आइना भी हैरान था… – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 आज स्नान की तैयारी करते समय जब वे अल्मारी की बायीं तरफ से अपने वस्त्र निकालने लगीं तो अचानक ध्यान दायीं तरफ के हिस्से में लगे हैंगरों पर लटकते रंग-बिरंगे नये- नये सूटों की तरफ चला गया। एक पल को उन्हें लगा जैैसे वे सुस्त- मुरझाई सी आवाज में उन्हें कह रहे हैं,        ‌ ‘शुक्र … Read more

तरीका – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

आजकल गांव से मेरी मां और बाबूजी आए हुए हैं। घर में रौनक आ गई है, किंतु उनके आने से स्वाभाविक रूप से ही मेरी पत्नी शिखा के घरेलू दायित्व भी बढ़ गये हैं। सामान्यतः तो मां-बाबूजी हमें मिलने की दृष्टि से केवल दो-चार दिनों के लिए ही आया करते हैं, लेकिन इस बार मां … Read more

पापा !अकेली तो सिर्फ माँ हुई हैं… – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

छः माह पूर्व गरिमा के भाई का विवाह हुआ था और भाई के विवाह के पश्चात गरिमा पहली बार मायके जा रही थी। छुट्टी न मिल पाने की वजह से उसके पति अभी तो उनके साथ नहीं आए थे, हां बच्चों की छुट्टियां खत्म होते ही उनकी वापसी पर उन्हें लेने आकर सबसे मिलने का … Read more

सुकून – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  रंजीता और सविता हल्की गपशप संग सैर करते हुए जैसे ही सड़क पर पहुंचीं कि कल के मेले के‌ कारण सड़क के दोनों तरफ पड़ी प्लास्टिक की जूठी प्लेटों, कटोरियों ,गिलास, चम्मच तथा तुड़ी-मुड़ी जूठी पत्तलों को देखकर सविता भड़क उठी,      ‘ उफ़्फ ! यह इधर-उधर बिखरा पड़ा कूड़ा मुझे फूटी आंखों नहीं भाता है। … Read more

हां, हम औरतें होती हैं अजीब… – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  आज बाथरूम से नहाकर निकलने पर रीमा को चहकते देखकर निशांत हैरान होकर बोला ‘क्या बात है भई आज तो सुबह-सुबह ही चेहरे से खुशी का नूर टपक रहा है? कुछ खास ही है नहीं तो इस समय तो तुम काम के प्रेशर में बिफरी ही दिखती हो’ रीमा चहकते हुए आइने के समक्ष जा … Read more

विश्वास! – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  ‘वाऊ ममा ! यू आर सच अ कांफीडेंट स्पीकर ! हाउ डिड यू रिमैंबर‌ सो मच टू स्पीक ? आय एम‌  सो प्राउड आप यू !’       नोटिफिकेशन की आवाज से जैसे ही उन्होंने अपना मोबाइल खोला तो हर्ष युक्त कई इमोजीजके साथ अपनी बेटी के उपर्युक्त व्हाट्स एप संदेश को पढ़ते ही उनके मुख पर … Read more

सुदृढ़ संस्कार – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 ‘कितना बदल गया है उनका बेटा ? उनकी परवरिश कैसे फेल हो सकती है ? पिता की बीमारी की तनिक सी विपत्ति आते ही बेटे को सिखाए आदर्श और जीवन-मूल्य इतने कमजोर कैसे पड़ गये ? संभवतः हमारे दिए संस्कारों में ही कोई कमी रह गई होगी ? क्या पिता के जीवन को धन से … Read more

मी टाइम – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

राधिका तुम अपना सारा ‘मी टाइम'(अपना समय) इस लिखने-लिखाने में ही गंवा देती हो। घर से बाहर निकलकर भी दुनिया देखो। किसी ‘किट्टी पार्टी’ या ‘क्लब’ की सदस्य ही बन जाओ। यदि कहो, तो मैं तुम्हें ‘रेड क्रास सोसायटी’ या इन्हरव्हील क्लब’ की सदस्यता दिलवा दूं, मेरे दो मित्रों की पत्नियां इनकी सदस्य हैं।   ज्ञक्षराधिका … Read more

न भी न ! मैं ‘मैं’ ही ठीक हूं ! – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  ‘अमिता, मेरी नीली कमीज प्रेस नहीं की? कल सुबह तुम्हें बोलकर घर से निकला था। आज मेरी प्रेजेन्टेशन है।मुझे वही कमीज पहननी थी।पता नहीं तुम्हारा ध्यान कहाँ रहता है?’    ओह सॉरी,भुवन! दरअसल कल कपड़े प्रेस करने के लिए समय ही नहीं मिल पाया। मैं अभी प्रेस कर देती हूँ।    ‘समय नहीं मिल पाया ?? बाई- … Read more

गुड न्यूज – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

‘दादू! आपके लिए ‘गुड न्यूज’ है। मेरा इंटरव्यू बहुत बढ़िया हुआ और मेरा चयन हो गया है। अभी मैं नियुक्ति-पत्र  लेने के लिए स्कूल में ही रुकी हूँ।’ रिद्धि फोन पर चहक रही थी। ‘शाबाश! मेरी लाडो!’ कहकर उसके दादू कुछ और पूछना चाहते थे कि ‘बाकी सारी बातें घर आकर बताऊंगी।’ कहकर रिद्धि ने … Read more

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