परम संतोष – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

   राधा चाची रसोई में काम करने के साथ-साथ बड़बड़ाती जा रही थीं , ‘ऐसे अनाड़ी के पल्ले से बांधी गई हूँ कि सेहत ठीक हो या न हो, रसोई मेें तो हमें ही खटना पड़ेगा।हमारे साथ की सारी सहेलियों के पति और दूर क्यों जाएं रिश्ते- नातों में ही देख लो, आजकल सब आदमी रसोई … Read more

पर उपदेश कुशल बहु तेरे – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

कल फिर रात में बहू-बेटे के कमरे से आती झगड़ने की ऊंची आवाजों से वृद्ध सास-ससुर बुरी तरह से आहत थे। बार-बार समझाने के बावजूद बेटा कल देर रात फिर शराब पीकर घर आया था और ऊंची आवाज में अपनी पत्नी के साथ गाली-गलौज कर रहा था।  ऐसी स्थिति में हमेशा ही नशे में धुत्त … Read more

रिटायरमेंट के साइड इफेक्ट्स ! – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

     सुबह घर में किचन का काम बहुत जोरों-शोरों से चल‌ रहा था। किचन से कोसों दूर रहने वाले सठियाए पति (60+), जिन्होंने कल तक (अपनी युवावस्था में ) कभी बाजार से एक साथ लाई गई सब्जियों को अलग-अलग करके फ्रिज में नहीं रखा था आज गिराते-पटकते सब्जी काट रहे थे।       प्याज काटने की बारी आई … Read more

आओ भैया ! कुछ तुम कहो, कुछ मैं कहूँ – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

कितने बरस हो गए हमें एक साथ आराम से बैठ कर बातचीत किए हुए ! वह बचपन का सरल और निश्छल प्रेम, बात-बात पर झगड़ पड़ना ,एक दूसरे को मारने के लिए अंधाधुंध दौड़ पड़ना और बाबूजी को सामने पा कर शराफत से एकदम ठहर जाना, तुम्हारी किताबों को हाथ न लगाने की सख्त ताकीद … Read more

नया पहलू – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

‘अरे दीदी,आप माँ के पास बैठिए न ! उन संग गपशप कीजिए। यहां किचन में क्यों आ गईं ? मैं सब संभाल लूंगी यहां।’ अपनी ननद कविता को किचन में आया देखकर चेहरे पर प्रेमभरी मुस्कान लिए रिया तुरंत बोली। ‘भाभी, आप दूसरा काम देखें। मैं आपको सब्जियों का मसाला- प्याज, टमाटर, अदरक, लहसुन आदि … Read more

तर्क – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

गेट की आवाज सुन कर उन्होंने बाहर झांका। रज्जो ही थी। रज्जो ने चुपचाप झाड़ू उठाया और ड्राइंगरूम से झाड़ू लगाना शुरू कर दिया। ‘यह क्या  रज्जो ! न नमस्ते,न दुआ-सलाम और सीधे ड्राइंग रूम से सफाई शुरू ? तुझे कितनी बार समझाया है कि हमारे कमरे से सफाई शुरू किया कर,लेकिन तुझे समझ ही … Read more

बहुत से भी बहुत मीठी चाय – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 पिछले नौ दिनों में ही प्रशांत को रिया की वास्तविक खुशी का अहसास हो गया था। अपनी व्यस्तता के बावजूद अब वह उसके घर वापिस आने पर चहकती हुई मिलती थी।        आज सुबह प्रशांत स्वयं भी रिया के उठकर बाथरूम में जाते ही उठ खड़ा हुआ और उसने गैस पर सुबह की चाय चढ़ा दी। … Read more

आगाज़ – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 पापा की ,आंगन से आती हुई, झल्लाहट-भरी आवाज सुनकर अचानक कविता की नींद टूट गई , “तुमने मुझसे पूछे बिना बाई की पगार कैसे बढ़ा दी ? सर्विस से मेरी रिटायरमेंट के बाद  क्या तुम मुझे घर से भी रिटायर करने की तैयारी में जुट गई हो ? ” “नहीं जी, ऐसा नहीं है। असल … Read more

बा अदब! बा मुलाहिजा… – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

   सब्जीवाले की आवाज सुनकर कविता, रोमा और निम्मी अपने-अपने घरों से बाहर निकल आईं, ‘क्या बात भैया ? दो दिन आए नहीं, सब ठीक तो है न ?’ कविता ने पूछा।       ‌’हां जी मैडम ! बस पास के गांव में अपने माता-पिता से मिलने चला गया था, लेकिन उस दिन आपने मशरूम लाने को कहा … Read more

रिश्तों के जुड़ाव के लिए स्पष्ट संवाद जरूरी है… – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  शाम को ऑफिस के बाद अमन जैसे ही घर पहुंचा तो रागिनी को किचन में न पाकर, ‘कहाँ हो भई ? मेरा नींबू पानी नहीं बनाया आज ?’ कहते हुए तीव्र गति से ड्राइंग रूम की ओर मुड़ गया। रागिनी को वहाँ भी न पाकर वह तुरंत अपने बैड रूम में पहुंचा। दरअसल गर्मियों में … Read more

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