कलकतही (कहानी) –     डॉ उर्मिला सिन्हा

 चूड़ियां सुहाग का प्रतीक। सुहागिनों की पहली पसंद।कुंआंरियों का सुनहरा भविष्य। मैं जब भी चूड़ियां खरीदने चूड़ी के दुकान पर आती हूं , मेरे मानस पटल में बचपन की एक धुंधली सी तस्वीर उभर आती है—कलकतही की। कलकतही कोई और नहीं बल्कि एक चूडीहारिन थी।उसका छोटा सा टोकरा हरी,लाल,नीली,पीली,प्लेन और कामदार चूड़ियों से भरा रहता … Read more

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