लाल गुलाब – वीणा सिंह : Moral stories in hindi
फरवरी महीना उफ्फ यादों की डायरी में मुरझाया सा सूखा सा वो लाल गुलाब न जाने क्यों सुर्ख अधखिला गुलाब बन मेरी आंखों के सामने झूमने लगता है… और दिल फिर वही अठारह साल की अल्हड़ नव यौवना सा चहक उठता है… स्कूल से निकल कर कॉलेज की दहलीज पर पहला दिन पहला कदम थोड़ा … Read more