अधूरा रिश्ता पूरा हुआ – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 मेरे चाचा दिल्ली में डाॅक्टर थे।उनकी बेटी रंजू मेरी हमउम्र बहन थी और सहेली भी।स्वभाव से वह बहुत चंचल थी, मिज़ाज भी गरम रहता था लेकिन किसी की आँख में आँसू देखकर वह तुरंत पिघल भी जाती थी।        आठवीं कक्षा में ॠचा नाम की लड़की से उसकी दोस्ती हुई थी।जब भी वो मुझे फ़ोन करती … Read more

लालच का परिणाम –  विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

   ” हाय री मेरी किस्मत…धन के लालच में मैंने क्या अनर्थ कर डाला…हीरे को त्याग कर पत्थर घर में ले आई..।” कहते हुए गायत्री जी चाय बनाते हुए रोने लगी और रोते-रोते बस अपनी किस्मत को कोसती जा रहीं थीं।            किशोरी गायत्री के पिता एक अध्यापक थे।उसकी माँ सीमित आय में घर चलाना बखूबी जानती … Read more

ममता की कीमत – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 क्या कहा आपने!…मैं अपनी छुटकी को आपकी भाभी की गोद में डाल दूँ।किसी भी कीमत पर नहीं..कैसे भूल जाऊँ कि उन्होंने मेरी बच्चियों को कितना भला-बुरा कहा है।आपकी भाभी को तो मेरी बेटियाँ चुभती थी ना…फिर आज…।आप लोगों के स्वार्थ को मैं खूब समझती हूँ।” अंजू अपने पति अशोक पर लगभग चीखते हुए बोली तो … Read more

करनी का फल – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” हाय…! मेरी बहू….भगवान ने क्यों छीन लिया मेरी फूल -सी बच्ची को..।” बहू की अर्थी को चार लोग कंधा देकर ले जाने लगे तो पचपन वर्षीय सुलोचना छाती पीट-पीटकर रोने लगी और मोहल्ले की महिलाएँ उनको #घड़ियाली आँसू बहाते देख चकित थीं।        सुलोचना के पति गजेन्द्र बाबू की गाँव में एक परचून की दुकान … Read more

पहचान – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” क्या बात है सुगमा…आज बड़ी चहक रही है..।” अनिता ने अपनी खाना बनाने वाली से पूछा जो सब्ज़ियाँ काटते हुए गीत भी गुनगुनाती जा रही थी।    ” हाँ दीदी..आज मेरा सपना जो पूरा हुआ तो क्यूँ ना इतराऊँ…क्यूँ ना करूँ अपनी किस्मत पर नाज़।” अपने दुपट्टे से हाथ पोंछती हुई सुगमा बोली तो अनिता … Read more

साक्षात् लक्ष्मी है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सुनसान सड़क पर इक्कीस वर्षीय लक्ष्मी बेतहाशा दौड़े जा रही थी कि अचानक उसकी आँखों के सामने तेज रोशनी चमकी और वह एक गाड़ी से टकराकर अचेत हो गई।ड्राइवर ने तुरंत ब्रेक लगाकर गाड़ी रोकी और बाहर आकर एक बेहोश महिला को देखा तो चिल्लाया,” मालिकsssss..।”  माणिक लाल साथ बैठी पत्नी सुभद्रा से बोले,” चिंता … Read more

बड़ों पर भरोसा – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

   ” स्वाति…पापा आ गये हैं…अब अपना अंशु अपने दादाजी से ही पढ़ेगा.. है ना अंशु बेटे..।” नकुल हाथ में लिया बैग ड्राइंग रूम में रखते हुए अपनी पत्नी और बेटे से कहा तो अंशु खुश होकर ‘ यस पापा..’ कहकर अपने दादाजी से लिपट गया।       नकुल के पिता विश्वनाथ बाबू कस्बे के एक विद्यालय में … Read more

दोनों ही ज़िद्दी हैं – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    ” मालकिन…ये देखिये…अंशुल भईया का अखबार में फोटू छपा है और उनके बारे में भी कुछ अच्छा लिखा है।” घर का ड्राइवर सुशील उमा जी को अखबार दिखाते हुए बोला।   ” ला…दिखा तो…।” बेटे का नाम सुनकर वो चहक उठी थीं।अखबार लेकर उन्होंने पास बैठे अपने पति रमाकांत जी को बेटे की तस्वीर दिखानी चाही … Read more

ज़िम्मेदारी का एहसास – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

” अरे सिम्मी बुआ आप! आप कब आईं?” कहते हुए काजल ने अपना बैग सोफ़े पर रखकर बुआ को प्रणाम किया और अपनी मम्मी सुनयना से बोली,” मम्मी…बहुत थक गई हूँ।एक कप चाय…।” कहते हुए वह अपने कमरे में जाने लगी तो सिम्मी बुआ आश्चर्य-से बोली, ” काजल तू यहाँ…तुझे तो अपने घर होना चाहिए … Read more

रिश्तों को संभालना पड़ता है – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” सुन मानसी…मुझे मार्केट में कुछ काम है, इसलिए मैं जल्दी जा रही हूँ…तू किसी और से लिफ़्ट ले लेना।” कहकर दिव्या ने लैपटाॅप बंद करके अपने बैग में रखा और कंधे पर डालकर ऑफ़िस से बाहर निकल गई। उसने अपनी स्कूटी ‘सिटी माॅल ‘ के पार्किंग में रखी और घर के लिये कुछ ज़रूरी … Read more

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