कुंभ की यात्रा का सौभाग्य – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

शुभा पिछली बार अर्ध कुंभ स्नान का पुण्य प्राप्त कर चुकी थी।पति की तबीयत ठीक नहीं थी,तब। कॉलोनी में रहने वाली राठौर भाभी से बातों-बातों में जाने की इच्छा जाहिर की थी शुभा ने।अगले ही हफ्ते टिकट बुक हो गया था उसका उनके परिवार के साथ। प्रयागराज दर्शन के साथ-साथ काशी विश्वनाथ जी के दर्शन … Read more

पति के जाने का दुख साझा होता है – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

चार साल होने वाला था कल अमित को गए।भाग्य की विडंबना थी कि अमित की लाड़ली छोटी बहन के पति भी पिछले साल चल बसे हार्ट अटेक से। छोटी ननद ने फोन पर बताया था” भाभी,जीजाजी नहीं रहे।”सुनकर सन्न रह गई थी सुमन।दिल की बीमारी तो थी उन्हें,पर इतनी जल्दी चलते-फिरते चले जाएंगे,सोचा नहीं था … Read more

आंख से गिरना – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

मधु के बेटे की नई -नई शादी हुई थी।शादी का सारा इंतजाम नमिता(,बेटी),ने किया था। निमंत्रण पत्र से लेकर बग्गी,कपड़े, मेकअप,खाना सब नमिता अपनी देखरेख में बनवा रही थी।आखिर उसके इकलौते दो साल बड़े भाई की शादी जो थी।मधु सारा दिन नमिता -नमिता करती रहतीं,और नमिता मिनटों में सब काम निपटा रही थी।घर की पहली … Read more

सम्मान – शुभ्रा बैनेर्जी : Moral Stories in Hindi

आज विधि की शादी तय हुई थी।रागिनी अपनी बेटी की शादी तय होने की खुशी में ,एक बड़ी पार्टी देना चाहती थी।आखिर सहेलियों को भी तो पता चले। पार्टी की बात सुनकर विधि ने तपाक से पूछा”पापा को बुलाएंगी ना आप?”तिलमिला उठी थी रागिनी। झिड़कते हुए कहा “पापा,पापा बस पापा।तुझे मुझसे कोई मतलब ही नहीं … Read more

प्रेम में लांछन ना लगे – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

नित्या का मन किसी काम में नहीं लग रहा था। रह-रहकर सिद्धांत की याद आ रही थी। कहने को कह तो दिया था कि अब कभी बात ना करे,पर उसके मैसेज का इंतजार भी किया कल पूरा दिन। कुछ दिनों की ही जान- पहचान थी,वो भी औपचारिक।उसकी चार पंक्तियों की शायरी पढ़कर बड़ा अच्छा लगता … Read more

बेदखल – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

पंकज सात भाईयों के बीच में सबसे छोटा बेटा था।पढ़ाई में मन लगता नहीं था,तो एक दुकान में जाकर काम करने लगे थे।कोठी बड़ी थी।सभी भाईयों के कमरे अलग-अलग थे।पंकज सारा दिन भटकता रहता था।खाना मांगने पर खुद की मां कुमाता बनकर कहती”कब तक मूंग दलेगा हमारी छाती में?इन सारे बच्चों के पिता कमाते हैं, … Read more

“दुर्गा -दुर्गा” – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

निधि जब से ब्याह कर आई थी,देखती थी,कि पति के नौकरी पर जाते समय सासू मां दरवाजे तक आकर दुर्गा -दुर्गा जरूर बोलकर मां दुर्गा को मन ही मन हांथ जोड़कर प्रणाम करती थीं।ऐसा मायके में कभी मां को नहीं देखा करते।शादी के एक महीने बाद ही सासू मां ने कहा निधि से”पति जब नौकरी … Read more

हैप्पी मेन्स डे पापा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

गर्वित ने अपना बचपन कभी खुलकर जिया ही नहीं।एक कारपेंटर थे उसके पापा। फर्नीचर की दुकान पर दिन रात काम करते और मालिक के स्टोर रूम में बीवी -बेटे के साथ रहते थे वे। हांथ में सफाई का हुनर दिया था भगवान ने।मालिक के घर में भी तीन बच्चे थे।बेटा गर्वित से दो साल बड़ा … Read more

रोज़ी का फौजी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

शारदा आज बीना जा रही थी। कान्वेंट स्कूल में ओरियेंटशन प्रोग्राम था। काउंसलिंग कोर्स और चाइल्ड साइकॉलजी के नियमित अध्ययन से यह एक नई उपलब्धि थी शारदा के लिए।एक शिक्षक के तौर पर पिछले चौबीस वर्षों से अध्यापन करते हुए ,पढ़ाने के साथ-साथ बच्चों को मानवीय मूल्यों का महत्व समझाती रही थी शारदा।अब विभिन्न विद्यालयों … Read more

अम्मा का आशीर्वाद – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

36″भाभी ओ भाभी,कल घाट पर चलना होगा आपको।हमारे सोनू ने निमंत्रण भेजा है आपको बिनती के साथ।” पिंकी बड़े उत्साह से चहकती हुई बोली।पिछले बीस सालों से उसे काम करते हुए देख रही थी मृदुला।सोनू (उसका बेटा)तब आठ साल का रहा होगा,जब पिंकी ने आकर मृदुला से कहा था”भाभी,अम्मा कह रही थी कि आपको अपने … Read more

error: Content is protected !!