घर की इज्जत – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

होठों से बहता खून माथे पर ग़ुमड़ शरीर पर नीले नीले चोटों के निशान लिए सुरभि अपनी सास और ससुर के सामने खड़ी थी… शादी के तीन साल होने को आए पर हर चौथे दिन रमन मेरे साथ ऐसे हीं जानवरों सा व्यवहार करता है.. बताइए मम्मी जी पापा जी मैं क्या करूं… बिलखते हुए … Read more

अपमान बना वरदान – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

आज बहुत लंबे अरसे के बाद आयुष को फीनिक्स मॉल से निकलते हुए देखा… मुझे देखकर आयुष भी ठिठक कर खड़ा हो गया… कुछ कहता तब तक मेरे पति राजेश गाड़ी पार्किंग में लगा कर आ गए… मन खिन्न हो चुका था.. पर इतने अच्छे मूड में राजेश थे कि… खूब सारी शॉपिंग करने के … Read more

पछतावे के आंसू – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

दुलारी काकी हमारे यहां नई शादी करके आई थी उसी समय से काम कर रही है…होश संभाला तभी से दुलारी काकी को दो बेटियों शीला और सरला के साथ देखा है.. दस साल की शीला और सात साल की सरला स्कूल से आते हीं हमारे यहां पहुंच जाती… भूखी प्यासी… दादी उनके लिए रोटी चावल … Read more

अपमान – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

पापा के इज्जत का #अपमान #किया है मैने.. बेटी होने का फर्ज मैने नहीं निभाया… ऐसा पापा का कहना है.. पर मैने और नरेन ने पूरे आठ साल इंतजार किया आपकी सहमति का पापा.…                                आखिर में मुझे मजबूरन कोर्ट मैरिज करनी पड़ रही है पापा… मेरे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिन में मेरे जनक और … Read more

आखिरी फैसला – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

मैं सिया तीस वर्ष की उम्र में जीवन का बेहद नाजुक कठिन और चुनौती भरा घर परिवार छोड़ने का #आखिरी फैसला #लिया था.. उस समय मेरे साथ सात साल का रोहन और स्टेट बैंक की दस साल पुरानी नौकरी, कुछ कपड़े, कड़वे अनुभव अनिश्चित भविष्य और यादें साथ थी….                           कितना संघर्ष किया मैने… आज जब … Read more

भाग्यहीन – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

    मां बनकर #भाग्यहीन #होना कितने दुःख और आश्चर्य की बात है..            आंखों से गिरते आंसुओं के सैलाब को रोकने की असफल कोशिश करती मीनू फ्लैशबैक में चली गई… कितने व्रत उपवास और मन्नतों के बाद निहाल का जनम हुआ.. पांच साल तक मन्नत उतारते रहें… पत्थर पर दूब जमा हो जैसे.. सब कुछ बहुत अच्छा … Read more

बहुरानी – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

जब से भाभी मेरे घर में दुल्हन बन कर आई तभी से बाबूजी  अम्मा भाभी को दुलहीन कह के पुकारती थी, उस समय मेरी उम्र पंद्रह साल की थी… मैं सोचती थी मेरी सासू मां मुझे बहुरानी कह के पुकारे तो कितना अच्छा लगेगा.. दुल्हिन तो देहाती जैसा लगता है…अम्मा लकड़ी के चूल्हे के पास … Read more

रिश्तों में बढ़ती दूरियां – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

आज मेरा मेरे पति समीर और मम्मी जीके बीच का रिश्ता त्रिकोण के तीसरे कोण की तरह हो गया है… एक छत के नीचे रहकर भी अजनबी से हो गए हैं एक दूसरे के लिए… दोनो बच्चे कौस्तुभ और काव्या अपनी जिंदगी और कैरियर में  लगभग दोनो में सेट हो गए हैं… थोड़ा वक्त और…समीर … Read more

सिंदूर – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

आज ऑफिस से छुट्टी ले ली हूं..एक सप्ताह से कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है खाना देखते हों उबकाई आने लग रही है.. मृणाल को भी नही बताया है…            घर में हीं प्रेगनेंसी टेस्ट कीट से टेस्ट कर के देखती हूं.. ओह पॉजिटिव है.. मतलब मैं फिर से मां बनने वाली हूं… खुशी का … Read more

अपनों का साथ – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

 आज पेरेंट्स टीचर मीटिंग में फिर हमारी यानि मैं काव्या कुहू की मम्मी और नमन के पापा संजय की फिर से मुलाकात हो गई.. पिछले रविवार को भी मैं काव्या को लेकर मॉल गई थी… गेम जोन ले जाने का प्रॉमिस पूरा करने और संजय भी नमन के साथ वहीं मिल गए… मैने एक चीज … Read more

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