रिश्तों की डोर टूटे ना – वीणा सिंह Moral Stories in Hindi

New Project 60

  जूही इंफोसिस में इंजीनियर है, देखने में सुंदर पांच फीट छः इंच लंबी छरहरी, बेहद व्यवहारिक खुशमिजाज और मधुर स्वभाव की है… पर इतना काफी नही है, उसके ससुराल वालों को संतुष्ट करने के लिए… जूही और रोहन पांच साल से एक दूसरे को जानते हैं…. एक हीं कॉलेज से इंजीनियरिंग की.…जूही बेंगलुरु में नौकरी … Read more

बुढ़ापा – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 95

मेडिका हॉस्पिटल के प्राईवेट केबिन में पड़ी मैं सत्तर साल की जानकी भगवान से प्रार्थना कर रही हूं मुझे अपने पास बुला ले… आंखों से आंसुओं की बरसात हो रही है… आज हीं डॉक्टर डिस्चार्ज करने के लिए बोला था पर बड़े बेटे राहुल के पास समय नहीं था और बहु अटेंडेंट के लिए जिन … Read more

दो पल के गुस्से में प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता है – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 78

करवटें बदलते हुए आधी रात बीत चुकी है… नींद आंखों से कोसों दूर है.. किसी को कमजोरी बनाना या आदत बनाना अच्छा नहीं होता ये आज खुशी को समझ में आ रहा था…                       मनोज कितने निष्ठुर हैं… शादी के बाद नौ महीने की ट्रेनिंग पर जाते वक्त मेरे आंसू देखकर मनोज ने मुझसे वादा किया … Read more

हमसफर- वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 35

ठाकुर महेंद्र प्रताप शहर की जानी मानी हस्ती. आयरन ओर का व्यापार से खूब पैसा कमाया बड़बिल (उड़ीसा का एक शहर) में! उसी पैसे से कई तरह के बिजनेस किया. बेटा ठाकुर आशुतोष प्रताप चांदी का चम्मच ले कर पैदा हुआ. आलीशान बंगला! दो जर्मन शेफर्ड उनकी देखभाल के लिए एक नौकर. एक तरफ फलदार … Read more

ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 70

सत्यम का मन ऑफिस में भी नही लगा.. घर भी जाने की इच्छा नहीं थी खाली खाली सा ये घर !जहां नेहा और निधी की शरारतों से घर का कोना कोना चहकता रहता था.. मां बाबूजी की उदास डबडबाई आंखे उफ्फ! कैसे सामना करूं.. भगवान तू मेरी कैसी परीक्षा ले रहा है.. अर्चना तूने #ऐसा … Read more

अटूट बंधन – वीणा सिंह : Moral stories in hindi

दो गोरे चिट्टे भाई  बहन के बाद उसका जन्म हुआ था.. नर्स ने जैसे हीं दादी के हाथ में नवजात बच्ची को दिया, दादी लगभग चीख पड़ी.. ये हमारे खानदान की नही हो सकती है काली कलूटी…                           समय गुजरता गया.. उसका नाम मां ने कृष्णा रखा… पड़ोसी रिश्तेदार परिचित तीनों बच्चों को साथ देखते तो … Read more

तकरार – वीणा सिंह : Moral stories in hindi

New Project 78

निशी के दरवाजे पर लोगों की भीड़ लगी थी… कॉलेज जाते समय तो सब कुछ सामान्य था पर अभी ये भीड़ कैसी… अनहोनी की आशंका से मन कांप उठा… थोड़ा पास जाने पर पड़ोस की रमा चाची ने बताया निशी का तीन साल का बेटा सीढ़ियों से गिर कर.. निशी रिल्स बनाने में व्यस्त थी … Read more

तनाव – वीणा सिंह : Moral stories in hindi

New Project 65 1

मैं मणि मध्यम वर्गीय परिवार में पली बढ़ी लड़की.. बेफिक्र बिंदास हंसती खिलखिलाती.. कब मध्यम वर्गीय परिवार की  की हीं इकलौती बहु बनकर ससुराल आ गई पता हीं नहीं चला… मां की गोद से स्कूल कॉलेज का सफर तय करते करते ससुराल की देहरी पर सपनों के साथ कदम रख दिया… जैसे वक्त पंख लगा … Read more

#ऐसे शब्द सुनकर गुस्से से मेरा खून खौल उठा – वीणा सिंह : Moral stories in hindi

New Project 78

झाड़ू पोंछा करने के लिए दस दिन से लगभग साठ की रधिया काकी को पुरानी काम वाली रखकर अपने गांव गई है गेहूं की फसल कटने के बाद आएगी.. साठ साल की बुजुर्ग काकी से काम करवाने में अपराध बोध और ग्लानि महसूस हो रही थी.. पर पुरानी काम वाली ने बताया एक घर  कर … Read more

धिक्कार – वीणा सिंह : Moral stories in hindi

New Project 38

पैंसठ साल की झुनकी फुआ की आंखों से अनवरत आंसू बह रहे थे.. भतीजे के बेटे की शादी थी… कितना मन था शादी में जाने का…. पर उम्रदराज महिलाओं और पुरुषों को ना हीं घरवाले ना हीं रिश्तेदार चाहते हैं शादी में शामिल हो!! अखबार में मोबाइल में मातृदिवस और पितृदिवस छाया हुआ है पर … Read more

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