कलंक – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi
वह बहुत तेजी से भागी जा रही थी ।और मै उसके पीछे-पीछे थी।आखिर मैंने उसे पकड़ लिया ” कान्ता तुम?” उसने मुझे पहचान लिया था।और मुझे कसकर पकड़ लिया ।” हाँ दीदी ” ।मै नदी किनारे टहल रही थी ।नदी किनारे टहलना मेरे लिए खास है ।मुझे बहुत अच्छा लगता है नदी, पहाड़ और झरना … Read more