संस्कार – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

New Project 77

मोबाइल की घंटी  बजते ही रसोई घर  से निकलते हुए   मधुमिता जी ने काव्या को आवाज लगाई ,जरा देखो किसका फोन है ?  ये लड़की भी हमेशा कानों में ईयर फोन लगाए रहती है, सुनती ही नहीं ।  फोन पर राज था ,   उसकी आवाज़ सुनकर  मां की आवाज़ बदल गई , उसने … Read more

पैसे का गुरूर – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

New Project 97

निशा के कक्ष में प्रवेश करते ही सारी सहेलियों ने उठकर उनका स्वागत किया और गले से लगा लिया । आते ही उन्होंने ऊपर की तरफ़ देखकर कहा , अरे रेखा ए ० सी ० चलाओ न ! रेखा जी ने सिर नीचा कर कहा , वो मेरे घर में ए ० सी नहीं है … Read more

चुमावन – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

New Project 55

जेठ की दुपहरी और  टमटम से धीरे — धीरे बिलकुल अनजान सड़क पर  गुड़िया  सिमटी सिकुड़ी बढ़ी जा रही थी,  प्यास से बुरा हाल था ,कभी थोड़ा सा घूंघट  से कोर से कनखियाकर  अपने पति को देखती ,लेकिन वो तो घर पहुंचने की जल्दी में था । घर ..नहीं वो  गांव के एक प्रतिष्ठित  मुरारी … Read more

मोहना – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

New Project 58

मां ने बड़े प्यार से मोहना नाम रखा था , वास्तव में उसे देखकर लोग मोहित हो जाते थे , गोल — गोल आँखें,घुंघराले बालों से छुपा सांवला चेहरा ,बड़ा मनमोहक लगता था , माँ खाना बनाने आती तो शीतल के घर उसे भी ले आती , मालकिन थी भी बड़ी अच्छी ,मोहना को बड़ा … Read more

एक दूजे के लिए – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

New Project 36

दिसंबर का महीना अपनी अलसाई आँखें जल्दी खोलना नहीं चाहता था, ऐसे में भला सूरजदेव भी नहीं दिखते थे , और दिखते भी तो किसी बुजुर्ग स्वभाव वाले मानव की तरह ठंडे, जिसे समय ने विनम्रता का चोला पहना दिया हो । खैर , मुझे तो उठना ही पड़ेगा ,सोचते हुए शुक्ला जी उठ बैठे … Read more

धन्य माई – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

New Project 67 1

सुबह उठकर साफ  साड़ी पहनकर नियम पूर्वक मंगरी मां ने अपने पूर्वजों  को दातून  दिया , फिर सभी को सलामती के लिए  पूजा की । अब बारी थी है दिन की तरह उसे भीख मांगने जाना था । हां मंगरी मां रोज भीख मांगने जाति थी  उसका पति  छः महीने की मंगरी और पांच साल … Read more

एक दूजे के लिए – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

New Project 95

दिसंबर का महीना  अपनी  अलसाई आँखें जल्दी खोलना नहीं चाहता था, ऐसे में भला सूरजदेव  भी नहीं दिखते  थे , और दिखते भी तो किसी बुजुर्ग स्वभाव  वाले मानव की तरह ठंडे, जिसे समय ने विनम्रता का चोला पहना दिया हो । खैर , मुझे तो उठना ही पड़ेगा ,सोचते हुए शुक्ला  जी उठ बैठे … Read more

गुरुर – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

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स्नेहा   जैसे ही सोकर उठी मम्मी  खुश होकर बोलीं , उठ गई बेटा चलो , पापा तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं , पता है  4:00 सुबह से उठकर आम के बागान  में आम चुन रहे हैं रात की  आई आंधियों में आम काफी बिखरे पड़े हैं । सुनकर स्नेहा  बोली हूऊं ।  जाती हूं … Read more

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