मैं हूँ ना –  विभा गुप्ता

 ” भईया, रुनझुन की शादी कैसे होगी?लड़के वालों की डिमांड तो कुछ भी नहीं है, फिर भी खाली हाथ बेटी को कैसे विदा कर दूॅं।जेठ जी ने तो पल्ला झाड़ लिया है।रुनझुन के पापा रहते तो मुझे कोई चिंता ही नहीं रहती लेकिन….।” कहते हुए देवकी रोने लगी तो नारायण बाबू बहन के कंधों पर … Read more

 ‘ सच्चा सुख ‘ –   विभा गुप्ता

 आज पूरा घर रंग – बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था।ममता दुल्हन बनी अपने होने वाले पति के सपनों में खोई बारात के आने का इंतज़ार कर रही थी।बचपन से वह राजकुमार-सा पति ,बड़ी गाड़ी , नौकर- चाकर और सुख -सुविधाओं से भरे घर का सपना देखती आई थी जो आज पूरा होने जा रहा … Read more

 इंसानियत का रिश्ता – विभा गुप्ता

मेरे पति का तबादला एक नये शहर में हुआ था।घर के कामों के लिए मैंने एक नौकरानी रखी थी जो समय पर आकर सारा काम कर जाती थी।मैंने नोटिस किया कि बाल-बच्चेदार होने के बावज़ूद भी उसे घर जाने की जल्दी नहीं होती है।एक दिन मैंने उससे पूछ लिया, ” रागिनी,तेरे बच्चे कितने हैं?, उनकी … Read more

 ‘ स्वाभिमान है, अभिमान नहीं ‘ – विभा गुप्ता

” विपिन, एक जगह बैठ नहीं सकते,तो चले जाओ यहाँ से।तूने तो मेरे नये कुरते का सत्यानाश कर डाला।” नितिन बाबू अपने छोटे भाई पर चिल्लाये जो अपनी बैसाखी के सहारे चलकर पानी पीने आया था,हाथ से गिलास छूट गया और पानी के कुछ छींटें उनके नये कुरते पर पड़ गये।फिर उन्होंने विपिन की पत्नी … Read more

 अहंकार कभी न करना   –  विभा गुप्ता 

   ” सुनो, अगर आप इजाज़त दो तो मैं अपनी पढ़ाई पूरी कर लूँ।” विनिता ने अपने पति विनय से पूछा जो ऑफ़िस की कुछ फ़ाइलों को देखने में व्यस्त था।पत्नी की बात सुनकर उसने तुरन्त हाँ कह दिया क्योंकि वह भी चाहता था कि विनिता अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर ले।               विनिता अपने चार भाईयों के … Read more

‘ अपमान बना वरदान ‘ – विभा गुप्ता 

सुनंदा ने ट्राॅलीबैग में अपने सभी कपड़े रखे, स्कूल-काॅलेज के मार्कशीट के साथ-साथ सभी प्रतियोगिताओं के सर्टिफिकेट भी रख लिए और बैग को बंद करने से पहले उसने एक नज़र पूरे कमरे पर डाली जहाँ छह बरस पहले सोमेश उसे ब्याह कर लाए थे।सोमेश के साथ अपने सुखद भविष्य के जो अनगिनत सपने उसने सजाए … Read more

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