‘ स्वाभिमान है, अभिमान नहीं ‘ – विभा गुप्ता
” विपिन, एक जगह बैठ नहीं सकते,तो चले जाओ यहाँ से।तूने तो मेरे नये कुरते का सत्यानाश कर डाला।” नितिन बाबू अपने छोटे भाई पर चिल्लाये जो अपनी बैसाखी के सहारे चलकर पानी पीने आया था,हाथ से गिलास छूट गया और पानी के कुछ छींटें उनके नये कुरते पर पड़ गये।फिर उन्होंने विपिन की पत्नी … Read more