कुंडली – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

पांच साल के बाद गीता आंटी को देखा था,करुणा ने।इस शहर में,इस अस्पताल में क्या कर रहीं हैं आंटी?वही हैं ना!क्या मैं गलती कर रही हूं?अपनी आंखों से चश्मा उतारकर साफ किया करुणा ने,दुबारा देखा। नहीं-नहीं,ये गीता आंटी ही हैं।दौड़कर मिलने जाना चाहा,पर कदम रोक लिए उसने।उन्हें दिया वचन कैसे तोड़ सकती थी वह?पलट कर … Read more

सौदामिनी- शुभ्रा बैनर्जी: Moral stories in hindi

“बड़ी मां,ओ बड़ी मां।कहां हो तुम?” नीलेश जोर-जोर से शांति जी को पुकार रहा था।शांति जी उनकी ताई थीं।आज लगभग एक बरस के बाद अपने पैतृक गांव “साउटिया आया था नीलेश। पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर जिले का एक गांव,जहां उसके दादा -परदादा की जमींदारी थी। बड़ी मां आंखों पर मोटा चश्मा लगाए,लाठी टेककर धीरे-धीरे चलती … Read more

महारानी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

“ओ!रानी,आज दोपहर को ही आ जाना तुम,देर मत करना।शाम को है पार्टी।कॉलोनी में सभी किसी और को बुलाने वाले थे,पर मैंने मना कर दिया।तुम्हें ही कुछ ज्यादा पैसे मिल जाएं तो अच्छा है।समझी ना तुम।”निशा ने रानी को अच्छे से याद दिला दिया। “जी,मेम साहब।आप बिल्कुल भी टेंसन मत लीजिए।मैंने सब सामान खरीद लिया है।छोले … Read more

पहले मैं पत्नी हूं – शुभ्रा बैनर्जी: Moral stories in hindi

 “मां !ओ मां ,कहां हो तुम?”नीरज हमेशा की तरह चिल्लाते हुए घर में घुसा। सामने ही रवि बैठे थे।बेटे को घूरते हुए कहा”आ गया ,मां का चमचा।”दिशा को हंसी आ गई।यह पहली बार नहीं हुआ था।बाप -बेटे में ज्यादा बात कभी नहीं होती थी।रवि ख़ुद भी गंभीर स्वभाव के थे,बेटा भी उन्हीं पर गया था।अपनी … Read more

फैसला – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

सीमा ने हिस्ट्री एम ए में यूनिवर्सिटी में टॉप किया था।दिखने में खूबसूरत सीमा कविता पाठ भी करती थी। रवीन्द्र नाथ टैगोर की कविताएं अपने पिता के मुंह से सुन-सुनकर कंठस्थ हो गई थी उसे। सीमा के पिता एम आर थे।सीमा और उसकी छोटी बहन पिंकी ने बचपन से अपने पिता और मां को संघर्ष … Read more

प्रेम-विवाह – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

दादी,नानी और मां से यह कहावत सुनी थी कि इंसान पूरी दुनिया से जीत सकता है,पर अपनी औलाद से हार जाता है। ज़िंदगी भर घर-परिवार की जिम्मेदारी संभालते -संभालते कब ख़ुद की औलाद शादी लायक हो गई ,पता ही नहीं चला।शिखा की बेटी,मीनल अहमदाबाद में एम बी ए  कर रही थी।गुजराती ब्राह्मण परिवार से संबंध … Read more

मोक्ष – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

सरिता की सास ने अपने जीवन में बहुत दुख सहे थे।मायके में गरीबी से जूझते हुए ,सिलाई करके पिता का सहारा बनी थीं।विवाह से पहले ही होने वाले पति को दुर्घटना में एक पैर गंवाना पड़ा।घर की ग़रीबी को देखकर, और शायद उस पुरुष को मन से अपना पति स्वीकार कर चुकीं सरिता जी ने … Read more

जैसे को तैसा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

श्याम शंकर जी की बेटी की शादी तय हो गई थी।सब इतना जल्दी तय हो गया कि रिश्तेदारों को खबर नहीं कर पाए।सबसे ज्यादा चिंता उन्हें अपने बड़े बहनोई की थी।सारा घर सर पर उठा लेंगें,जैसे ही पता चलेगा कि उनकी अनुपस्थिति में ही शादी पक्की हो गई है। श्याम शंकर जी की पत्नी रमा … Read more

दिखावे से दूर हो दायित्व – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

नीरजा की कॉलोनी में मां काली और दुर्गा मां का एक पुराना मंदिर, शनिदेव महाराज का एक मंदिर और ठाकुर बाबा की मढ़िया है।मंगल वार और शनिवार को मंदिरों में काफी भीड़ रहती थी।हर शनिवार सुबह-सुबह दीन -दुखी शनि महाराज के मंदिर के बाहर कतार बनकर बैठे दिखते। ना जाने कितने श्रृद्धालु खाना,कपड़ा और पैसे … Read more

मध्यमवर्गीय परिवार-निषिद्ध प्रेम – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

उम्र में बहुत छोटा था वह,पर ज़िंदगी का तजुर्बा बहुत ज्यादा।लेखनी में जादू,आवाज में गंभीरता और स्वभाव से बहुत गंभीर।शिखा से उसकी मुलाकात एक इंटरव्यू के दौरान हुई थी।हर विषय में असाधारण पकड़ थी उसकी।शिखा अपने बुलावे का इंतज़ार कर रही थी।एक -एक करके सभी उम्मीदवार शिक्षक निर्णायक कक्ष में जा रहे थे,और कुछ मिनटों … Read more

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