जीवन प्रयाग – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

दिसंबर में रिटायरमेंट है पूनम जी के पति का। हॉस्पिटल में रेडियोलॉजिस्ट हैं वो।सरकारी (कॉलरी)नौकरी में रहते हुए अपने बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ अपने परिवार को भी सहारा दिया था उन्होंने।पत्नी,पूनम ईश्वर में अगाध आस्था रखने वाली थीं।पति को शराब पीने की आदत थी।इस व्यसन की वजह से कार्य क्षेत्र और मोहल्ले में काफी … Read more

गाल फुलाना – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

“बहू,लो अब टी वी पर दिखाने लगा, रीचार्ज करना पड़ेगा।आज रात को बंद हो  जाएगा।गज़ब है ये आजकल का डिश सिस्टम।पहले ही ठीक था,हर महीने केबल वाले आकर ले जाते थे पैसा।ये धमकी तो नहीं देते थे,बंद करने की।”शीला जी यह चेतावनी सुना रही थी। निर्मला सुन रही थी,पर रसोईघर साफ करने में व्यस्त होने … Read more

“विश्वास और भरोसा” – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सुधा विद्यालय की सीनियर टीचर थी।सोशल पढ़ाते समय समाज और संस्कृति को जोड़ देती थी।बच्चों को सिलेबस की पढ़ाई के साथ-साथ,मानवीय मूल्यों की शिक्षा देना आज के वर्तमान परिपेक्ष्य में नितांत आवश्यक हो गया है। अलग-अलग प्रेरणादायक कहानियों, कविताओं व धार्मिक संस्करणों के माध्यम से,पढ़ाना सुधा को बहुत रोमांचित करता था।वैसे तो आजकल लोग अधिकतर … Read more

भादों का भय – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

बड़ी मुश्किल से दो महीने ही हुए थे , निर्मला जी  (मां )को अपनी बेटियों के पास गए हुए।ससुर जी जब थे,साथ ही जातीं थीं बेटियों के पास,वो भी बहुत कम दिनों के लिए।ससुर जी की बरसी पर आई छोटी बेटी की बिटिया ने कहा था नानी से”हमारे साथ चल कर रहिए ना कुछ दिन … Read more

मन का अब इलाज और नहीं – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

यह आत्मसम्मान विषय पर रची गई कहानी एक विवाह योग्य पुरुष के मन के घांवों की वेदना है।जब पीड़ा का आभास होना ही खत्म हो जाता है,तब चोटिल होता है आत्म सम्मान। नीता के परिवार के पुराने मित्र ,जो अब स्थानांतरित होकर कोरबा में रह रहें हैं ,थॉमस परिवार।जाति में भिन्नता होते हुए भी नीता … Read more

मृगतृष्णा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

रामनाथ जी शादी करके अपनी धर्म पत्नी के साथ गांव में ही रहते आए हैं।जमीन -जायदाद असीमित थी उनके पास।बड़ी सी हवेली पुरखों की विरासत थी।घर‌ में नौकर -चाकर बहुत थे।रामनाथ जी का गांव में बहुत सम्मान‌ भी था।बस एक ही दुख था उन्हें कि उनकी कोई संतान‌ नहीं थी।पत्नी(प्रभा)ने कोई भी व्रत,उपवास ,पूजा बाकी … Read more

श्रवण कुमार – शुभ्रा बैनर्जी   : Moral Stories in Hindi

इस बार भी नीरज ने तनख्वाह से गिने चुने पैसे ही मां के हांथ में दिए थे।सरिता जी का कब से मन हो रहा था हरिद्वार जाने का।साल भर पहले ही कहा था अपने पति से”सुनिए जी,अब ज्यादा दिन हाथ-पैर चल नहीं पाएंगे।बुढ़ापा बढ़ जाने से पहले चलो गंगा आरती देख पाएं।यह आस लिए ही … Read more

राखी और कजलियां – शुभ्रा बैनर्जी   : Moral Stories in Hindi

सुबह से ही राखी की तैयारी कर रही थी रजनी।भद्रा लगने के कारण दोपहर को ही राखी बंध पाएगी।रजनी ने सोचा पकवान तो बना ही लूं।निधि भोर पांच बजे पहुंची है बैंगलुरू से।काम से छुट्टी तो नहीं मिली थी, वर्क फ्राम होम ले लिया उसने।नवीन को तो काम पर जाना था।दोपहर तक आ जाएगा वो। … Read more

अवसरवादी बहन – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

इस बार रीना ने मंझली बहन शिवानी और छोटी बहन रिया को पहले से बोल दिया था भाई के घर राखी में चलने के लिए।मां के जाने के बाद सभी भाई-बहन रीना के घर ही आते थे हर त्योहार में।बड़ा भाई रीना से छोटा,बाकी भाई बहनों में बड़ा था।इस बार राखी के महीने भर पहले … Read more

मुक्ति – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

स्वतंत्रता दिवस मेरे लिए दोहरी खुशी लेकर आता है।आज मेरी मां का जन्मदिन होता है।संयोगवश पंद्रह अगस्त १९४७ को ही उनका जन्म हुआ था। नाना-नानी की पहली संतान ने स्वतंत्र भारत में जन्म लिया था।नाना जी ने अपनी बेटी का नाम रखा “मुक्ति”।अपने नाम पर सदा उन्हें गौरव रहा। ज्यादा पढ़ नहीं पाई थीं,अठारह साल … Read more

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