायत नहीं – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” अब चुप भी हो जा काजल बिटिया….कब तक अपने कीमती आँसू बहाती रहेगी।” नानी की बात सुनकर भी काजल रोती रही और अपने आँसुओं से उनका आँचल भिगोती रही।          अपने माता-पिता की लाडली थी काजल।स्कूल से आकर सहेलियों के संग खेलकर उसका दिन बीत जाता था।एक दिन उसने अपनी माँ से पूछा कि मीना- … Read more

बड़ा है तो क्या! – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” भाई…आप हद से आगे बढ़ रहें हैं..।” विनय चीखा।    ” अच्छा.. तो तू अब मुझे मेरी हद बताएगा।तूने अपनी ज़बान पर कंट्रोल नहीं किया तो मैं क्यों करूँगा…।” प्रकाश ने तमतमाते हुए कहा।         अपने दोनों बेटों को झगड़ते देख गायत्री जी का कलेजा छलनी हो रहा था।वो धम्म-से सोफ़े पर बैठ गईं और अपने … Read more

रियल हैप्पिनेस – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

       ” पर मम्मा…मनीष के घर में तो बहुत गंदगी होगी …अंशु और रुनझुन तो एक पल भी वहाँ रह नहीं पाएँगे..।” मानसी अपनी माँ सुनयना से थोड़ा रूठते हुए बोली तो वो बोलीं,” तो फिर ठीक है…हम ही अपना कनाडा जाना कैंसिल कर देते हैं…अविनाश भाईसाहब के…।”    ” अरे नहीं मम्मा…आप और डैड कनाडा जाइये…मैं … Read more

अधूरा रिश्ता पूरा हुआ – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 मेरे चाचा दिल्ली में डाॅक्टर थे।उनकी बेटी रंजू मेरी हमउम्र बहन थी और सहेली भी।स्वभाव से वह बहुत चंचल थी, मिज़ाज भी गरम रहता था लेकिन किसी की आँख में आँसू देखकर वह तुरंत पिघल भी जाती थी।        आठवीं कक्षा में ॠचा नाम की लड़की से उसकी दोस्ती हुई थी।जब भी वो मुझे फ़ोन करती … Read more

लालच का परिणाम –  विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

   ” हाय री मेरी किस्मत…धन के लालच में मैंने क्या अनर्थ कर डाला…हीरे को त्याग कर पत्थर घर में ले आई..।” कहते हुए गायत्री जी चाय बनाते हुए रोने लगी और रोते-रोते बस अपनी किस्मत को कोसती जा रहीं थीं।            किशोरी गायत्री के पिता एक अध्यापक थे।उसकी माँ सीमित आय में घर चलाना बखूबी जानती … Read more

ममता की कीमत – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 क्या कहा आपने!…मैं अपनी छुटकी को आपकी भाभी की गोद में डाल दूँ।किसी भी कीमत पर नहीं..कैसे भूल जाऊँ कि उन्होंने मेरी बच्चियों को कितना भला-बुरा कहा है।आपकी भाभी को तो मेरी बेटियाँ चुभती थी ना…फिर आज…।आप लोगों के स्वार्थ को मैं खूब समझती हूँ।” अंजू अपने पति अशोक पर लगभग चीखते हुए बोली तो … Read more

करनी का फल – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” हाय…! मेरी बहू….भगवान ने क्यों छीन लिया मेरी फूल -सी बच्ची को..।” बहू की अर्थी को चार लोग कंधा देकर ले जाने लगे तो पचपन वर्षीय सुलोचना छाती पीट-पीटकर रोने लगी और मोहल्ले की महिलाएँ उनको #घड़ियाली आँसू बहाते देख चकित थीं।        सुलोचना के पति गजेन्द्र बाबू की गाँव में एक परचून की दुकान … Read more

पहचान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” क्या बात है सुगमा…आज बड़ी चहक रही है..।” अनिता ने अपनी खाना बनाने वाली से पूछा जो सब्ज़ियाँ काटते हुए गीत भी गुनगुनाती जा रही थी।    ” हाँ दीदी..आज मेरा सपना जो पूरा हुआ तो क्यूँ ना इतराऊँ…क्यूँ ना करूँ अपनी किस्मत पर नाज़।” अपने दुपट्टे से हाथ पोंछती हुई सुगमा बोली तो अनिता … Read more

साक्षात् लक्ष्मी है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सुनसान सड़क पर इक्कीस वर्षीय लक्ष्मी बेतहाशा दौड़े जा रही थी कि अचानक उसकी आँखों के सामने तेज रोशनी चमकी और वह एक गाड़ी से टकराकर अचेत हो गई।ड्राइवर ने तुरंत ब्रेक लगाकर गाड़ी रोकी और बाहर आकर एक बेहोश महिला को देखा तो चिल्लाया,” मालिकsssss..।”  माणिक लाल साथ बैठी पत्नी सुभद्रा से बोले,” चिंता … Read more

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